इजराइल के मिलिट्री इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि हमास लीडर याह्या सिनवार की मौत हो चुकी है। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक, सिनवार पिछले कुछ समय से लापता है। उसका किसी से कोई संपर्क नहीं हुआ है। ऐसे में इजराइली सेना गाजा पर हमलों में सिनवार के मारे जाने की संभावना की जांच कर रही है। सिनवार की मौत को लेकर अब तक कोई सबूत नहीं मिला है। हालांकि, इजराइल के कई बड़े मीडिया हाउस की रिपोर्ट्स में हमास लीडर की मौत के कयास लगाए गए हैं। इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) के मुताबिक, उन्होंने कुछ दिन पहले गाजा में एक स्कूल पर हमला किया था। यहां हमास का कमांड सेंटर था। इस अटैक में 22 लोग मारे गए थे। ऐसे में आशंका है कि सिनवार की मौत भी इसी एयरस्ट्राइक में हो गई है। सिनवार की मौत का कोई सबूत नहीं
इजराइली मीडिया हारेट्ज के मुताबिक, इजराइल ने पिछले कुछ समय में गाजा में उन सुरंगों पर हमले किए जहां सिनवार के छिपे होने के आसार थे। हालांकि, अब तक हमलों में सिनवार की मौत से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला है। यह पहली बार नहीं है जब सिनवार अचानक से गायब हो गया है। इससे पहले भी कई बार सिनवार कुछ समय के लिए गायब रहने के बाद सीजफायर डील या किसी और मैसेज के साथ लौट आया है। दूसरी तरफ, इजराइल की इंटरनल सिक्योरिटी एजेंसी शिन बेत ने सिनवार की मौत के कयासों को खारिज कर दिया है। हमास की टॉप लीडरशिप में सिनवार ही बचा
इजराइल पर पिछले साल 7 अक्टूबर को हुए हमले के तीन अहम किरदार थे। इनमें पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानियेह, मिलिट्री चीफ मोहम्मद दाइफ के अलावा गाजा में हमास का लीडर याह्या सिनवार शामिल था। 31 जुलाई को ईरान में हानियेह की मौत के बाद सिनवार ही संगठन का नया चीफ बना था। वहीं हमास के मिलिट्री चीफ मोहम्मद दाइफ की 13 जुलाई को ही एक हवाई हमले में मौत हो गई थी, जिसकी पुष्टि 1 अगस्त को हुई थी। ऐसे में अब हमास की टॉप लीडरशिप में सिर्फ सिनवार ही बचा है। लिहाजा इजराइल का पूरा ध्यान इस वक्त सिनवार को ढूंढकर उसे मारने पर है। गाजा के शिविरों से निकलकर हमास का लीडर बना याह्या सिनवार
याह्या सिनवार, गाजा में हमास का लीडर है। वह इजराइल के मोस्ट वॉन्टेड लोगों में से एक है। 61 बरस के याह्या सिनवार को लोग अबु इब्राहिम के नाम से भी जानते हैं। उसका जन्म गाजा पट्टी के दक्षिणी इलाके में स्थित खान यूनिस के शरणार्थी शिविर में हुआ था। याह्या के मां-बाप अश्केलॉन के थे, लेकिन, जब 1948 में इजराइल की स्थापना की गई और हज़ारों फलस्तीनियों को उनके पुश्तैनी घरों से निकाल दिया गया, तो याह्या के माता-पिता भी शरणार्थी बन गए थे। फलस्तीनी उसे ‘अल-नकबा’ यानी तबाही का दिन कहते हैं। BBC के मुताबिक याह्या सिनवार को पहली बार इजराइल ने 1982 में गिरफ्तार किया था। उस समय उसकी उम्र 19 साल थी। याह्या पर ‘इस्लामी गतिविधियों’ में शामिल होने का इल्जाम था। 1985 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया। लगभग इसी दौरान, याह्या ने हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन का भरोसा जीत लिया। 1987 में हमास की स्थापना के दो साल बाद, याह्या ने इसके बेहद खतरनाक कहे जाने वाले अंदरूनी सुरक्षा संगठन, अल-मज्द की स्थापना की। तब सिनवार 25 साल का था।