ईरान ने कहा है कि अगर उसके अस्तित्व को कोई भी खतरा हुआ तो वह इसका सामना करने के लिए परमाणु बम बनाएगा। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई के एडवाइजर कमाल खर्राजी ने शनिवार को यह बयान दिया। खर्राजी ने कहा, “हमने अब तक परमाणु बम पर कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी यह सिद्धांत बदल भी सकते हैं। अगर इजराइल ने हमारी न्यूक्लियर फैसेलिटीज पर हमला किया तो हमें अपनी रक्षा के लिए यह कदम उठाना पड़ेगा।” ईरान में 11 सालों से परमाणु हथियारों के खिलाफ फतवा
दरअसल, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने साल 2003 में परमाणु हथियारों समेत हर उस हथियार के प्रोडक्शन के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है। तब खामेनेई ने कहा था कि इन हथियारों को बनाना इस्लाम के मुताबिक हराम (वर्जित) है। हालांकि, इसके बावजूद साल 2021 में ईरान के तत्कालीन इंटेलिजेंस मिनिस्टर ने कहा था कि पश्चिमी देशों की तरफ से बढ़ते दबाव के बीच इस फतवे को पलटा जा सकता है। अलजजीरा के मुताबिक, ईरान यूरेनियम को 60% तक एनरिच कर रहा है। इससे उसकी गुणवत्ता में सुधार आता है। वहीं हथियारों में इस्तेमाल होने वाले यूरेनियम को 90% तक इनरिच किया जा रहा है। एटमी हथियारों पर नजर रखने वाले एजेंसी IAEA ने कहा है कि अगर यूरेनियम को और एनरिच किया तो यह 2 परमाणु हथियारों की जरूरत को पूरा करने लायक हो जाएगा। ‘5 महीने में 12 परमाणु बम बना सकता है ईरान’
इससे पहले जनवरी में UN के न्यूक्लियर इन्सपेक्टर और एक्सपर्ट डेविड अल्ब्राइट ने ईरान के एटमी प्रोग्राम को लेकर बड़ा दावा किया था। अल्ब्राइट ने कहा था कि इस वक्त ईरान सबसे बड़ा खतरा है। उसके पास एटम बम बनाने की न सिर्फ टेक्नोलॉजी मौजूद है, बल्कि इसके लिए यूरेनियम भी उपलब्ध है। डेविड ने कहा था, “जरूरत पड़ने पर ईरान कुछ हफ्तों में पहला बम तैयार कर सकता है। वो चाहे तो 5 महीने में 12 बम बना सकता है।” ईरान-इजराइल में कैसे बढ़ा तनाव
ईरान और इजराइल में पिछले डेढ़ महीने में तनाव काफी बढ़ गया है। दरअसल, इजराइल ने 1 अप्रैल को सीरिया में मौजूद ईरान के दूतावास की एक बिल्डिंग पर हमला किया था। इसमें ईरान के 2 टॉप कमांडरों समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ईरान ने इजराइल से बदला लेने की बात कही थी। इसके ठीक 12 दिन बाद 13 अप्रैल को ईरान ने इजराइल पर 300 से ज्यादा मिसाइलों-ड्रोन्स से हमला किया। इस दौरान नेवातिम एयरफोर्स बेस को निशाना बनाया गया। हालांकि, इजराइल, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर ईरान के 99% हमले को नाकाम कर दिया। इस हमले के बाद ईरान ने कहा था कि वह अपना बदला ले चुका है और अब विवाद को बढ़ाना नहीं चाहता है। हालांकि, इजराइल ने इसका बदला लेने की चेतावनी दी। हमले के 6 दिन बाद इजराइल ने ईरान पर जवाबी कार्रवाई की। उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकाने वाले शहर इस्फहान को टारगेट किया। इसके अलावा इराक और सरिया में भी एयरस्ट्राइक की गईं। हालांकि, इस दौरान ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। इन हमलों के बाद दोनों देशों के बीच टकराव रुक गया, लेकिन जुबानी जंग जारी रही। ईरान-इजराइल लगातार एक-दूसरे को हमले की धमकी देते रहते हैं।