कुवैत के नए अमीर शेख मिशाल अल- अहमद-अल- सबा ने देश की संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को एक टीवी चैनल को दिए अपने संबोधन में इस बात की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मैं देश के लोकतंत्र के गलत इस्तेमाल की अनुमति नहीं दूंगा। इसके साथ ही उन्होंने चार सालों के लिए देश के सरकारी विभागों को अपने कंट्रोल में ले लिया है और कई कानूनों को भंग कर दिया है। अप्रैल में नई संसद की नियुक्ति के बाद 13 मई को पहली बार संसद की बैठक होनी थी, लेकिन कई राजनेताओं ने सरकार में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। अमीर ने कहा कि सरकार बनाने में विफलता कुछ नेताओं के आदेशों और शर्तों नहीं मानने का परिणाम था। कुवैत के सरकारी टीवी के मुताबिक संसद भंग होने के बाद नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास आ गई हैं। इससे पहले आखिरी बार फरवरी में देश की संसद भंग की गई थी, जिसके बाद अप्रैल में देश में चुनाव हुए थे। ‘भ्रष्टाचार कुवैत की सबसे बड़ी समस्या’ कुवैती अमीर ने कहा, “कुवैत इन दिनों कठिन समय से गुजर रहा है। इसके कारण देश को बचाने के लिए और लोगों को सुरक्षित करने के लिए हमे कुछ कड़े फैसले लेने पड़े हैं। उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ सालों में राज्य के विभागों में भ्रष्टाचार बड़ी समस्या बनकर उभरा है। इससे कुवैत का माहौल खराब हुआ है।” अमीर ने कहा है कि यह भ्रष्टाचार देश के सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक पहुंच गया है। उन्होंने देश की न्याय प्रणाली में भी भ्रष्टाचार होने की बात कही है। राजनीतिक उठापटक में फंसा है कुवैत
कुवैत में भी अरब देशों का तरह शेख के नेतृत्व वाली राजशाही व्यवस्था है। लेकिन यहां की जनरल असेंबली अरब देशों के मुकाबले वहां की राजनीति में ज्यादा शक्तिशाली है। पिछले कुछ समय से कुवैत में घरेलू राजनीतिक संकट चल रहा है। देश की कैबिनेट और जनरल असेंबली के बीच कई मुद्दों पर टकराव है, जिस कारण से देश को नुकसान हुआ है। देश का वेलफेयर सिस्टम इसका बड़ा मुद्दा रहा है। इसके कारण कुवैत की सरकार कर्ज नहीं ले पा रही है। यही वजह है कि तेल से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं । 28 सालों में 12 बार कुवैत की संसद भंग हुई है कतर की संसद में 50 सदस्य होते हैं, जिसका नेता प्रधानमंत्री होता है। ये सारे सदस्य निर्दलीय रूप से चुने जाते हैं, क्योंकि कुवैत में राजनीतिक पार्टियां पर प्रतिबंध है। इसके अलावा 16 सदस्यों की एक कैबिनेट होती है, जिसे पीएम खुद चुनते है। हालांकि प्रधानमंत्री का पद पर नियुक्ति कुवैत के अमीर ही करते है। और संसद पर भी उन्हीं की ही पकड़ होती है।वे जब चाहे संसद को भंग कर सकते हैं। हालांकि असेंबली भंग करने के 2 महीनों के अंदर ही चुनाव करवाने होते हैं। इससे पहले भी कुवैत की संसद कई बार भंग की जा चुकी है। 2006 से 2024 के बीच लगभग 12 बार कुवैत की जनरल असेंबली को भंग किया जा चुका है। BBC के मुताबिक कुवैत के इतिहास में राजनीतिक उठापटक के कारण 4 बार संसद को भंग किया गया है।