जोया अफरोज ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत की। 2021 में मिस इंडिया इंटरनेशनल रही जोया ने हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘द एक्सपोज’ से बतौर एक्ट्रेस डेब्यू किया था। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान जोया ने स्ट्रगल, कास्टिंग काउच और रिजेक्शन पर बात की। एक्ट्रेस ने कहा कि आउटसाइडर्स को कास्टिंग डायरेक्टर्स के बीच अपनी पहचान बनाने में बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि बातचीत के दौरान जोया अफरोज ने और क्या कहा … आपने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत की, अब तक की जर्नी कैसी रही? जर्नी बहुत अच्छी रही, बहुत कुछ सीखने को मिला है। इसका पूरा श्रेय मेरे पेरेंट्स को जाता है। उन्होंने तीन साल की उम्र में एक बच्चे के टैलेंट को पहचाना और मुझे सही दिशा में गाइड किया। इस जर्नी में बहुत मेहनत और स्ट्रगल हुआ है। मेरी पहली फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ सूरज बड़जात्या जी के साथ थी। इस तरह का मौका मिलना एक बच्चे के लिए बहुत बड़ी बात होती है। एक्टिंग में करियर बनाने के लिए डिसीजन किसका था? दो-तीन साल की उम्र में ही आईने के सामने एक्टिंग करती थी। रसना के एड के लिए मेरे पेरेंट्स ने घर की खींची तस्वीर भेज दी। कुछ दिन के बाद लेटर आया कि एड के लिए चयन हो गया। वहां से मेरी जर्नी शुरू हुई। स्कूल के बाद मम्मी मुझे ऑडिशन के लिए लेकर जाती थीं। उन्होंने बहुत मेहनत की है। मिस इंडिया बनने की प्रेरणा कहां से मिली थी? मेरे घर में ऐश्वर्या, सुष्मिता, दिया मिर्जा की फोटो लगी थी। वह देखकर सोचती थी कि ऐसा कुछ बनना है। इत्तेफाक से मुझे ऐश्वर्या राय के साथ ‘कुछ ना कहो’ में काम करने का मौका मिला था। उस फिल्म में उनको बहुत परेशान करती थी। मैं उनसे पूछती थी कि मिस इंडिया बनने के लिए क्या करना चाहिए? उन्होंने कहा कि तुम अपने क्लास में फर्स्ट आना, हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देना और हमेशा सीखती रहना। मिस इंडिया बन जाओगी। वो बात मेरे दिल में बैठ गई थी। मिस इंडिया में भाग लेने के बाद कौन सी फिल्म ऑफर हुई थी? मैंने 2013 में फेमिना मिस इंडिया में भाग लिया था। इसमें सेकेंड रनर अप रही। इसके बाद 2014 में हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘द एक्सपोज’ में काम करने का मौका मिला था। उसमें परवीन बॉबी जैसा किरदार था। मैं बहुत ही एक्साइटेड थी। इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की थी। पहली फिल्म के बाद आगे का सफर आसान कितना रहा और मुश्किलें किस तरह की आईं? एक्टर की जर्नी मुश्किल भरी ही रहती है। खासतौर जब आप आउटसाइडर्स होते हैं। जीवन में स्ट्रगल बहुत रहा है। बहुत सारे ऑडिशन देने पड़े हैं। एक दिन में 8-10 ऑडिशन देने के बाद बहुत मुश्किल से अपने टैलेंट को दिखाने का मौका मिलता है। मैंने एक फिल्म ‘स्वीटी वेड्स एनआरआई’, वेबसीरीज ‘मुखबिर’, ‘मत्स्यकांड’ की है, जिसमें मेरे काम को काफी सराहा गया। अभी एक फिल्म ‘ऑब्जेक्शन माय लॉर्ड’ आने वाली है। इसमें लॉयर का किरदार निभा रही हूं। आउटसाइडर्स को किस तरह की परेशानियां होती हैं? कास्टिंग डायरेक्टर्स के बीच अपनी पहचान बनाने में बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है। वो आपको जानेंगे तभी किसी किरदार के ऑडिशन के लिए बुलाएंगे। मुझे हमेशा यह बोला जाता था कि इंडियन लुक में नहीं फिट हो। मुझे आज तक यह बात समझ नहीं आई। इस वजह से मुझे काफी रिजेक्शन मिले हैं। कभी ऐसा भी हुआ कि किसी फिल्म के लिए फाइनल होने के बाद रिजेक्ट कर दिया गया हो? एक फिल्म के लिए ऐसा हुआ था। उसके लिए 18-20 बार ऑडिशन हुआ था। सिलेक्ट भी हुई, बाद में पता चला कि वो रोल किसी और को दे दिया गया। बहुत दुख होता है, लेकिन यह बहुत जरूरी भी है। क्योंकि अब जब कोई किरदार मिलता है तो उसकी ज्यादा कद्र करती हूं। कास्टिंग काउच को लेकर किस तरह के अनुभव रहे हैं? मेरे साथ कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। क्योंकि किसी को लाइन क्रॉस करने का मौका नहीं देती हूं। कास्टिंग काउच होता है, यह सच्चाई है। इसे आप नकार नहीं सकते हैं। चाहे लड़कियां हों या कास्टिंग डायरेक्टर्स एजुकेशन बहुत जरूरी है। हम यहां काम करने आए हैं। अपनी कला और टैलेंट दिखाने आए हैं। इस सोच से अगर आए तो कास्टिंग काउच से बच सकते हैं। यह हर इंडस्ट्री में होता है। लड़कियों के लिए बहुत मुश्किलें हैं। आपको अभी तक अच्छे मौके नहीं मिले, इसकी क्या वजह मनाती हैं? आउटसाइडर्स के साथ प्रॉब्लम यही है कि जो मौका मिलता है। उसमें ही उन्हें चुनना होता है। मुझे जो मौके मिल रहे थे, वह उतने अच्छे नहीं थे। कुछ रोल्स ऐसे थे, जिसे मैं नहीं कर सकती थी। मैं यही सोचती हूं कि ऐसा रोल हो कि अपनी कला दिखा सकूं।