एक्टर वरुण शर्मा ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया है। इन दिनों वे फिल्म ‘द गारफील्ड’ को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। एक्टर ने फिल्म के हिंदी संस्करण में अपनी आवाज दी है। यह फिल्म 17 मई को थिएटर में रिलीज होगी। इस फिल्म को लेकर वरुण बेहद उत्साहित हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान वरुण शर्मा ने ‘द गारफील्ड’ के अलावा अपनी आने वाली फिल्मों और अपने संघर्ष के दिनों के बारे में भी बात की। जब ‘द गारफील्ड’ के लिए से संपर्क किया गया तो आप की पहली प्रतिक्रिया क्या थी? गारफील्ड के किरदार को बचपन से ही पढ़ता आ रहा हूं। स्कूल जाने से पहले जब अखबार पढ़ते थे तो उसमें गारफिल्ड की चार-पांच तस्वीरें और एक स्टोरीलाइन लिखी होती थी। अगले दिन का इंतजार फिर होता था कि आज क्या लिखा आएगा? गारफिल्ड के साथ मेरी बहुत पुरानी यादें हैं। मुझे पता नहीं था कि बड़े होकर उसकी आवाज बनने का मौका मिलेगा। मैं सोनी पिक्चर्स का बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने फिल्म के हिंदी संस्करण में आवाज देने का मौका दिया। यह पहला मौका है जब आपने एनिमेशन किरदार की डबिंग की है, कितना चैलेंज रहा? टेक्नीकली बहुत ही चैलेंजेज आते हैं। एनिमेशन में डबिंग करना मेरे लिए भी पहला ही अनुभव रहा है। एक – दो दिन समझने में लग गया कि डबिंग कैसे होता है। कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो अंग्रेजी से हिंदी में ट्रांसलेट करने पर बदल जाते हैं। उनके चार शब्द हमारे आठ बन जाते हैं। या फिर उनके 10 शब्द हमारे 5 में ही खत्म हो जाते हैं। उस हिसाब से बैलेंस करना होता है। क्योंकि स्टोरी लाइन उनके हिसाब से लिखी गई है। कभी ऐसा हुआ है कि ‘गारफिल्ड’ की वजह से बचपन में आपको डांट पड़ी हो? पढ़ाई ही सबकुछ जीवन में नहीं होता है। एंटरटेनमेंट भी बहुत जरूरी है। सुबह उठकर पहले गारफिल्ड पढ़ते थे और उसके बाद सीधे स्कूल चले जाते थे। जीवन में बैलेंस बहुत जरूरी होता है। गारफील्ड के अलावा टॉम एंड जेरी मुझे शुरू से बहुत पसंद रहे हैं। लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि इसकी वजह से स्कूल या फिर घर पर डांट पड़ी हो। वैसे आपके स्कूल के किस्से बहुत फेमस रहे हैं, मम्मी के दिए आलू के पराठे बेच देते थे ? मुझे कैंटीन में खाने का बहुत शौक था। मेरी मम्मी आलू के पराठे बहुत अच्छे से बनती थी। स्कूल में मेरे दोस्तों को मम्मी के हाथ के पराठे बहुत पसंद थे। मैं उन्हें 5- 5 रुपए में पराठे बेच देता था। उससे जो पैसे इकट्ठे होते थे, छोले भटूरे और कैम्पा कोला खरीदता था। इस तरह से मेरा बहुत मजेदार बिजनेस चल रहा था। लेकिन जब मम्मी को पता चला तो ब्रेड बटर देने शुरू कर दिए। जिसका स्कूल में कोई खरीदार नहीं था। बिजनेस माइंडेड आप बचपन से ही रहे हैं, फिर एक्टर बनने का ख्याल कैसे आया ? मैंने ‘बाजीगर’ फिल्म देखी और जब ‘काली – काली आंखे’ गाना शुरू हुआ तब बेड पर खड़ा होकर डांस करने लगा। मैंने मम्मी से बोला कि बड़े होकर मुझे एक्टर बनना है। मम्मी ने कहा – बेटा अभी खाना खा लो बाद में बात करना है। मम्मी ने उस समय बात टाल दी, लेकिन मेरे जेहन में हमेशा रहा है कि बड़े होकर एक्टर ही बनना है। 