एक्टर मनोज वाजपेयी शनिवार को फिल्म भैयाजी के प्रमोशन के लिए मेरठ पहुंचे। उन्होंने यहां के पीवीएस मॉल में पत्रकारों से बात की। इस दौरान अपनी फिल्म से लेकर चुनाव समेत कई बिंदुओं पर बात की। उन्होंने कहा, ‘भैयाजी’ मेरी 100वीं फिल्म है। इसका ट्रेलर देखने के लिए इतनी भीड़ आ रही है तो फिल्म देखने के लिए धमाका होगा। उन्होंने कहा, मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। इस समय आचार संहिता लगी हुई है। इसलिए इस पर अभी ज्यादा कुछ भी नहीं कहूंगा। आइए आपको बताते हैं उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में और क्या कुछ कहा है… वेस्ट यूपी के कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए मेरठ आया हूं
मनोज वाजपेयी ने बताया, फिल्म भैयाजी की शूटिंग लखनऊ में की है। उत्तरप्रदेश सरकार चाहती है कि यहां फिल्म इंडस्ट्री जल्द से जल्द शुरू हो। मेरठ शहर में प्रमोशन करवाने का उद्देश्य है कि वेस्ट यूपी और उत्तर प्रदेश के उभरते हए कलाकारों को बढ़ावा मिले और जल्द से जल्द यहां फिल्म इंडस्ट्री बने। ताकि यूपी के उभरते हुए कलाकारों को अपने ही प्रदेश में फिल्मों, नाटकों में काम मिले। आने वाले समय में फिल्मी दुनिया में भी मेरठ को नई पहचान मिलेगी। कोरोना काल में ओटीटी मनोरंजन का सहारा बना मनोज वाजपेयी ने ओटीटी के सवाल पर कहा,कोरोना काल में तीन साल तक लोग घर के अंदर रहे, ये एक बुरा वक्त था। उस वक्त जब लोग घरों में कैद थे। तब ओटीटी ने उन्हें घर के अंदर ही मनोरंजन दिया। लेकिन थिएटर तक आते-आते लोगों को समय लग रहा है अब लोग धीरे -धीरे फिर से थिएटर आने लगे हैं। ओटीटी लगातार अच्छा कर रहा है। एक छोटी सी मूवी 12वीं फेल जैसे भी बढ़िया चली।​​​​​​​ राजनीति में कभी भी नहीं आना चाहूंगा मनोज वाजपेयी ने भैयाजी मूवी के बारे में बात करते हुए कहा, इस मूवी के जरिए परिवार सबसे महत्वपूर्ण है, यह बताना चाहता हूं। ये फिल्म साबित करती है कि अगर आप मेहनती, जुझारू हैं तो अपनी जगह कहीं भी बना सकते हैं। मेरी आदत रही है मैं तब तक दरवाजे को टक्कर मारता हूं जब तक वो खुल न जाए। इसके लिए मैं लगातार कोशिश करता रहता हूं। चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा,मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। लेकिन मुंबई में जब भी मुझे वोट डालने का मौका मिलेगा अपनी पसंद की पार्टी को वोट करुंगा।​​​​​​​ रश्मिरथी मेरे मुश्किल वक्त के साथी
उन्होंने कहा, पांचवी क्लास से ही मैंने रश्मीरथी कई बार पढ़ी है। जब भी मुश्किल वक्त में आता हूं तो उसे ही जरूर पढ़ लेता हूं। अब याचना नहीं रण होगा। ये पंक्तियां मेरे जीवन की बेहद अहम हिस्सा है।