प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। मोदी पहली बार 1993 में अमेरिका गए थे। उस समय वे एक महीने तक अमेरिका में रहे थे। इसके बाद 10 दिनों के लिए अमेरिका से ही जर्मनी गए थे। हाल ही में दिव्य भास्कर ने 1993 में मोदी के साथ अमेरिका गए लोगों और वहां रह रहे गुजरातियों से खास बातचीत की तो मोदी की पहली अमेरिका यात्रा से जुड़ी कई रोचक बातें सामने आईं। 1993 में अमेरिका क्यों गए थे मोदी? अमेरिकन काउंसिल ऑफ यंग पॉलिटिकल लीडर्स अमेरिका सहित अन्य देशों के युवा राजनेताओं के लिए एक एक्सचेंज प्रोग्राम चलाता है, जिसके तहत भारत से सात युवा राजनेता अमेरिका पहुंचे थे। इन सात युवा राजनेताओं में कांग्रेस के 3, जिनमें आंध्र प्रदेश से पोंगुलेटी सुधाकर रेड्डी, गुजरात से नरेश रावल और दिल्ली से हरिशंकर गुप्ता, बीजेपी से 3, जिनमें गुजरात से नरेंद्र मोदी, कर्नाटक से किशन रेड्डी, अनंत कुमार और तमिलनाडु से जनता दल से बाला सुब्रमण्यम शामिल थे। इनमें से अनंत कुमार और बाला सुब्रमण्यम का निधन हो चुका है। सुधाकर रेड्डी और नरेश रावल फिलहाल बीजेपी में हैं। मोदी की अमेरिका और जर्मनी की 40 दिवसीय यात्रा 10 जुलाई 1993 को शुरू हुई थी। हम गुजराती में बात करते थे: रावल 1993 में गुजरात राज्य की चिमनभाई सरकार में उद्योग मंत्री का कार्यभार संभालने वाले नरेश रावल ने बताया- हम सुबह से शाम तक साथ ही रहते थे। उनकी बातों और विचारों से मैं उनसे शुरुआत से ही काफी प्रभावित था। उनमें एक नेता के रूप में उभरने की क्षमता थी। दूसरे राज्यों के लोग हिंदी-अंग्रेजी में बात करते थे, लेकिन मैं और मोदी सिर्फ गुजराती में बात करते थे। गुजराती समुदाय के अमेरिका में अक्सर कार्यक्रम होते रहते हैं। हम उनमें भी शामिल हुआ करते थे। मोदी ने हेलिकॉप्टर से बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया था नरेश रावल ने कहा, हमने अमेरिका के विभिन्न शहरों की यात्रा की और बहुत कुछ देखा। उस वक्त अमेरिका के नॉर्थ और साउथ डकोटा में बाढ़ आई हुई थी तो हमें हेलिकॉप्टर से बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर यह भी दिखाया गया कि हालात पर कैसे काबू पाया जाए। डेमोक्रेट ने रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के साथ भारत नीति पर भी चर्चा की थी। वहीं, अखिल भारतीय युवा कांग्रेस से जुड़े हरिशंकर गुप्ता ने बताया- उस दौरान उनसे विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई थी। मुझे लगा कि उस दौरे की हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि अमेरिकी सरकार हमें नासा ले गई और पूरा नासा दिखाया था। इसके बाद हमें व्हाइट हाउस भी घुमाया गया था। उस समय आंध्र प्रदेश से कांग्रेस के पोंगुलेटी सुधाकर रेड्डी ने कहा- वहां, हम पहले भारतीय थे, बाद में अलग-अलग दलों के नेता। जब हम सभी दिल्ली में मिले, तभी हमने तय कर लिया था कि हम अमेरिका में पहले भारतीयों का प्रतिनिधित्व करेंगे। हमारी विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन हम भारतीय नागरिक और भारत के बेटे हैं। बता दें, सुधाकर रेड्डी 2019 से बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। मैंने चटनी वाला पावडर साथ में ले गया था अमेरिका में हम अपनी पार्टी का नाम तभी बताते थे, जब किसी को अपना परिचय देते थे। अमेरिका में हमने कांग्रेस प्रतिनिधियों, सीनेट सदस्यों, कांग्रेस सदस्यों, मेयरों और गवर्नरों से मुलाकात की। खाने के बारे में बात करते हुए सुधाकर रेड्डी कहते हैं- बात भले ही 31 साल पहले को हो, लेकिन