1 अक्टूबर 2024 को मध्य पूर्व में तनाव एक नई ऊँचाई पर पहुँच गया जब ईरान ने इज़रायल पर भीषण मिसाइल हमला किया। रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने 400 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें इज़रायल की ओर दागी, जिससे देश के प्रमुख शहरों जैसे कि तेल अवीव और हर्ज़लिया को निशाना बनाया गया। इन हमलों के बाद इज़रायल में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया और नागरिकों से तत्काल सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई हैं।

हमले के कारण और ईरान का दावा

ईरान ने इन हमलों को आत्मरक्षा बताया । ईरान का कहना हैं कि वह इज़रायल की सैन्य गतिविधियों का जवाब दे रहा है, जो इसराइल ने गाज़ा और लेबनान में की थीं। ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि यह हमला पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत था, और केवल इज़रायली सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।

इज़रायल की प्रतिक्रिया

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान का इस हमले को ‘एक बड़ी ग़लती’ करार दिया और ईरान को चेतावनी दी कि उसे इस हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इज़रायल ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए लेबनान के दक्षिणी क्षेत्रों में हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया, जिसमें दर्जनों लोग हताहत हुए।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस हमले के बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने गहरी चिंता व्यक्त की है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इज़रायल के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की और कहा कि ईरान के इस हमले के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वहीं, फ्रांस और जापान ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की। भारत की और से कई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के बाद इज़रायल की ओर से और भी कड़े जवाबी हमले हो सकते हैं, जिनमें ईरान के परमाणु ठिकाने भी निशाने पर हो सकते हैं। इससे पूरे क्षेत्र में एक व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जो न केवल मध्य पूर्व की स्थिरता को हिला सकता है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार को भी प्रभावित कर सकता है।

इस संकट ने दुनिया भर में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव अब एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।