चीन के बगल में स्थित एक छोटे सा देश ताइवान आज पूरी दुनिया को सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई कर रहा है। चिप्स की बढ़ती डिमांड के चलते अब अमेरिका, जापान जैसे देश भी चिप्स प्लांट का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। अब इस रेस में भारत भी शामिल हो चुका है। भारत में गुजरात और असम में सेमीकंडक्टर चिप्स के प्लांट तैयार हो रहे हैं। गुजरात में दो प्लांट बनने हैं, एक साणंद में और दूसरा धोलेरा में। तीसरा प्लांट असम में बनाया जाएगा। धोलेरा का प्लांट तो ताइवान की मदद से ही तैयार किया जा रहा है। इन प्लांट्स के तैयार हो जाने के बाद देश के इंजीनियर्स को भारत से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। वहीं, इस समय ताइवान की चिप इंडस्ट्री में इंजीनियर्स की भारी कमी है और ताइवान की इस जरूरत को भारत के इंजीनियर्स पूरा कर रहे हैं। इससे पहले कि गुजरात और असम में आगामी सेमीकंडक्टर प्लांट्स की बात करें, आइए भारत-ताइवान के बीच रिश्तों पर नजर डालते हैं… चीन कहता है- ताइवान हमारा हिस्सा है, ताइवान कहता है- हम अलग देश
चीन और ताइवान के रिश्ते तनाव से भरे हैं। 1911 में चीन में कुओमितांग सरकार का गठन हुआ। 1949 में यहां गृह युद्ध छिड़ गया और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद, कुओमितांग ताइवान रवाना हो गए। इसके बाद 1949 में चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का नाम ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ रखा गया। हालांकि, चीन का दावा है कि ताइवान अलग देश नहीं, बल्कि उसका ही हिस्सा है, जबकि ताइवान का कहना है कि वह अलग देश है। कैसे हैं भारत-ताइवान के रिश्ते?
भारत-ताइवान संबंध व्यापार, संस्कृति और शिक्षा पर केंद्रित हैं। हालांकि, चीनी संवेदनशीलता के कारण इन क्षेत्रों को अब तक लो-प्रोफाइल रखा गया है। चीन और भारत के बीच डोकलाम विवाद के बाद 2017 में भारत और ताइवान के बीच संसदीय प्रतिनिधिमंडल का दौरा और विधायी स्तर की बातचीत निलंबित कर दी गई थी। हालांकि, पिछले कुछ समय से चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के चलते भारत ने ताइवान के साथ अपने रिश्ते बरकरार रखने की कोशिश की है। 2008 के बाद जब ताइवान के मंत्रियों ने भारत का दौरा किया तो कुछ छिटपुट प्रयास किए गए, लेकिन ये भारत को जानने तक ही सीमित थे। संक्षेप में कहें तो भारत-ताइवान के रिश्ते अच्छे हैं। मोदी ने ताइवान को मित्र देश बनाने की पहल की है
भारत-ताइवान संबंधों को 2014 में बड़ा बढ़ावा मिला, जब प्रधान मंत्री मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में ताइवान के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। ताइवान के मुद्दे पर मोदी का राजनीतिक नजरिया था और पहले उन्होंने ताइवान के साथ रिश्ते बनाने की पहल की थी। 1999 में, मोदी ने भाजपा महासचिव के रूप में ताइवान का दौरा किया था। 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने भारत में सबसे बड़े ताइवानी प्रतिनिधिमंडल का आयोजन किया। प्रधानमंत्री रहते हुए भी उन्होंने ताइवान के साथ रिश्ते बनाए रखे हैं। हालांकि, भारत ने कभी भी ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। ‘ताइवान को इंजीनियर्स की जरूरत
ताइवान के विदेश मंत्री डॉ. जोसेफ वू ने संवाददाताओं से कहा था कि 16 फरवरी, 2024 को ताइवान और भारत ने श्रम बल सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और यह समझौता भारत के लिए ताइवान को अपने कुशल इंजीनियर प्रदान करने के लिए था। ताइवान में सेमीकंडक्टर बिजनेस बहुत बड़ा है, लेकिन वर्तमान में वहां युवा इंजीनियरों की कमी है। यह कमी भारत के युवाओं से पूरी की जा सकती है। ताइवान आपसी समझ और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा था कि वह भारतीय इंजीनियर्स का ‘स्वागत’ करेंगे। ताइवान में काम करने आने वाले भारतीय युवाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाएगा। दोनों देशों के बीच इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच इंजीनियरों की कमी को दूर करना है। ताइवान के नागरिक भी भारतीय इंजीनियरों को पर्याप्त सहयोग देंगे। ताइवान सरकार का लक्ष्य आदान-प्रदान के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ साझेदारी को मजबूत करना है। धोलेरा यानी गुजरात का ‘सिंचू शहर’!
