हमास नेता और इजराइल पर हमलों का मास्टर माइंड याह्या सिनवार राफा में नहीं है। टाइम्स ऑफ इजराइल ने अधिकारियों के हवाले से ये दावा किया है। ये जानकारी ऐसे वक्त आई है जब नेतन्याहू हमास की लीडरशिप के खात्मे के लिए राफा में इजराइली सैनिकों को घुसाने की तैयारी में हैं। अधिकारियों के मुताबिक हाल ही की इंटेलिजेंस के मुताबिक सिनवार राफा से 5 मील दूर खान युनिस की सुरंगों में छिपा है। उसे आखिरी बार फरवरी में हमास की बनाई सुरंगों से गुजरते हुए देखा गया था। वो अपने परिवार के लोगों के साथ था। इस जानकारी के बावजूद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गाजा के आखिरी बचे शहर राफा में मिलिट्री ऑपरेशन को जरूरी बता रहे हैं। उनका कहना है कि वे हमास की लीडरशिप का जड़ से मिटाने के लिए राफा में घुस रहे हैं। जबकि अमेरिका भी इसका विरोध कर रहा है। इस फुटेज में सिनवार को गाजा की सुरंगों में देखा जा सकता है। जंग के 7 महीने बाद भी हमास नेता इजराइल की पकड़ से बाहर
इजराइल-हमास जंग शुरू हुए 7 महीने गुजर चुके हैं। इजराइल ने अब तक हमास की 24 बटालियन में से इजराइल ने 18 बटालियन को खत्म कर दिया है। हालांकि, ये इजराइली सेना के ऑपरेशन के बाद दोबारा एक्टिव हो जाती हैं और हमले करती हैं। वहीं, इजराइल अब तक हमास की टॉप लीडरशिप में नंबर 3 पर आने वाले हमास के मिलिट्री विंग के कमांडर मारवान इसा को ही मार पाया है। नंबर एक पर आने वाले सिनवार और नंबर 2 पर मोहम्मद दाएफ अभी भी इजराइली सेना की पकड़ से बाहर हैं। राफा में घुसपैठ का विरोध क्यों हो रहा?
इजराइल पर गाजा में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। वहां जगह-जगह सामुहिक कब्र मिल रही हैं। इनमें से अब तक 500 शव निकाले जा चुके हैं। कई शवों पर टॉर्चर के निशान हैं। UN, अमेरिका और EU ने इनकी जांच की मांग की है। इस बीच इजराइल गाजा के दक्षिण में आखिरी पड़ाव मिस्र बॉर्डर के पास बसे राफा में भी मिलिट्री ऑपरेशन चलाना चाहता है। जबकि पहले लोगों को उत्तरी गाजा छोड़कर इस इलाके में चले जाने को कहा गया था। यहां 10 लाख से ज्यादा लोग पनाह लिए हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां मिलिट्री ऑपरेशन चलाने में ज्यादा आम लोग मारे जाएंगे। ऐसे में अमेरिका समेत पश्चिमी देश नहीं चाहते की इजराइल राफा में ऑपरेशन चलाए। कौन हैं याह्या सिनवार और मोहम्मद दाएफ जिन्हें पकड़ने के लिए अमेरिका की भी नहीं सुन रहा इजराइल इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि हमास लीडरशिप राफा में छिपकर बैठी है। जिन्हें इजराइल 7 अक्टूबर को हुए हमले का जिम्मेदार मानता है। इन्हें पकड़ने के लिए सेना राफा में ऑपरेशन चलाना चाहती है। हमास लीडरशिप में टॉप पर याह्या सिनवार और मोहम्मद दाएफ हैं। याह्या सिनवार
याह्या सिनवार, गाजा में हमास की सियासी विंग के लीडर हैं। वो इजराइल के मोस्ट वॉन्टेड लोगों में से एक हैं। याह्या सिनवार, इस्माइल हानिया के बाद हमास के दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। 61 बरस के याह्या सिनवार को लोग अबु इब्राहिम के नाम से भी जानते हैं। उनका जन्म गाजा पट्टी के दक्षिणी इलाके में स्थित खान यूनिस के शरणार्थी शिविर में हुआ था। याह्या के मां-बाप अश्केलॉन के थे, लेकिन, जब 1948 में इसराइल की स्थापना की गई, और हज़ारों फलस्तीनियों को उनके पुश्तैनी घरों से निकाल दिया गया, तो याह्या के माता-पिता भी शरणार्थी बन गए थे। फलस्तीनी उसे ‘अल-नकबा’ यानी तबाही का दिन कहते हैं। BBC के मुताबिक याह्या सिनवार को पहली बार इसराइल ने 1982 में गिरफ़्तार किया था। उस समय उसकी उम्र 19 साल थी। याह्या पर ‘इस्लामी गतिविधियों’ में शामिल होने का इल्जाम था। 