आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के पास सरकारी कामकाज के लिए भी पैसा नहीं बचा है। इसके चलते सरकार ने सकारी खर्च पर नियंत्रण करने का फैसला किया है। पाकिस्तान की कैबिनेट ने 6 मंत्रालयों के 80 से ज्यादा विभागों के विलय और खत्म करने का फैसला किया है। विभागों की संख्या को 82 से घटाकर 40 किया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने गैर-जरूरी खर्चों पर भी रोक लगाने का फैसला किया है। इसमें सराकारी के दफ्तरों के अंदर साफ-सफाई जुड़े कामों को भी शामिल किया है। इसका मतलब यह है कि अब से पाकिस्तान के सरकारी दफ्तरों में साफ-सफाई का काम नहीं होगा। सरकारी भर्तियों पर लग सकती है रोक
पाकिस्तान की रिफॉर्म कमेटी ने सरकार को सलाह देते हुए सरकारी भर्तियों पर रोक लगाने के लिए कहा है। इसके अलावा सरकारी नौकिरियों के खाली पड़े 1.5 लाख पदों को भी खत्म करने की सिफारिश की है। विभागों के विलय के बाद कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर की जांच के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है। इसके अलावा जिन विभागों को खत्म कर दिया गया है, उनके कर्मचारियों को राज्य सरकारों के विभागों और दूसरे संगठनों में भेजने का प्लान बनाया जा रहा है। साथ ही सरकार ने नए वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी है। हालांकि इससे एंबुलेंस की खरीद को बाहर रखा गया है। पाकिस्तान आर्थिक संकट से उभरने के लिए कई बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज की मांग कर चुका है। सरकारी कंपनियों को बेचने का भी फैसला
आर्थिक संकट और IMF की कड़ी शर्तों से जूझ रहे पाकिस्तान ने मई 2024 में सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया था। पाक PM शहबाज शरीफ ने कहा था कि, ‘बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है, सरकार का काम बिजनेस और देश में निवेश के लिए अच्छा माहौल देना है।’ शरीफ ने कहा था कि सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा, चाहे मुनाफा कमा पा रही हों या नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार सिर्फ उन कंपनियों को अपने पास रखेगी जो रणनीतिक रूप से अहम हैं। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से अपील की थी कि वो प्रक्रिया को आसान बनाने में प्राइवेटाइजेशन कमीशन का सहयोग करें। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास 88 सरकारी कंपनियां हैं। एयरपोर्ट और बंदरगाहों को पहले ही बेच चुकी सरकार
पाकिस्तान आर्थिक तंगहाली से निकलने की हर संभव कोशिश कर रहा है। इस कड़ी में न सिर्फ सरकारी कंपनियां बल्कि पाकिस्तान अपने बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स तक को बेच चुका है। पाकिस्तान ने पिछले साल इस्लामाबाद एयरपोर्ट को ठेके पर देने का फैसला किया था। पूर्व एविएशन मिनिस्टर ख्वाजा साद रफीक ने संसद में इसकी जानकारी दी थी। हालांकि साद रफीक ने कहा था कि ठेके पर देने का मतलब ये नहीं है कि सरकार एयरपोर्ट को बेच रही है, बल्कि अच्छे ऑपरेटर को एयरपोर्ट के काम में शामिल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। पाकिस्तान अपने सबसे बड़े कराची पोर्ट (बंदरगाह) को भी बेच चुका है। पिछले साल पाकिस्तान ने अपने सबसे बड़े कराची पोर्ट को लेकर UAE के साथ एक कंसेशन एग्रीमेंट साइन किया था। पाकिस्तान सरकार ने बिजली की रफ्तार से महज 4 दिनों में ये डील फाइनल की थी। ये डील 50 साल के लिए हुई है। इसके तहत UAE की दो कंपनियां कराची पोर्ट में 1.8 हजार करोड़ रुपए निवेश करेंगी। माना गया था पाकिस्तान ने इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए ये फैसला किया था। कराची पोर्ट साउथ एशिया के सबसे बड़े पोर्ट में से एक है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और बिजी पोर्ट भी है। ये बंदरगाह करीब साढ़े 11 किलोमीटर लंबा है। यहां कुल 33 बर्थ हैं, जिसमें 30 ड्राई कार्गो और 3 लिक्विड कार्गो बर्थ हैं। बर्थ का मतलब उस प्लेटफॉर्म से है, जहां जहाज को खड़ा किया जाता है। यह खबर भी पढ़ें… ​​​​​​शहबाज बोले- भारत की अर्थव्यवस्था को पछाड़ सकता है पाकिस्तान:कहा- मेहनत कर दूसरे देशों से आगे निकलेंगे; PAK में दूध के दाम 210 रुपए/लीटर आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि देश अगर मेहनत करे तो भारत और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ सकता है। PM शहबाज शनिवार को इस्लामाबाद के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में अधिकारियों को सम्मानित करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह बयान दिया। हालांकि, जहां एक तरफ पाकिस्तान बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से टक्कर लेने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश में मंहगाई चरम पर है। पूरी खबर यहां पढ़ें…