चीन ताइवान की आजादी को पूरी ताकत से कुचलेगा। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, चीनी रक्षा मंत्री डोंग जुन ने शनिवार (1 जून) को ताइवान को चेतावनी देते हुए कहा कि चीनी सैनिक ताइवान को आजाद होने से रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जो कोई भी ताइवान को चीन से अलग करने का साहस करेगा, उसे टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएगे। ऐसा करने वाले अपने विनाश को न्योता दे रहे हैं। चीनी रक्षा मंत्री ने सिंगापुर में हुए शांगरी ला डायलॉग के आखिरी दिन ये बातें कही हैं। चीनी रक्षा मंत्री डोंग जुन ने शांगरी ला डायलॉग में कहा कि कोई भी देश चीनी सीमाओं का उल्लंघन न करें। उन्होंने कहा कि चीन एशिया में किसी तरह की जंग नहीं होने देगा। ताइवान-चीन के एकीकरण में अड़ंगा डाल रहे कुछ देश
चीन के रक्षा मंत्री ने कहा कि वे शांति के साथ ताइवान का चीन में एकीकरण करना चाहते हैं। हालांकि, कुछ देश इसमें रोड़ा बन रहे हैं। उनकी वजह से ये मुश्किल हो रहा है कि बिना ताकत या जंग के ताइवान चीन में मिल जाए। उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि कुछ देश चीन को रोकने के लिए ताइवान को हथियार दे रहे हैं। डोंग जुन ने कहा कि इस तरह की हरकतें कर वो ताइवान को मुश्किलों में डाल रहे हैं। शुक्रवार (31 मई) को उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और डोंग जुन की मुलाकात हुई थी। इस दौरान उन्होंने अमेरिका से ये भी कहा था कि दोनों देशों को बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए। अमेरिका-चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच एक घंटे तक बातचीत हुई। इस मुलाकात से दोनों देश के बीच कड़वाहट दूर करने की कोशिश की गई। यह मुलाकात उस समय हुई जब एक हफ्ते पहले ताइवान में नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने शपथ ली है। चीन चिंग-ते को अलगाववादी नेता मानता है। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। चीन से कब और कैसे अलग हुआ ताइवान?
ताइवान और चीन के बीच वर्तमान तनातनी दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद शुरू हुई। दरअसल, तब चीन में राष्ट्रवादी सरकारी सेनाओं और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच गृह युद्ध शुरू हो गया था। 1949 में कम्युनिस्ट जीत गए और उनके नेता माओत्से तुंग ने मेनलैंड चीन की राजधानी बीजिंग पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। वहीं हार के बाद राष्ट्रवादी पार्टी- कुओमिंतांग या Kuomintang के नेता ताइवान भाग गए। तब से ही कुओमिंतांग ही ताइवान की सबसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी है और ताइवान पर ज्यादातर समय इसी पार्टी का शासन रहा है। वर्तमान में केवल 14 देश ही ताइवान को संप्रभु देश के रूप में मान्यता देते हैं। ताइवान के समर्थन के बावजूद खुद अमेरिका उसे स्वतंत्र देश नहीं मानता है। चीन बाकी देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए राजनयिक दबाव डालता रहा है। वर्तमान में चीन और ताइवान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं। चीन-ताइवान के बीच विवाद 2022 में 1 अक्टूबर को चीन की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले नेशनल डे से तब शुरू हुआ था, जब 100 से ज्यादा चीनी जेट ने ताइवान के एयर डिफेंस क्षेत्र का उल्लंघन किया था। चीन के इस कदम के बाद ही दुनिया में ये चर्चा शुरू हुई कि वह ताइवान पर जबरन कब्जा करने जा रहा है। फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले और चीन द्वारा रूस के समर्थन ने ताइवान पर हमले के डर को और बढ़ाने का काम किया है। ताइवान और उसके आसपास के द्वीपों को घेरकर चीनी सेना ने युद्धाभ्यास किया था
चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीनी सेना के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने 24 मई से अपना 2 दिवसीय युद्धाभ्यास स्थानीय समयानुसार सुबह 7:45 बजे (भारतीय समय के मुताबिक सुबह 5:15 बजे) शुरू किया था। चीन ने इस अभ्यास को ‘जॉइंट सोर्ड-2024A’ नाम दिया था। इसके अलावा ताइवान के आसपास के द्वीपों किनमेन, मात्सु, वुकिउ और डोंगयिन में भी अभ्यास किया था। ताइवान में नए राष्ट्रपति के चुनाव से गुस्से में चीन
ताइवान में इसी साल राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए। इसमें चीन विरोधी नेता विलियम लाई चिंग ते को जीत हासिल हुई। चुनाव से पहले चीन ने ताइवान को चेतावनी दी थी कि अगर वहां की जनता ने सही विकल्प नहीं चुना तो उन्हें इसकी सजा दी जाएगी। 20 मई को लाई चिंग ते के शपथ ग्रहण समारोह के 2 दिन बाद चीन ने अपनी मिलिट्री ड्रिल शुरू की थी। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि लाई चिंग ते वन-चाइना पॉलिसी के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। वे ताइवान के लोगों को जंग और तबाही की तरफ धकेल रहे हैं। चीनी सेना के 96 साल पूरे होने पर भी हुआ था युद्धाभ्यास
इससे पहले पिछले साल अगस्त में भी चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक ताइवान पर हमले के लिए ट्रेनिंग करते नजर आए थे। PLA के 96 साल पूरे होने पर चीन ने स्टेट मीडिया CCTV पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इसका नाम झू मेंग या चेसिंग ड्रीम्स था। इसमें चीनी सेना किसी भी पल जंग के लिए तैयार नजर आई थी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, 8 ऐपिसोड की डॉक्यूमेंट्री का मकसद ताइवान की डिफेंस फोर्स के सामने PLA के आत्मविश्वास को दिखाना था।