तब भी अमेरिका में कई जगह भारतीय खाना मिलता था। लेकिन, मैं फिर भी दक्षिण भारत से चटनी का पाउडर समेत कई चीजें ले गया था। आडवाणी ने कहा- क्लीन शेव होकर जाना जी किशन रेड्डी उस समय बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव थे और वर्तमान में मोदी सरकार में कोयला-खान और खनिज मंत्री हैं। अमेरिका दौरे के लेकर उन्होंने बताया- उस वक्त मेरे पिता के निधन को पांच दिन ही हुए थे। लेकिन, पार्टी के जनादेश का सम्मान करते हुए मैं हैदराबाद से दिल्ली आया। उस समय भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने मेरी और नरेंद्र भाई की क्लास ली। यानी समझाया था कि अमेरिका में कैसे अनुशासन में रहना है, किससे कैसे और क्या बात करनी है। उस समय नरेंद्रभाई और मेरी दाढ़ी बढ़ी हुई थी। उन्होंने हमसे कहा था कि अमेरिका क्लीन शेव होकर जाना। नरेंद्र भाई ही सवाल पूछते थे किशन रेड्डी ने आगे बताया- जब हम अमेरिका यात्रा पर विभिन्न अधिकारियों से मिलते थे तो ज्यादातर नरेंद्र भाई ही सवाल पूछते थे। अधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति जो भी कहता या समझाता, उसे नरेंद्रभाई डायरी में दर्ज कर लेते थे। वे हर बात को बहुत गंभीरता से सुनते थे। तड़के सुबह मोदी पूजा-पाठ भी कर लिया करते थे- दीप्ती जानीअमेरिका में रहने वाले सुरेश जानी का 2018 में निधन हो गया। उनकी पत्नी दीप्ति जानी ने बातचीत में कहा- मेरे पति मूल रूप से मेहसाणा के रहने वाले हैं और वह 1987 में अमेरिका आए थे। वह बचपन से ही बीजेपी से जुड़े हुए थे। जब भी कोई बीजेपी नेता न्यूयॉर्क या न्यू जर्सी आता है तो वह हमारे घर पर ही रुकता था। उस समय हमारा न्यूयॉर्क शहर में एक स्टोर था और हम न्यू जर्सी में रहते थे। सरस्वती माता की मूर्ति गिफ्ट में दी थी दीप्तिबेन कहती हैं- 1993 में नरेंद्रभाई हमारे घर आए थे। मैंने नरेंद्रभाई से ज्यादा बात तो नहीं की, लेकिन पति और उनके बीच होने वाली बातें सुना करती थी। हमारे घर पर नरेंद्र मोदी के साथ किशन रेड्डी और अनंत कुमार भी कुछ दिन रुके थे। गुजराती होने के कारण नरेंद्र भाई का हमारे प्रति विशेष सम्मान था। नरेंद्र भाई मेरे लिए बड़े भाई जैसे हैं। वे रोजाना सुबह पांच बजे उठ जाते थे। बाकी लोगों के जागने तक तो उनकी पूजा-पाठ भी हो जाया करती थी। उन्होंने हमें सरस्वती माता की एक मूर्ति गिफ्ट में दी थी और दूसरी बार जब वे आए, तो उन्होंने चंदन की लकड़ी से बनी गणपति की मूर्ति दी थी। सुरेश ने मोदो को एक घड़ी उपहार में दी। मोदी जब भी सुरेश से मिलते तो उन्हें उनकी दी हुई घड़ी दिखाया करते थे। सास ने कहा था- गुजरात के सीएम बनोगे दीप्तिबेन आगे कहती हैं- ‘जब नरेंद्रभाई हमारे घर से विदाई लेने वाले थे, तब मेरी सास ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि तुम एक दिन गुजरात के मुख्यमंत्री बनोगे। इसके साथ ही उन्हें 51 डॉलर का शगुन भी दिया था। जब नरेंद्र भाई पहली बार गुजरात के सीएम बने तो उन्होंने मेरी सास को फोन भी किया था। जब हम एक रेस्टोरेंट में पहुंचे एक और किस्सा शेयर करते हुए दीप्तिबेन ने बताया- मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है। हम न्यूयॉर्क में एक भारतीय रेस्तरां में खाना खाने गए थे। वहां, हमसे कहा गया था कि 13 डॉलर में आपको 13 डिशेज दी जाएंगी। हमारे खाना खाने के बाद बिल आया तो सुरेश तुरंत बिल चुकाने लगे, लेकिन नरेंद्रभाई ने उन्हें रोक दिया और कहा कि खाने में उतने व्यंजन नहीं आए, जितने बताए गए थे। इसके बाद हमें रेस्टोरेंट्स से 5-6 डॉलर का डिस्काउंट