12th खत्म करने के बाद जब ग्रेजुएशन करने की बारी आई तो मम्मी ने पूछा कि क्या करना है? मैंने कहा कि मुझे तो एक्टिंग ही करनी है। वहां से पूरा प्रोसेस शुरू हुआ। थिएटर करते – करते मुंबई का सफर शुरू हुआ। जब शाहरुख खान से मिले तो उनसे ‘बाजीगर’ वाला किस्सा शेयर किया होगा आपने? जी बिल्कुल किया था। मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि ‘दिलवाले’ में शाहरुख सर और काजोल मैम के साथ काम करने का मौका मिला। अब्बास – मस्तान सर ने ‘बाजीगर’ डायरेक्ट की थी। उनके साथ फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं’ में काम करने का मौका मिला। मैंने सबको ‘बाजीगर’ का किस्सा बताया था। सभी बहुत खुश हुए और मेरा सपोर्ट किया। आप कास्टिंग से भी जुड़े रहे हैं, क्या आप मानते हैं कि इससे एक्टर की जर्नी आसान हो जाती है? जर्नी तो जर्नी ही होती है। आसान कुछ भी नहीं होता है। माध्यम कास्टिंग का था, जिससे मुझे सीखने को मिला कि बाकी एक्टर सेम सीन को किस तरह से अप्रोच करते हैं। उनका उस सीन को लेकर क्या नजरिया होता है। इस तरह से मेरी लर्निंग बहुत दिलचस्प रही। ये जवानी है दीवानी, स्टूडेंट ऑफ द ईयर, तलाश जैसी कई फिल्मों में नंदिनी श्रीकांत को कास्टिंग में असिस्ट किया। साइड में अपना भी ऑडिशन देता रहता था। जब एक्टिंग में काम मिलने लगा तब नंदिनी ने कहा कि अब सिर्फ एक्टिंग पर ही फोकस रखो। आज आप ऐसे मुकाम पर हैं कि लोगों को इंस्पायर करते हैं। जब आप मुंबई में आए तो किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा? मेरी जर्नी मेरे लिए लर्निंग ही रही है। जिस तरह से एक आम आदमी के जिंदगी में चुनौतियां आती हैं, मेरी भी जिंदगी में आईं। लेकिन फैमिली का बहुत बड़ा सपोर्ट रहा है। शुरुआत के दिनों में एक फिल्म के सेट पर गया था। जहां पर खाना मुझे पेंट के डिब्बे में दिया गया था। तब मुझे थोड़ा सा झटका लगा था। उस समय की घटनाएं, आज किस्से बन गए हैं। अब जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं, तो किस तरह की फीलिंग होती है? मैं खुद को बहुत खुशनसीब मानता हूं और ईश्वर को धन्यवाद देता हूं। बचपन से जो करने का मन था,उसे करने का मौका मिला। मुझे अलग-अलग फिल्मों और किरदारों के जरिए से लोगों को हंसाने का मौका मिल रहा है। हमने असल जिंदगी में एक दूसरे को हंसाना ही बंद कर दिया है। अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताना चाहेंगे? लव रंजन की फिल्म ‘वाइल्ड वाइल्ड पंजाब’ आने वाली है। फरवरी में फिल्म का टीजर रिलीज किया गया, लेकिन उसकी रिलीज डेट अभी फाइनल नहीं की गई है। ‘सब फर्स्ट क्लास है’ की शूटिंग अभी हाल ही में खत्म की है। इसके अलावा मैडॉक फिल्म्स की एक फिल्म कर रहा हूं।