जी टीवी के ‘रामायण’ में सीता और ‘यशोमति मैया के नन्दलाला’ में यशोदा का किरदार निभा चुकी टीवी एक्ट्रेस नेहा सरगम को मिर्जापुर की सलोनी भाभी के रूप में खूब लोकप्रियता मिली है। जब इस सीरीज में नेहा को काम करने का ऑफर मिला तो उनके पेरेंट्स ने स्वच्छ काम करने की सलाह दी थी। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि सीजन 3 में इंटीमेट सीन है तो खूब रोई। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान नेहा ने बताया कि एक्टिंग में कोई उनकी दिलचस्पी ही नहीं थी। वो सिंगिंग में अपनी किस्मत आजमाना चाहती थी। आइए जानते हैं कि बातचीत के दौरान नेहा सरगम ने सवाल जवाब के दौरान और क्या कहा….. अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं? मैं म्यूजिकल फैमिली हूं। मेरे नाना पद्मश्री सियाराम तिवारी जी मुझे गोद में बिठाकर गाते थे। उनके साथ मैं भी गाती थी। मैं तीन साल की उम्र से गा रही हूं। नाना जी घर में बहुत ही साधारण तरीके से रहते थे। हमें कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वो कितनी बड़ी शख्सियत हैं। नाना जी नेपाल नरेश, प्रेसीडेंट और प्राइम मिनिस्टर से मिलकर आते थे फिर भी मैंने उनको साधारण ही देखा। नाना जी बाबू जी कहते थे क्योंकि मां से यही सुनते आए थे। स्कूल के कार्यक्रम गाती रहती थी तो वहां बहुत ही रिस्पेक्ट मिलती थी। सुना है कि दोस्तों ने आपका नाम इंडियन आइडल में जबरदस्ती रजिस्टर्ड करवा दिया था? जब इंडियन आइडल का पहला सीजन शुरू हुआ था। घर वालों ने सलाह दी थी कि जाना चाहिए। पहले सीजन में वोटिंग राउंड तक ही पहुंच पाई थी। वह टेलिकास्ट नहीं हुआ था। मुझे रिएल्टी शोज और कंपटीशन पसंद नहीं थे। मैं दोबारा इंडियन आइडल में भाग नहीं लेना चाहती थी। सीजन 4 में दोस्तों ने जबरदस्ती नाम रजिस्टर्ड करवा दिया। लेकिन जाने से पहले एक्सीडेंट हो गया था। फिर भी मैंने भाग लिया था। इसका ऑडिशन काफी वायरल हुआ था। इसी वायरल ऑडिशन की वजह से एक्टिंग में आपको पहला मौका राजन शाही के सीरियल ‘चांद छुपा बादल में’ मिला? इस सीरियल की कास्टिंग टीम ने पहले किसी और शो के लिए ऑडिशन लिया था। उस ऑडिशन को राजन शाही ने देखा था। उन्हें लगा कि निवेदिता की भूमिका के लिए मैं परफेक्ट हूं। तब तक मैंने एक्टिंग के बारे में नहीं सोचा था। मुझे लग रहा था कि एक्टिंग नहीं कर पाऊंगी। राजन शाही ने मेरे पेरेंट्स से बात की। मैं मम्मी के साथ मुंबई आ गई। ऑडिशन दिया और ‘चांद छुपा बादल में’ के लिए सिलेक्ट हो गई। पहले दिन की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा? सीरियल की शूटिंग शिमला से शुरू हुई थी। पहले दिन का शॉट मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था। सीन में दिखाया गया है कि छोटे भाई को मार्क्स कम मिले हैं और वो घर छोड़कर भाग गया है। उसे पूरे शिमला में मुझे ढूंढना है। उस समय लग रहा था कि कहां आकार फंस गई। टीवी में काम करना बहुत ही मुश्किल होता है। अपनी पर्सनल लाइफ भूल जाते हैं। इसके बाद तो अपने बहुत सारे फिक्शन और रिलीजियस शो किए। दोनों में क्या फर्क होता है? रिलीजियस और हिस्टोरिकल शो की कास्टिंग बहुत मुश्किल होती है। इसके लिए इंसान को अच्छा दिखने के साथ-साथ डायलॉग डिलीवरी भी अच्छी होनी चाहिए। इसके अलावा रिलीजियस और हिस्टोरिकल शो के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए। इसके बारे में मुझे कास्टिंग वालों ने बहुत पहले ही बता दिए थे। टीवी करते समय सबसे ज्यादा चैलेंजिंग क्या था? सबसे ज्यादा चैलेंजिंग होता है कि नींद कैसे पूरी हो। इसके लिए