मिल गया था। उन्होंने सुरेश को सलाह दी कि पैसों के लेन-देन में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने डिस्काउंट के पैसे वेटर को टिप के तौर पर देने को कहा। जब नरेंद्रभाई का पासपोर्ट खो गया था: रसिकभाई सुरेश जानी के खास दोस्त रसिकभाई ने बताया- जब नरेंद्रभाई ने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई देखी तो कहा था कि हम ऐसी मूर्ति गुजरात में नहीं बना सकते? मतलब कि 1993 में ही उन्होंने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने का सपना देख लिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सपने को पूरा भी कर दिखाया। रसिकभाई ने एक और किस्सा याद करते हुए कहा- उस समय नरेंद्र भाई का पासपोर्ट खो गया था। हालांकि, हमें तुरंत भारतीय दूतावास से नया पासपोर्ट मिल गया था। मोदी हरेक मामले की जड़ तक जाते हैं: सीके पटेल गुजरात के सी.के. पटेल कैलिफोर्निया में होटल व्यवसायी हैं। नरेंद्र मोदी इनके घर भी तीन दिन तक रुके थे। पटेल ने बताया- मेरा भाई उन्हें एयरपोर्ट पर लेने गया था। तीन दिन तक हम अलग-अलग जगहों पर गए और गुजरात के अपने कई दोस्तों से भी मिले थे। सीके पटेल ने आगे बताया- जब वे कैलिफोर्निया आए तो बहुत गर्मी थी। उस वक्त हम तीन लोग एक नॉन एसी कार में बैठे थे, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। उस दौरान हम लोग बहुत बेचैन थे, लेकिन नरेंद्रभाई बिल्कुल शांत थे। वे अपने आपको हरेक जगह एडजस्ट कर लेते हैं। इसके अलावा उनमें जिज्ञासा है। जब वे कोई नई चीज देखते तो उसे देखकर संतुष्ट नहीं होते थे, बल्कि उसकी जड़ तक जाकर सारी जानकारी प्राप्त करते थे। यूनिवर्सल स्टूडियो और डिज्नीलैंड भी देखा था नरेंद्रभाई कैलिफोर्निया में यूनिवर्सल स्टूडियो और डिज्नीलैंड देखना चाहते थे। इसलिए हम लोग वहां भी गए थे। समुद्र तट पर स्पोर्ट्स राइड भी की थी। नरेंद्रभाई को फोटोग्राफी का बहुत शौक है। जब भी कहीं कुछ अच्छा देखते तो हमसे फोटो लेने के लिए कहते थे। उन्हें प्राचीन वस्तुएं बहुत पसंद हैं। वे उससे जुड़ी जानकारियों को बहुत गंभीरता से पढ़ते और सुनते थे। बैग में दो जोड़ी कपड़े लेकर पहुंचे थे मोदी पीएम मोदी से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए डॉ. भरत बराई ने कहा- ‘स्वामी विवेकानंद ने 1893 में विश्व धर्म संसद में व्याख्यान दिया था। उनकी इसी 100वीं वर्षगांठ में भाग लेने के लिए भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ नरेंद्र मोदी शिकागो आए थे। मैं ही उन्हें लेने एयरपोर्ट गया था। उस दौरान वे हमारे घर पर 10 दिन तक रुके थे। नरेंद्र मोदी तब आरएसएस के कार्यकर्ता थे। जब मोदी हमारे घर आए तो उनके पास 22 इंच का एक छोटा सा सूटकेस था, जिसमें दो जोड़ी ही कपड़े थे। मेरी पत्नी से उन्हें सबसे पहली बात यही कही थी कि ‘मुझे पता है कि अमेरिका में’ हफ्ते में एक दिन ही कपड़े लॉन्ड्री के लिए भेजते हो, लेकिन मैं केवल दो जोड़ी कपड़े ही लाया हूं। इसलिए मेरे कपड़े रोज धोने पड़ेगे। पीएम मोदी का एक और किस्सा शेयर करते हुए भरतभाई कहते हैं- हम रोजान चाय पर चर्चा करते थे। उस समय देश में जो कुछ भी चल रहा था, उससे वे बहुत दुखी थे। देश के बारे में बात करते-करते एक बार अचानक उनकी आंखें नम हो गईं थीं। भरतभाई मुस्कुराते हुए कहते हैं- जब शिकागो में पीएम मेरे घर पर थे, तब रोजाना सुबह चाय पीते समय हम अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते थे। इसलिए मैं कह सकता हूं कि 31 साल पहले चाय पर चर्चा की शुरुआत मेरे ही घर से हुई थी।