सोहम शाह, जिन्होंने हाल ही में ‘कर्तम भुगतम’ नाम की एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म का निर्देशन किया, शिल्पकारी के प्रति अपनी अनूठी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। इस फिल्म में श्रेयस तलपड़े और विजय राज ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं। अब वह अपनी अगली वेब सीरीज ‘ब्लड मून’ पर काम कर रहे हैं, जो उनकी लिखी हुई नॉवेल पर आधारित है। हाल ही में दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में उन्होंने इस प्रोजेक्ट और हॉरर जॉनर पर अपने विचार शेयर किए। आपकी नॉवेल ‘ब्लड मून’ को वेब सीरीज में बदलने का आइडिया कैसे आया? यह एक सिंपल लेकिन बहुत डरावनी कहानी है। इसमें एक फैमिली एक जगह जाती है, और वहां उनके साथ अजीब घटनाएं होती हैं। कहानी 2024-25 के दौर की है, यानी अभी के दौर की। यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो सीरियस हॉरर में आता है। बहुत समय से हमारे यहां सीरियस हॉरर में कोई बड़ी फिल्म नहीं आई है। इसलिए मैंने यह नावेल लिखा, जिसका फील थोड़ा ‘कंज्यूरिंग’ जैसी फिल्मों से मिलता है। इसके 10 एपिसोड लिखे जा चुके हैं और ओटीटी से बात चल रही है। जैसे ही ग्रीन लाइट मिलेगी, हम इस पर काम शुरू कर देंगे। कहानी और इसके किरदारों को डिजाइन करने के पीछे आपकी सोच क्या थी? इस नॉवेल को मैंने अपने कई सालों के अनुभवों से तैयार किया है। करीब 25-30 साल से मैं माथेरान में एक होटल में ठहरता आ रहा हूं। उस होटल की बैक स्टोरी मैंने इस तरह से डिज़ाइन की कि क्या हुआ होगा उस होटल के साथ, जो आज खंडहर जैसा हो गया है? कोई उसे खरीदने को तैयार नहीं है, कोई उसमें ठहरने को नहीं आता। सवाल ये है कि पास्ट में ऐसा क्या हुआ जो आज वो होटल इस हालत में पहुंच गया? ऐसी, बहुत सी कहानियां जो आप रियल लाइफ में सुनते हो या एक्सपीरियंस करते हो, वो आपकी कहानियों का हिस्सा बन जाती हैं। उदाहरण के लिए, मैं खुद एक बार माथेरान में था, जब सुबह करीब 10-11 बजे एक बहुत बड़ी खबर फैली। घाटकोपर के मनीष शाह नाम के एक डायरेक्टर की वहां घुड़सवारी के दौरान मौत हो गई थी। वो घोड़े से गिर गए और मौके पर ही उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया। इस घटना ने माथेरान के बारे में कई थ्योरी को जन्म दिया- कि वहां घोड़े पागल हो जाते हैं, लोग हेलमेट नहीं पहनते, और ऐसी कई घटनाओं की वजह से डर का माहौल बन जाता है। पिछले एक-डेढ़ साल में माथेरान में इसी तरह की चार-पांच मौतें हो चुकी हैं। क्या आप इस वेब सीरीज के लोकेशन के बारे में और विस्तार से बता सकते हैं? ये पूरी तरह से लोकेशन-बेस्ड वेब सीरीज है, जिसमें मुंबई की सबसे हॉन्टेड जगहों को दिखाया जाएगा। 13 जगहें शामिल हैं, जैसे मुकेश मिल, माहिम का चौल, और एक फेमस हाई-फाई बिल्डिंग, जिसमें फिफ्थ फ्लोर पर एक फ्लैट हॉन्टेड बताया जाता है। मैंने रिसर्च किया है कि आखिर इन जगहों की बैक स्टोरी क्या थी, क्यों इन्हें हॉन्टेड माना जाता है। ये सारी कहानियां उस जगह की एनर्जी से जुड़ी हैं। हॉरर फिल्में बनाना कितना मुश्किल होता है? हॉरर जॉनर बहुत मुश्किल है। जैसे कॉमेडी में गैरंटी नहीं होती कि लोग कब हसेंगे, वैसे ही हॉरर में भी गैरंटी नहीं होती कि लोग कब डरेंगे। ऑडियंस को डराना आसान नहीं है, खासकर जब 300-400 लोग थिएटर में बैठकर एक साथ देख रहे हों। लेकिन अगर सस्पेंस और स्टोरी सही हो, तो ये बहुत मजेदार और इंट्रिगिंग होता है।