प्रोडक्शन वालों से लड़ना भी पड़ता है। मैं यही चाहती थी कि किसी तरह से आठ घंटे की नींद पूरी हो जाए। मिर्जापुर सीरीज में काम करने का मौका कैसे मिला? मैं एक म्यूजिकल शो ‘मुगल- ए-आजम’ करती हूं। इसमें मैं अनारकली का किरदार निभाती हूं। इस शो को देखकर कास्टिंग डायरेक्टर ने मेरी कास्टिंग की थी। इस शो को फिरोज अब्बास खान डायरेक्ट करते हैं। एक बार इस शो को देखने रेखा जी आईं थीं। उन्होंने कहा था कि अपने फैन के लिस्ट में सबसे ऊपर मेरा नाम लिख लेना। पहले मुझे मिर्जापुर के लिए माधुरी के किरदार के लिए बुलाया गया था। उसके बाद मुझे सलोनी की भूमिका के लिए कास्ट किया गया। जब ‘मिर्जापुर’ में आपकी कास्टिंग हुई तो पेरेंट्स के क्या रिएक्शन थे? मैंने इस सीरीज का पहला सीजन मम्मी को दिखाया था। वो बोलीं कि बड़ी आसानी से गाली दे रहे हैं। जब मैंने पेरेंट्स को बताया था कि इसमे काम करने का ऑफर मिला है। उनका यही सुझाव था कि शो वालों को बोल दो कि तुमसे स्वच्छ काम करवाए। जब मेरी क्रिएटिव टीम से मीटिंग हुई उनको पेरेंट्स की बात बताई तो उन्होंने कहा कि मेरा प्रॉमिस है कि सीजन 2 में आप का ऐसा कुछ नहीं है, स्वच्छ ही रहेगा। लेकिन जब सीजन 3 में इंटीमेट सीन के बारे में बताया गया तब क्या रिएक्शन था? मैं शॉक्ड थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था। मैं उन्हें पहले ही बता चुकी थी कि इस तरह के सीन नहीं कर पाऊंगी। मैंने स्क्रिप्ट बहन को पढ़ने के लिए दी। उसने कहा कि तुम यह कैसे करोगी? मैं रोने लगी। मम्मी ने समझाया कि सभी तो आजकल ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन यह सीन करते वक्त मैं बहुत नर्वस थी। ऐसा लोगों को क्यों लगता है कि टीवी का टैग फिल्म और ओटीटी के लिए सही नहीं है? जो लोग कास्टिंग करते हैं, उनको रिक्वायरमेंट ही ऐसी दी जाती है कि कैसी लड़की चाहिए। लोग ऐसा नहीं सोचते हैं कि किसी और को ट्राई करना चाहिए। वेब सीरीज में एक ही चेहरा हर जगह होता है। टीवी और फिल्म में भी ऐसा ही होता है। अगर कोई एक्टर कॉमेडी कर रहा है तो उसको उसी रोल में कास्ट करते रहेंगे। लोगों मे दिमाग में ऐसी बातें बैठ जाती हैं कि वो उसी तरह का रोल कर सकता है। इस वजह से लोग रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। आपकी जर्नी की सबसे खूबसूरत कौन सी बात है? मैं कभी भी सक्सेस और फेलियर से विचलित नहीं होती हूं। एक्टर का मतलब ही स्ट्रगल होता है। हर कोई स्ट्रगल कर रहा है। भले ही कितना ऊपर क्यों ना पहुंच जाए। सक्सेस और फेलियर के बीच कभी भी गलत चक्करों में नहीं पड़ती हूं। मेरे दिमाग और जिंदगी में एक बात बहुत ही स्पष्ट है कि मेरी जरूरतें बहुत ही साधरण हैं। कभी कोई शॉकिंग एक्सपीरियंस रहा है? ऐसा कोई एक्सपीरियंस तो नहीं रहा है। अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो यह इंडस्ट्री बहुत ही सुरक्षित है। मुझे ऐसा लगता है कि बाहरी दुनिया से ज्यादा मैं इंडस्ट्री में खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं। यहां के लोग बहुत ही प्रोफेशनल हैं। आपके लिए सबसे बड़ा स्ट्रगल क्या रहा है? जो काम सामने से आता था। अगर मुझे सहीं नहीं लगता था तो उसमें काम करने से मना कर देती हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़ा स्ट्रगल रहा है। आपका कोई ड्रीम रोल है? यह समय के अनुसार बदलता रहता है। एक समय मुझे लगता था कि डॉक्टर का रोल करना है। मुझे लगता है कि डॉक्टर के रोल में अच्छी दिखूंगी। लेकिन अभी सोचती हूं कि इंवेस्टिगेटिव वाले रोल करूं। लेकिन क्यों, मुझे पता नहीं है।