रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दिन के दौरे पर चीन में हैं। बुधवार को बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनका स्वागत किया। इसके बाद शाम को दोनों नेताओं ने साथ में चाय पी। पुतिन की यात्रा का पहला दिन खत्म होने पर जिनपिंग ने उन्हें गले भी लगाया। रूस और चीन की इस बढ़ती दोस्ती से अब अमेरिका नाराज है। अमेरिका ने कहा है कि चीन अगर पश्चिमी देशों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश कर रहा है तो वह यूक्रेन जंग में रूस का समर्थन नहीं कर सकता है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “यूक्रेन जंग के मामले में अमेरिका, G7, नाटो और EU देशों का एक ही पक्ष है। रूस को हथियार देकर चीन न सिर्फ यूक्रेन की सुरक्षा खतरे में डाल रहा है, बल्कि इससे यूरोप पर भी असर पड़ेगा। वह यूरोप के सबसे बड़े खतरे को बढ़ावा दे रहा है।” अमेरिका बोला- जंग का हल निकालना आसान, यूक्रेन से पीछे हट जाए रूस
यूक्रेन जंग पर बात करते हुए वेदांत पटेल ने कहा, “हमारे नजरिए से इस समस्या का हल बहुत ही आसान है। रूस यूक्रेन से पीछे हट जाए। वह रूसी कब्जे में मौजूद यूक्रेन के क्रीमिया और दूसरे इलाकों को आजाद कर दे। इससे शांतिपूर्ण तरह से मसला हल किया जा सकेगा। लेकिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने समय-समय पर यह बताया है कि वे शांति के लिए तैयार नहीं है।” दूसरी तरफ, चीन ने कहा है कि वह अपने मिलिट्री प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को पूरी जिम्मेदारी से संभालता है। अमेरिका को टारगेट करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे ऊपर आरोप लगाने से किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा। जो लोग आग को हवा देते हैं, वे खुद उसकी चपेट में आ जाते हैं। रूस-यूक्रेन मसले का हल सिर्फ राजनीतिक समझौते के जरिए ही निकाला जा सकता है। पुतिन बोले- चीन-रूस भाई जैसे; जिनपिंग ने गले लगाया
दरअसल पुतिन इस वक्त 2 दिन के दौरे पर चीन गए हुए हैं। गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद पुतिन ने कहा कि रूस और चीन भाई जैसे हैं। जिनपिंग ने सोवियत काल की धुन के साथ उनका स्वागत किया। प्रेस ब्रीफिंग के वक्त दोनों नेताओं ने कहा था कि रूस और चीन की दोस्ती दुनिया में चल रही वर्चस्व की लड़ाई के बीच स्थिरता लाने का काम करती है। अपने दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को पुतिन चीन के हार्बिन शहर पहुंचे। इसे चीन का ‘लिटिल मॉस्को’ कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1917-22 के दौरान जब रूस में गृह युद्ध चल रहा था, तब हजारों रूसी हार्बिन शहर रहने पहुंचे थे। तब मॉस्को से रूस के पश्चिम में मौजूद व्लादिवोस्तोक शहर को जोड़ने के लिए हार्बिन के रास्ते रेलवे लाइन बिछाई गई थी। गुरुवार को यहां पहुंचे राष्ट्रपति पुतिन ने 1940 में जापान के साथ जंग के दौरान मारे गए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। जिनपिंग रूस से सस्ते दामों पर गैस आयात करने और पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन के बारे में चर्चा करेंगे। इस पाइपलाइन के जरिए रूस साइबेरिया से मंगोलिया होते हुए चीन को गैस सप्लाई करता है। चीन के साथ व्यापार बढ़ाकर अर्थव्यवस्था सुधारना चाहता है रूस
BBC न्यूज के मुताबिक, मॉस्को के टॉप एनर्जी ऑफिशियल ने बताया कि इस दौरे में पुतिन का फोकस पावर ऑफ साइबेरिया 2 प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट को फाइनल करना है। इस पाइपलाइन के जरिए रूस साइबेरिया से मंगोलिया होते हुए चीन को गैस सप्लाई कर सकेगा। दरअसल, यूक्रेन जंग के बाद से यूरोप को जाने वाली नेचुरल गैस की सप्लाई रुकी हुई है। ऐसे में रूस इसे अब चीन भेजना चाहता है। अपनी यात्रा के दौरान पुतिन का पूरा फोकस चीन के साथ व्यापार बढ़ाने पर है। इसके जरिए वह 3 साल से जंग में शामिल रूस की अर्थव्यवस्था को मतबूत करना चाहता है। दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद से ज्यादातर यूरोपीय और पश्चिमी देशों ने रूस के साथ व्यापार रोक दिया है। इस बीच रूस और चीन के बीच ट्रेड में बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2021 की तुलना में 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 64% बढ़कर 20 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। साल 2023 में चीन रूस का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया।