‘खेल खेल में’ के बाद फरदीन खान की फिल्म ‘विस्फोट’ ओटीटी प्लेटफार्म जियो सिनेमा पर रिलीज हो चुकी है। हालांकि यह फिल्म उन्होंने तब साइन की थी, जब उन्होंने एक्टिंग में वापसी का मन बनाया। हाल ही में इस फिल्म को लेकर फरदीन खान के अलावा फिल्म की एक्ट्रेस प्रिया बापट डायरेक्टर कूकी गुलाटी और प्रोड्यूसर संजय गुप्ता ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान फरदीन खान ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ है कि 24 घंटे में लाइफ बदल गई है। उन्होंने यह भी बताया कि लाइफ में कई बार धोखा मिला है, लेकिन इससे बहुत कुछ सीखने को मिला है। फरदीन जब आपको फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई गई तब क्या रिएक्शन था। इस फिल्म को चुनने के पीछे की वजह क्या थी? मैं जब एक्टिंग में वापसी कर रहा था। तब सबसे मिल रहा था जिनके साथ काम कर चुका था। मैं संजय गुप्ता से मिला तो मुझे विस्फोट की स्क्रिप्ट ऑफर की। मैं बहुत सरप्राइज हुआ। मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब मानता हूं कि मुझे ऐसा किरदार निभाने का मौका मिला। संजय के साथ पहले ‘एसिड फैक्ट्री’ में काम किया था। डायरेक्टर कूकी को पहले से ही जानता था। रितेश देशमुख मेरे भाई जैसे हैं। कूकी आप बताइए फरदीन खान के अंदर ऐसी क्या खास बात नजर आई कि आपने इस फिल्म के लिए उन्हें कास्ट किया? इस फिल्म के लिए संजय सर ( संजय गुप्ता) ने फोन किया था। जब मेरी फिल्म ‘बिग बुल’ आई थी तभी संजय सर ने बता दिया था कि कुछ साथ में करेंगे। उन्होंने बताया कि इस फिल्म के लिए फरदीन खान और रितेश देशमुख ने हामी भर दी है। मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि इन दोनों के साथ काम कर चुका हूं। फरदीन की फिल्म ‘फिदा’ में एसोसिएट डायरेक्टर था। उसके बाद बहुत सारे एड साथ में किए। प्रिया इस फिल्म से जुड़ने की आपकी क्या खास वजह रही है? इस फिल्म के लिए संजय सर को बहुत धन्यवाद देती हूं। उन्होंने मेरी फिल्म ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ देखी थी। उन्हें मेरा काम बहुत पसंद आया था और मुझे ‘विस्फोट’ में काम करने का ऑफर दिया। मुझे लगता है कि किरदार अगर चुनौतीपूर्ण हो तो उसे करने में एक्टर को बहुत मजा आता है। संजय आप फरदीन को एसिड फैक्ट्री से पहले से जानते हैं, इतने समय के अंतराल के बाद उनके अंदर आपको क्या बदलाव दिखा? फरदीन 2013-14 में लंदन में शिफ्ट हो गए थे। वहां के उनके बहुत सारे फोटो देखे थे, तब अच्छे खासे हो गए थे। मुझे लगा फादर हुड एंजॉय कर रहे हैं। जब मुझसे मिले तब मैं फिल्म की कास्टिंग कर रहा था। मैं सोच रहा था कि फरदीन वापस आ रहे हैं तो नया क्या लेकर आ रहे हैं। इसलिए मैंने उनको डोंगरी वाला किरदार दिया। कूकी को लग रहा था कि कास्टिंग उल्टी तो नहीं हो रही है। मैंने कहा कि जान बुझ कर ऐसा कर रह रहे हैं। कूकी आपने ‘फिदा’ से लेकर अब तक फरदीन के अंदर क्या बदलाव देखा? पहले फिल्में ऐसी बनती थी जिसमें स्टारडम दिखता था। अब फिल्में ऐसी बनती हैं जहां पर स्टार को भी एक्टिंग करनी पड़ती है। इसमें हम सबके लिए एक बढ़िया काम करने की चुनौती थी। उस चुनौती को फरदीन ने भी लिया और किरदार की तैयारी में तीन महीने का समय लगाया। किरदार और डोंगरी के वातावरण में खुद को डाला। कूकी आप भी संजय गुप्ता की फिल्मों की तरह अपनी फिल्मों का चयन करते हैं, इसका कारण क्या