प्रधानमंत्री मोदी आज से दो दिन के रूस दौरे पर जा रहे हैं। वे वहां 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच साल 2000 में वार्षिक सम्मेलन की शुरुआत हुई थी। ये पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन जंग के बाद रुस का दौरा करेंगे। इससे पहले वे 2019 में रूस गए थे। वहीं, मोदी और व्लादिमिर पुतिन की आखिरी मुलाकात उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में SCO समिट के दौरान हुई थी। पुतिन 2023 में भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के लिए नहीं आए थे। मोदी का ये रूस दौरा उस वक्त हो रहा है जब अमेरिका में नाटो समिट शुरू हो रहा है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर सफाई दी है कि मोदी के रूस दौरे का नाटो समिट से कोई मतलब नहीं है। दरअसल, यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से रूस यूरोप में अलग-थलग पड़ गया। इस बीच उसे चीन और भारत का साथ मिला है। हालांकि भारत रूस के मामले में अपना स्टैंड न्यूट्रल रखना चाहता है। इसके बावजूद पूरी दुनिया खासकर पश्चिमी देशों की मोदी के रूस दौरे पर नजर रहेगी। मोदी आज दोपहर बाद रूस पहुंचेंगे। आज रूस के राष्ट्रपति के साथ उनका प्राइवेट डिनर होगा। मुलाकात में क्या डिसक्स हो सकता है… 1. भारत और रूस के बीच बढ़ता व्यापार घाटा अहम मुद्दा
भारत और रूस के बीच यूक्रेन जंग के बाद व्यापार तेजी से बढ़ा है। इसमें बड़ा हिस्सा भारत के तरफ से खरीदे जा रहे कच्चे तेल का है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 45.4 लाख करोड़ का कच्चा तेल खरीदा था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच 54 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ था। इसमें भारत ने रूस को सिर्फ 3.3 लाख करोड़ का निर्यात किया था। भारत के विदेश विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को यात्रा से ठीक पहले बताया था कि दोनों नेता व्यापार में असमानता के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। 2. एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी पर बातचीत संभव
भारत ने 2018 में रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए डील की थी। इस डील के तहत अगले 5 सालों में भारत को ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम मिलने थे। हालांकि अभी तक रूस ने सिर्फ 3 ही एयर डिफेंस सिस्टम भारत को दिए है। अभी भी 2 एस-400 भारत को मिलना बाकी हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह यूक्रेन जंग को माना जा रहा है जिसके चलते एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी हो रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ बातचीत कर सकते हैं। 3. नए ट्रेड रूट को लेकर दोनों नेताओं के बीच हो सकती है बात
भारत और रूस के बीच व्यापार को बढ़ाने और उसमें लगने वाली लागत को कम करने के लिए नए ट्रेड रूट पर भी बातचीत हो सकती है। हाल ही में भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया है। ऐसे में भारत इस पोर्ट के जरिए सेंट्रेल एशिया से होते हुए रूस के साथ नए ट्रेड रूट शुरू करने को लेकर बातचीत कर सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। दौरे से ठीक पहले रूस ने भारत में मैंगो मिसाइल बनाने की डील फाइनल की
रूस की सरकारी डिफेंस कंपनी रोस्टेक ने पिछले हफ्ते गुरूवार को बताया कि उसने भारत में मैंगो मिसाइल की मैन्युफैक्चरिंग के लिए काम शुरु कर दिया है। इस डील के फाइनल होने के बाद भारत के सैन्य ताकत में इजाफा होगा। दरअसल मैंगो मिसाइल एक तरह के शेल्स यानी गोले होते हैं जिन्हें टैंक की मदद से फायर किया जाता है। रोस्टेक ने बताया कि वो भारत में बारूद के उत्पादन को लेकर भी प्लान बना रही है। 125 मिमी कैलिबर की टैंक गन से फायर होने वाले ये शेल्स या गोले कवच से लैस टैंकों और आर्मड वाहनों को फाड़कर अंदर घुसने में सक्षम हैं। ये गोले टैंकों की मजबूत बाहरी संरचना को भेद सकते हैं, उनमें प्रवेश कर सकते हैं और फिर फट सकते हैं, जिससे भारी क्षति हो सकती है। आसान भाषा में कहे तो जब इसे टैंक से फायर किया जाता है तो ये सबसे पहले टारगेट को फाड़कर अंदर घुसता है और उसके बाद ब्लास्ट हो जाता है। ये शेल्स 2000 मीटर की दूरी तक 60 डिग्री के कोण से 230 मिमी के स्टील को भेद सकता है। इसके अलावा सीधे यानी 0 डिग्री पर फायर करने पर ये 520 मिमी के स्टील को फाड़ सकता है।