ताइवान में तीन दिन पहले चीन विरोधी नेता विलियम लाई चिंग-ते के राष्ट्रपति की शपथ के बाद चीन ने गुरुवार को ताइवान को चारों तरफ से घेरकर दो दिन का युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। ऐसा पहली बार है जब चीन ताइवान के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास कर रहा है। इससे पहले तक वह सिर्फ ताइवान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता आया है। दरअसल, ताइवान में इस साल जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन ने उम्मीदवार लाई चिंग ते को अलगाववादी कहा था। साथ ही ताइवानियों को चेतावनी दी थी कि अगर वे सैन्य संघर्ष से बचना चाहते हैं, तो सही विकल्प चुनें। हालांकि, चीन की धमकी के बावजूद ताइवान में चीनी विरोधी नेता लाई चिंग-ते को जीत हासिल हुई। उनकी शपथ के बाद चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल ली शी ने कहा था कि ताइवानियों को इसकी सजा मिलेगी। शी ने कहा था कि चीन की थल सेना, नौसेना और वायु सेना इस संयुक्त अभ्यास से ताइवान की आजादी को बढ़ावा देने वाले अलगाववादियों को जवाब देंगे। इस अभ्यास में लड़ाकू विमान और नौसेना के कई युद्धपोत शामिल हैं। ताइवान और उसके आसपास के द्वीपों को घेरकर चीनी सेना का युद्धाभ्यास
चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीनी सेना के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने यह युद्धाभ्यास स्थानीय समयानुसार सुबह 7:45 बजे (भारतीय समय के मुताबिक सुबह 5:15 बजे) शुरू किया। चीन ने इस अभ्यास को ‘जॉइंट स्वॉर्ड-2024A’ नाम दिया है। इसके अलावा ताइवान के आसपास के द्वीपों किनमेन, मात्सु, वुकिउ और डोंगयिन में भी अभ्यास किया जा रहा है। मैप में देखिए कि चीन की सेनाएं कहां-कहां युद्धाभ्यास कर रही हैं… ताइवानी राष्ट्रपति बोले- चीनी सैन्य अभ्यास रोके, इलाके में शांति की जरूरत
ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने चीन से सैन्य अभ्यास रोकने को कहा है। लाई ने चीन से अपील की है कि वह अपने आक्रोश को रोककर पूरे इलाके में शांति बनाए रखने की कोशिश करे। लाई के मुताबिक जिन द्वीपों के पास अभ्यास चल रहा है वे ताइवान के हैं। वहीं, ताइवानी सेना को भी अलर्ट पर रखा गया है, जिससे पूरे इलाके में शांति बनी रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद लाई चिंग-ते ने भी अपने पहले संबोधन में कहा था कि ताइवान स्वतंत्र देश है, जो देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकता है। ताइवान सरकार अपने लोकतंत्र और आजादी को लेकर कोई भी समझौता नहीं करेगी। इसके अगले ही दिन चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, “ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते और उनके साथियों ने अपनी हरकतों से देश ही नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों को भी धोखा दिया है।” वांग यी ने आगे कहा, “ताइवान को चीन में मिलाने से हमें कोई नहीं रोक सकता। वह अपनी मातृभूमि में जरूर मिलेगा। तब ताइवान में आजादी की मुहिम चलाने वाले अलगाववादियों को कीलों से शर्म के पिलर पर लगा दिया जाएगा।” चीनी सेना के 96 साल पूरे होने पर भी हुआ था युद्धाभ्यास
इससे पहले पिछले साल अगस्त में भी चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक ताइवान पर हमले के लिए ट्रेनिंग करते नजर आए थे। PLA के 96 साल पूरे होने पर चीन ने स्टेट मीडिया CCTV पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इसका नाम झू मेंग या चेसिंग ड्रीम्स था। इसमें चीनी सेना किसी भी पल जंग के लिए तैयार नजर आई थी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, 8 ऐपिसोड की डॉक्यूमेंट्री का मकसद ताइवान की डिफेंस फोर्स के सामने PLA के आत्मविश्वास को दिखाना था। अमेरिका-चीन के रिश्तों में ताइवान सबसे बड़ा फ्लैश पॉइंट
अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमैटिक रिश्ते तोड़ लिए। हालांकि चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा। अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अस्पष्ट नीति अपनाता है। राष्ट्रपति जो बाइडेन फिलहाल इस पॉलिसी से बाहर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसके बचाव में उतरेगा। बाइडेन ने हथियारों की बिक्री जारी रखते हुए अमेरिकी अधिकारियों का ताइवान से मेल-जोल बढ़ा दिया है। इसका असर ये हुआ कि चीन ने ताइवान के हवाई और जलीय क्षेत्र में अपनी घुसपैठ आक्रामक कर दी है। NYT में अमेरिकी विश्लेषकों के आधार पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सैन्य क्षमता इस हद तक बढ़ गई है कि ताइवान की रक्षा में अमेरिकी जीत की अब कोई गारंटी नहीं है। चीन के पास अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और अमेरिका वहां सीमित जहाज ही भेज सकता है। अगर चीन ने ताइवान पर कब्जा कर लिया तो पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा दिखाने लगेगा। इससे गुआम और हवाई द्वीपों पर मौजूद अमेरिका के मिलिट्री बेस को भी खतरा हो सकता है।