भारत ने मंगलवार (14 मई) को मालदीव के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय सैन्य हेलिकॉप्टर के पायलटों पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 2019 में मालदीव में एक सीक्रेट ऑपरेशन चलाया था। मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों ने हमेशा मालदीव के नियमों के मुताबिक काम किया है। दरअसल, मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने 11 मई को भारतीय सेना पर आरोप लगाया था कि 2019 में सेना ने मालदीव के थिमाराफुशी में एक सीक्रेट हेलीकॉप्टर को उतारा था। मौमून ने कहा कि मैंने संसद समिति की नेशनल सिक्योरिटी सर्विस की रिपोर्ट देखी, जिसमें ये बात सामने आई है। भारत ने सभी आरोपों को खारिज किया
भारतीय उच्चायोग ने सभी आरोपों को खारिज किया है। उच्चायोग ने बताया कि मालदीव में जो भी ऑपरेशन चलाए गए वे सब मालदीव नेशनल डिफेन्स फोर्स (MNDF) के साथ तालमेल बैठाकर चलाए गए। उच्चायोग के मुताबिक, 9 अक्टूबर, 2019 को चालक दल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ​​​​​​​थिमाराफुशी में एक आपातकालीन लैंडिंग जरूर की गई थी, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से इसकी मंजूरी ली गई थी। हालांकि, MNDF ने 11 मई को बताया कि भारतीय सैनिकों ने लैंडिंग की जानकारी मालदीव की सेना को नहीं दी थी। ‘ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए मालदीव सैनिक’
घासन मौमून ने भारतीय सैनिकों के मालदीव छोड़ने वाले सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि भारतीय विमानों को चलाने में सक्षम पायलट मालदीव की सेना के पास नहीं हैं। कुछ सैनिकों ने पिछले समझौतों के तहत उन्हें उड़ाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी, लेकिन वे ट्रेनिंग के अलग-अलग चरणों को पार नहीं कर सके और ट्रेनिंग पूरी नहीं हो सकी। इसलिए, इस समय हमारी सेना में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास दो हेलिकॉप्टर और डोर्नियर उड़ाने का लाइसेंस हो या वे इन्हें पूरी तरह ऑपरेट कर सके।” वहीं, घासन के बयान के उलट जब मुइज्जु विपक्ष में थे, तो वे भारतीय सैनिकों को लेकर पिछली सरकार की आलोचना करते थे। मुइज्जू और उनकी पार्टी का दावा था कि मालदीव की सेना के पास ट्रेंड पायलट हैं, फिर भी सरकार भारतीय सैनिकों को मालदीव में बुला रही है। ट्रेनिंग देने के लिए आए थे भारतीय सैनिक
दरअसल, भारतीय सैनिक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, अब्दुल्ला यामीन और इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल में मालदीव गए थे। इन सैनिकों का काम मालदीव की सेना को ट्रेनिंग देना था। हालांकि, मालदीव के सैनिक ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए। इसी के चलते अब समझौते के तहत भारत के सिविलियन्स अब मालदीव के पायलट्स को ट्रेनिंग भी देंगे। मालदीव में क्या कर रहे थे भारतीय सैनिक
मालदीव में करीब 88 भारतीय सैनिक थे। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते थे। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहे थे। अब इनके ऑपरेशन को संभालने के लिए नागरिकों के टेक्निकल स्टाफ को भेजा गया है। भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे में दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाने का आरोप लगाया था। मुइज्जु का चुनावी कैंपेन था इंडिया आउट कैंपेन
पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चुनावी कैंपेन में भारतीय सैनिकों को देश से निकालने का मुद्दा बनाया था। उन्होंने इसे इंडिया आउट कैंपेन नाम दिया था। चुनावों में जीत के बाद मालदीव ने देश छोड़ने के लिए भारतीय सैनिकों के सामने 10 मई की डेडलाइन रखी थी। हालांकि, इससे पहले ही भारतीय सैनिक मालदीव से लौट गए।