1985 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया। लगभग इसी दौरान, याह्या ने हमास के संस्थापक शेख़ अहमद यासीन का भरोसा जीत लिया। 1989 में इजराइल ने उसे पकड़ा था। इस दौरान उसने कई खुलासे किए थे। उसने बताया था कि कैसे उसने कई फिलिस्तीनियों की हत्या की क्योंकि उसको इन पर गद्दारी का शक था। 1987 में हमास की स्थापना के दो साल बाद, याह्या ने इसके बेहद खतरनाक कहे जाने वाले अंदरूनी सुरक्षा संगठन, अल-मज्द की स्थापना की। तब सिनवार 25 साल का था। 1989 में वो फिर गिरफ्तार हो गया और 22 साल इजराइल की जेल में रहा। 2011 में जब कैदियों की अदला-बदली का समझौता हुआ, तो इजराइल के एक सैनिक गिलाड शलिट के बदले में इजराइल ने 1027 फिलिस्तीनी इजराइली अरबी कैदियों को रिहा किया। इनमें याह्या सिनवार भी शामिल थे। इसके बाद वो हमास के नेता बने। मोहम्मद दाएफ
देइफ 2002 से हमास के मिलिट्री विंग का हेड है। मोहम्मद देइफ 1965 में गाजा के खान यूनिस कैंप (रिफ्यूजी कैंप) में पैदा हुआ था। उस समय गाजा पर इजिप्ट का कब्जा था। 1950 में इजराइल में हथियार लेकर घुसपैठ करने वालों में उसका पिता भी शामिल था। बचपन से ही उसने अपने रिश्तेदारों को फिलिस्तीन की लड़ाई लड़ते हुए देखा था। देइफ ने गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। 20 की उम्र के बाद देइफ की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है। हमास की स्थापना 80 के दशक के अंत में हुई। तब देइफ की उम्र करीब 20 साल थी। ये वो समय था जब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजराइल के कब्जे के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह की शुरुआत हुई थी। इस दौरान देइफ को आत्मघाती बम विस्फोटों में दर्जनों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद 1993 में इजराइल-फिलिस्तीन से हजारों मील दूर अमेरिका में एक समझौता हुआ। इसे दुनिया ओस्लो समझौते के नाम से जानती है। ये शांति समझौता इजराइल और फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत 10 सितंबर, 1993 को PLO ने इजराइल को मान्यता दे दी। बदले में इजराइल ने भी बड़ा फैसला लिया। उसने PLO को फिलिस्तीन का आधिकारिक प्रतिनिधि माना, लेकिन हमास को ये बात रास नहीं आई। उसका कहना था कि फिलिस्तीन को वो सारी जमीन वापस की जानी चाहिए जो उसके पास 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के पहले तक थी। ओस्लो समझौते के खिलाफ 1996 में इजराइल में एक अटैक हुआ। इसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसका आरोप भी देइफ पर लगा। देइफ को 7 से ज्यादा बार मारने की कोशिश हुई
देइफ सालों से इजराइल की “मोस्ट वांटेड” लिस्ट में टॉप पर है। इजराइल ने 2021 में उसे 7 बार मारने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। अमेरिका का विदेश विभाग उसे आतंकवादी घोषित कर चुका है। अमेरिका के मुताबिक 2014 में जब इजराइल और हमास के बीच जोरदार संघर्ष हुआ, उस दौरान देइफ ने ही हमास की आक्रामक रणनीति बनाई थी। 2014 में, इजराइली सेना ने एक घर पर हमले कर ​​​​देइफ को जान से मारने की कोशिश की। इसमें भी वो नाकाम रही। हमले में देइफ की पत्नी और सात महीने का बेटा और एक 3 साल की बेटी मारी गई। न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट और इजराइली पत्रकार रोनेन बर्गमैन के मुताबिक देइफ हमास का एकमात्र मिलिट्री कमांडर है जो इतने लंबे समय से जीवित है। इतनी कोशिशों के बावजूद देइफ के न मारे जाने की वजह से उसको ‘बुलेट प्रूफ लीजेंड’ कहा जाता है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में इजराइली अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि देइफ ने यरुशलम और तेल अवीव में बसों और सैनिकों को टारगेट किया है।