फिल्म JNU (जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी) के म्यूजिक कंपोजर विजय वर्मा अपने बनाए गाने की वजह से चर्चा में हैं। उनके कंपोज किए गाने ‘मैं नहीं मानता’ पर काफी चर्चा है। यह गाना लेफ्ट और कम्युनिस्ट विचारधारा पर कुठाराघात करता है। खास बात यह है कि इस गाने को एक्टर-सिंगर पीयूष मिश्रा ने अपनी आवाज दी है। पीयूष मिश्रा खुद एक समय पर लेफ्ट की विचारधारा से प्रभावित थे। विजय वर्मा ने इससे पहले प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह में म्यूजिक दिया था। उस फिल्म के एक गाने ‘महंगाई’ पर काफी विवाद हुआ था। देश के चार नामी बिजनेस कंपनियों की तरफ से नोटिस आ गया था। अब विजय वर्मा फिल्म JNU में दिए अपने म्यूजिक की वजह से दोबारा चर्चा में हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिवली बातचीत की है। पीयूष मिश्रा को गाने के लिए मनाना आसान नहीं था
पीयूष मिश्रा जल्दी गाने गाते नहीं हैं। उन्हें कन्विंस कैसे करा पाए? विजय वर्मा ने कहा, ‘इस फिल्म में टोटल तीन गाने हैं। पहला गाना सोनू निगम ने गाया है। पीयूष मिश्रा चूंकि फिल्म में एक पुराने स्टूडेंट की भूमिका में हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट के मुताबिक, पीयूष के ऊपर एक गाना भी फिल्माया गया है। हमने सोचा कि सीक्वेंस उनका है तो गाना भी उन्हीं से गवाना सही रहेगा। हालांकि मुझे पता था कि पीयूष भाई सिर्फ अपने दोस्तों के कहने पर ही गाने गाते हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्म गुलाल और गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए गाने गाए थे। मैंने इसके लिए बड़े भाई समान प्रोड्यूसर राहुल मित्रा से बात की। राहुल मित्रा और पीयूष मिश्रा अच्छे दोस्त हैं। मैंने गाने का एक डेमो रिकॉर्ड करके भेज दिया। पीयूष जी को गाना काफी पसंद आ गया। उन्होंने कहा कि डेट फिक्स कर लो, मैं रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हूं। पीयूष मिश्रा ने 15 मिनट में रिकॉर्ड कर दिया गाना
विजय वर्मा ने आगे कहा- डेट वगैरह फिक्स होने के बाद पीयूष जी एक दिन स्टूडियो आए। हालांकि उन्होंने ऐन वक्त पर गाना गाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरी आवाज अच्छी नहीं है, मेरे चक्कर में क्यों पड़े हो। अब पीयूष की यह बात सुनकर मैं डर गया। मैंने कहा कि ये मूडी आदमी हैं, कहीं बिना गाए न निकल जाएं। मैंने उनसे कहा कि एक बार कोशिश ही कर लीजिए। मेरी बात मानकर वो स्टूडियो में आए और माइक के सामने गाना रिकॉर्ड करने लगे। सिर्फ 15 मिनट के अंदर हमने गाना रिकॉर्ड कर दिया। आज इस गाने को ऑडियंस खूब पसंद कर रही है। पीयूष मिश्रा ने कहा कि इस गाने में उनकी खुद की लाइफ की एक झलक देखने को मिली है। पहले वो लेफ्ट की विचारधारा से प्रभावित हुआ करते थे। अब उनकी विचारधारा इसके उलट हो गई है। फिल्म में उनका किरदार भी कुछ ऐसा ही है। जो पार्टियां चुनाव जीतेंगी, वो इन गानों को बजाएंगी
विजय ने आगे कहा- दानिश राणा ने मैं नहीं मानता गाने का लिरिक्स लिखा है। इसके अलावा दूसरा गाना राजेश मंथन ने लिखा है। इसे सोनू निगम ने गाया है। यह गाना ऐसा है कि जब भी कोई पॉलिटिकल पार्टी चुनाव जीतेगी, इसे बजाकर सेलिब्रेशन करेगी। यह ‘आरंभ है प्रचंड’ की तरह ही एक सेलिब्रेशन सॉन्ग है। बस अंतर इतना है कि वो एक सीरियस सॉन्ग था, जबकि इसे हमने तंजिया अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। तीसरा गाना कैलाश खेर ने गाया है। यह एक वीर रस वाला गाना है, जो कैलाश खेर पर ही सबसे ज्यादा सूट करता है। उन्होंने इसे बहुत अच्छे से रिकॉर्ड भी किया है। सेंसर बोर्ड को एक गाने से आपत्ति ‘इस गाने को लेकर भी इंटरेस्टिंग कहानी है। दरअसल इस गाने के बैकग्राउंड में दो स्टूडेंट यूनियन के बीच लड़ाई दिखाई गई है। डायरेक्टर विनय शर्मा ने कहा कि इस लड़ाई-झगड़े वाले सीक्वेंस के लिए ऐसा गाना बनाओ, जिसके बोल संस्कृत में होने चाहिए। अब यह डायरेक्टर की बड़ी अतरंगी सी डिमांड थी। हालांकि मैंने इसे बनाया। सेंसर बोर्ड ने अभी गाने पर आपत्ति जताई है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि आप एक एग्रेसिव सीव पर ऐसा गाना बजा रहे हैं, कल को ऐसा न हो जाए कि ये गाना कहीं बजे और मार-पीट होने लगे।’ गाना ऐसा बनाया कि वारंट निकल गया
आपने प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह के लिए एक गाना महंगाई लिखा था। उस पर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई थी। क्या कहेंगे? विजय वर्मा ने कहा, ‘इस गाने की वजह से चार बिजनेस हाउस टाटा बिरला, अंबानी और बाटा ने हम पर केस कर दिया था। इस गाने की चर्चा मेजर मीडिया ग्रुप्स में होती थी। फिल्म के डायरेक्टर प्रकाश झा और प्रोड्यूसर किशोर लुल्ला सहित 5 लोगों के खिलाफ वारंट निकला था। बिहार के छोटे से गांव से निकलकर आए हैं विजय वर्मा
विजय वर्मा ने बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर मुंबई में अपना नाम बनाया। शायद यह उनका कॉन्फिडेंस लेवल ही था, जिसकी वजह से वे इतना आगे बढ़ पाए। विजय वर्मा खुद यह बात स्वीकारते हैं। उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं, उसकी वजह से मेरे अंदर आत्मविश्वास नहीं पनपा है, बल्कि आत्मविश्वास पहले से था, तभी यहां तक सफर तय कर पाया हूं। विजय वर्मा ने कहा कि उन्होंने लॉकडाउन में एक किताब भी लिखी है। आने वाले समय में उस पर बेस्ड कुछ प्रोजेक्ट भी देखे जा सकते हैं।