इजराइल हमास जंग के बीच गाजा में सोमवार (13 मई) को संयुक्त राष्ट्र (UN) एजेंसी के लिए काम कर रहे एक पूर्व भारतीय सैनिक की मौत हो गई। पूर्व सैनिक का नाम कर्नल वैभव अनिल काले था, जो नागपुर का रहने वाला था। UN एजेंसी को जॉइन करने से पहले वह जम्मू-कश्मीर राइफल्स में तैनात था। वैभव की मौत पर बुधवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने दुख जताया है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर काले के परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने बताया कि सरकार वैभव के शव को भारत लाने के लिए लगातार UN के संपर्क में है। UN ने भी इस मामले में पर दुख जताया है। वैभव की मौत उस वक्त हुई, जब वे राफा में मानवीय मदद पहुंचा रहे थे। इसी दौरान इजराइली टैंक ने उन पर हमला कर दिया। कौन थे कर्नल वैभव अनिल काले
कर्नल वैभव अनिल काले ने भारतीय सेना से 2022 में रिटायरमेंट (VRS) लिया था। वे तीन हफ्ते पहले ही UN के सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग से जुड़े थे। 46 साल के वैभव अप्रैल 1998 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने 2009 से 2010 तक संयुक्त राष्ट्र में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं। वैभव ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से बिहेवियरल साइंस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने आगे की पढ़ाई IMM लखनऊ और DAVV इंदौर समेत अन्य संस्थानों से भी की थी। वैभव के परिवार के दूसरे सदस्य भी भारतीय मिलिट्री में रह चुके हैं। उनके भाई ग्रुप कैप्टन विशाल काले वायुसेना में भर्ती थे, जबकि वैभव के कजिन आमे काले भी सेना में कर्नल रह चुके हैं। वैभव के एक और रिश्तेदार प्रशांत कारदे भी एयरफोर्स से रिटायर हुए हैं। पठानकोट एयरबेस हमले से कनेक्शन
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, सैनिक रहते हुए वैभव कई एंटी-टेरर ऑपरेशन्स का हिस्सा रहे। इस दौरान कई बार सियाचिन बेस कैंप में भी उनकी तैनाती रही। वैभव काले ने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को रोकने में से जुड़े ऑपरेशन में शामिल थे। उनके करीबी दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि वैभव पठानकोट हमले के समय भारतीय सेना की 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने अपनी यूनिट के साथव मिलकर ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी। 2 जनवरी, 2016 को जैश के आतंकियों ने पठानकोट में एयरबेस पर हमला कर दिया था। इसमें 7 जवान शहीद हो गए थे। 36 घंटे एनकाउंटर और तीन दिन तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया गया था। इजराइल-हमास जंग में UN के 200 राहतकर्मियों की मौत
करीब 1 महीने पहले भी गाजा पर इजराइल के हमले में UN के 7 राहतकर्मी मारे गए थे। इजराइली सेना ने वर्ल्ड सेंट्रल किचिन चैरिटी के काफिले पर एयरस्ट्राइक कर दी थी। मारे गए कर्मचारी ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, पोलैंड और अमेरिका के नागरिक थे। UN के मुताबिक, जंग में अब तक करीब 200 राहतकर्मियों की मौत हो चुकी है। जंग में 35 हजार फिलिस्तीनियों की मौत, राफा पर हमले कर रहा इजराइल
इजराइल-हमास जंग के बीच पिछले 7 महीने से जंग जारी है। इसमें अब तक 35 हजार फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, इनमें करीब 15 हजार बच्चे शामिल हैं। वहीं गाजा के करीब 80% लोग बेघर हो गए। यह जंग अब मिस्र बॉर्डर के करीब गाजा के राफा शहर पहुंच गई है। दरअसल, जंग की शुरुआत में इजराइल की कार्रवाई से बचते हुए लोगों ने उत्तरी गाजा छोड़कर राफा में शरण ली थी। अलजजीरा के मुताबिक इस इलाके में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। अब जंग के आखिरी पड़ाव के तहत इजराइल राफा में हमले कर रही है। इजराइल का तर्क है कि उन्होंने अब तक हमास की 24 बटालियन को खत्म कर दिया है। लेकिन अब भी 4 बटालियन राफा में छिपी हुई हैं। इनके खात्मे के लिए राफा में ऑपरेशन चलाना जरूरी है।