धोलेरा (SIR) अहमदाबाद से करीब 100 किमी की दूरी पर धोलेरा में SIR (स्पेशल इंवेस्टमेंट रीजन) प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यहां इतनी बड़ी जगह है कि अहमदाबाद से भी बड़ा शहर बसने वाला है। यहां सिंगापुर जैसा अत्याधुनिक शहर बसाया जा रहा है। जैसे ताइवान का सिंचू वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बन गया है, वैसे ही धोलेरा भी गुजरात का सेमीकंडक्टर हब बनेगा। सिर्फ सेमीकंडक्टर ही नहीं, कई व्यवसाय यहां आएंगे। इसमें डिफेंस, एविएशन, फार्मास्यूटिकल्स, एग्रो और फूड प्रोसेसिंग, हाईटेक इंजीनियरिंग जैसे बिजनेस शामिल होंगे। सड़कों का काम पूरा हो चुका है और कई छोटे प्लांट भी शुरू हो चुके हैं। सेमीकंडक्टर पॉलिसी बनाने वाला गुजरात देश का पहला राज्य
गुजरात सरकार ने 2022 से 2027 तक के लिए सेमीकंडक्टर नीति बनाई है और यह नीति बनाने वाला वह भारत का पहला राज्य बन गया है। ‘गुजरात सेमीकंडक्टर नीति 2022-27’ के तहत सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को सब्सिडी और प्रोत्साहन दिया जाएगा। परियोजना के लिए कुल 75 प्रतिशत सब्सिडी और भूमि खरीद पर जीरो स्टांप शुल्क की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही पहले 5 साल तक प्लांट को 12 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर की दर से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। ताइवान की एक कंपनी है पार्टनर
टाटा ग्रुप और ताइवान की पॉवचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC) धोलेरा में 91 हजार करोड़ रुपये की लागत से प्लांट लगा रहे हैं। मार्च-2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली इस प्लांट का शिलान्यास किया था। इस प्लांट में 28 नैनोमीटर से लेकर 14 नैनोमीटर तक के चिप्स बनाए जाने हैं। इन चिप्स का इस्तेमाल टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन समेत गैजेट्स में किया जाता है। PSMC की ताइवान में 6 चिप फाउंड्री हैं। गुजरात में प्लांट बनने पर इसकी क्षमता 50 हजार वेफर्स प्रति माह होगी। अमेरिका की माइक्रोन कंपनी साणंद में प्लांट लगाएगी
अमेरिकी माइक्रोचिप निर्माता कंपनी माइक्रोन कंपनी साणंद में प्लांट लगाएगी। इसके लिए अगस्त-2023 में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की मौजूदगी में MoU पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस MoU से पहले जुलाई-2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे और वहां माइक्रोन कंपनी ने गुजरात में प्लांट लगाने का ऐलान किया था। प्लांट के निर्माण का काम 2027 तक पूरा हो जाएगा। जापान और थाईलैंड की एक कंपनी भी चिप प्लांट लगाएगी
जापान की रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन और थाईलैंड की स्टार माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ मिलकर गुजरात के साणंद में प्लांट बनाएगी। यह सेमीकंडक्टर प्लांट 7,600 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा। यहां हर दिन 1.5 करोड़ चिप्स बनाए जा सकते हैं। इससे प्रत्यक्ष रूप से 20 हजार और अप्रत्यक्ष रूप से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। असम में 27 हजार करोड़ रुपए के निवेश से प्लांट लगाया जा रहा
टाटा ग्रुप की टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) गुजरात के अलावा असम के मोरीगांव में 27 हजार करोड़ रुपए के निवेश से प्लांट लगा रही है। इस प्लांट में रोजाना 4.8 करोड़ चिप्स बनाने की कैपेसिटी होगी। मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका भूमिपूजन किया था।
(कल तीसरे एपिसोड में हम जानेंगे कि ताइवान सेमीकंडक्टर हब कैसे बना, सिंचू साइंस पार्क कैसा है और इसकी विशाल कंपनी टीएसएमसी का चिप्स इंडस्ट्री में क्या रोल है)