है? जब से मैंने डायरेक्टर बनने के बारे में सोचा तब से संजय सर और रामगोपाल वर्मा की ही फिल्में देखकर इंस्पायर हुआ हूं। राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्मों में मुंबई को जिस तरह से दिखाया हैं वैसा मैजिक पहले कभी नहीं दिखा। संजय सर ने मुंबई के क्राइम को सिनेमा में एक अलग तरह से ही पेश किया है। मुझे भी ऐसी दुनिया बहुत पसंद है। संजय आपको ऐसी फिल्मों का ट्रेंडसेटर कहा कहा जाता है? मैं जान बूझकर ऐसी फिल्में नहीं बनाता हूं। ऐसी फिल्में चल रही हैं। एक कहावत है कि चलती गाड़ी का बोनट नहीं खोलते हैं। जब तक चल रहा है। चलाते रहो। मुझे ऐसा कोई शौक नहीं है कि मल्टीजॉनर की ऐसी फिल्में बनानी है। बच्चों ने मुझसे हॉरर फिल्म की डिमांड की है। संजय आप अपनी फिल्म में हमेशा कुछ नया लेकर आए और वह ट्रेंडसेटर हो गया, क्या कहना चाहेंगे? जब मैं कॉलेज में था और डायरेक्टर बनना चाह रहा था। उस समय फिरोज खान, राज कपूर, मुकुल आनंद, राज सिप्पी, जे पी दत्ता, मणि रत्नम, राहुल रवैल का मुझ पर ज्यादा प्रभाव था। मुकुल आनंद,मणि रत्नम, राहुल रवैल अपनी हर फिल्म में कुछ नया करते हैं। जब मैंने पहली बार ‘बेताब’ देखी तो समझ में आया कि लॉग लेंस कैसे यूज होते हैं। ऐसी बहुत सारी नई चीजें देखने को मिली। उन्हीं से मुझे प्रेरणा मिली। जब मैंने शुरुआत की तो कोशिश यही रही है कि अपनी फिल्मों में कुछ नया लेकर आना है। फरदीन आपने अपने किरदार की तैयारी किस तरह से की? बॉडी लैंग्वेज और किरदार के इमोशन को समझने की कोशिश की। कूकी के साथ हमने काफी रीडिंग की। जिस समय यह फिल्म मैंने साइन की थी उस समय कोविड का माहौल था। बहुत सारी पाबंदियां लगी हुई थी। मैंने यह जरूरी नहीं समझा कि किरदार की गहराई को समझने के लिए डोंगरी में जाकर लोगों से मिलूं। प्रिया आपकी क्या तैयारी थी? मेरे लिए तो स्क्रिप्ट ही सब कुछ होता है। रीडिंग सेशन में किरदार को समझने में बहुत हेल्प मिलती है। इस फिल्म में मैं रितेश देशमुख के अपोजिट हूं। उनके साथ काम करके बहुत कंफर्ट थी। मैंने इसमें तारा का किरदार निभाया है। मैंने उस किरदार की मनोदशा को समझने की कोशिश की। फिल्म की कहानी 24 घंटे की है। फरदीन आपकी लाइफ में कभी ऐसा हुआ है कि 24 घंटे में पूरी लाइफ बदल गई हो? मेरे जीवन में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं। पहला प्यार, पहला हार्ट ब्रेक, पहली फिल्म, पहला सुपरहिट गाना ‘कमबख्त इश्क’। दूसरी फिल्म जंगल। जब मैंने पेरेंट्स को खो दिया। जब बेटी और बेटे को पहली बार गोद लिया। ऐसे बहुत सारे मौके आए जब 24 घंटे में पूरी लाइफ बदल गई। मैंने अपनी असफलता से बहुत कुछ सीखा है। प्रिया आप बताए? मुझे नहीं लगता है कि 24 घंटे में ऐसी कोई चीज मेरी लाइफ में हुई है। मुझे जो कुछ भी मिला है वह बहुत मेहनत के बाद मिला है। प्रिया आपके किरदार में धोखा वाला एंगल भी है, कभी रियल लाइफ में धोखा मिला है? ना तो मैंने किसी को धोखा दिया है। और, ना ही मुझे किसी ने धोखा दिया है। इमोशनल चीटिंग में आप हर्ट हो जाते हैं। लेकिन उसे समझ नहीं पाते हैं। फरदीन धोखा वाले सवाल पर आप क्या कहना चाहेंगे? किसने धोखा नहीं सहा है। धोखे जीवन में बहुत मिले हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि उससे सीखा क्या है। इससे आप थोड़े और समझदार बन जाते हैं। कभी हम भी किसी को धोखा दे देते हैं। जिंदगी में यह सब चलता रहता है।