साल 1907 की बात है। ‘चाइम वाइजमैन’ नाम का एक केमिस्ट और ब्रिटेन में यहूदियों का बड़ा लीडर पहली बार फिलिस्तीन जाता है। वो यहां के जाफा इलाके में एक कंपनी खोलता है, जिससे फिलिस्तीन में इजराइल की नींव पड़ती है। इसके 3 साल के भीतर एक यहूदी नेशनल फंड बनाया जाता है। इससे फिलिस्तीन में यहूदियों की कॉलोनी बसाने के लिए जमीन खरीदी जाती हैं। इसके चलते मर्ज बिन आमेर में 60 हजार फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। विरोध के बावजूद सालों तक फिलिस्तीन में यहूदियों की एंट्री का सिलसिला जारी रहा। फिर 1948 में आज ही के दिन इस इलाके में यहूदियों के लिए एक अलग देश इजराइल की स्थापना होती है। प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य की हार से अंग्रेजों के हाथ लगे फिलिस्तीन में यहूदी कैसे बसे, फिर 31 साल बाद यहां इजराइल कैसे बना , पढ़िए इजराइल-फिलिस्तीन विवाद की पूरी कहानी…