एक्टर विजय राज ने हाल ही में अपने बुरे दिनों के बारे में बात की है। उन्होंने बताया है कि एक वक्त ऐसा था कि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। हालांकि विजय इसे स्ट्रगल नहीं बताते हैं। उनका मानना है कि हर प्रोफेशन में टॉप पर पहुंचने के लिए इन चीजों से गुजरना पड़ता है। विजय ने 1999 में फिल्म भोपाल एक्सप्रेस से करियर की शुरुआत की थी। वहीं, उन्हें बड़ी पहचान मीरा नायर की फिल्म मानसून वेडिंग से मिली थी। इसके बाद उन्हें गंगुबाई काठियावाड़ी, रघु रोमियो, मेड इन हेवन जैसी फिल्मों और सीरीज में देखा गया था। हाल में वे सीरीज मर्डर इन माहिम में नजर आए। जूम एंटरटेनमेंट के साथ इंटरव्यू में विजय राज ने बताया, ‘असली संघर्ष तब होता है जब एक सिक्योरिटी गार्ड 12 हजार रुपए प्रति महीना कमाता है और परिवार का पालन-पोषण करता है। हालांकि वो सिक्योरिटी गार्ड बनना नहीं चाहता है, लेकिन वो मजबूरी में ऐसा कर रहा है क्योंकि उसे करना ही है। हर किसी को मंजिल चुनने की आजादी नहीं मिलती। 1% से कम लोगों के पास यह आजादी होती है। जैसे कि आप एक्टर बनना चाहते हैं और इसके लिए काम भी कर रहे हैं। भले ही आप सफल हो रहे हैं या नहीं, लेकिन आप कर तो वहीं रहे हैं ना जो आप करना चाहते थे।’ विजय ने आगे कहा, ‘जिंदगी एक संघर्ष है। अगर आपके पास साइकिल है, लेकिन आप कार चाहते हैं, तो यह भी एक संघर्ष है। लोगों के मुताबिक, सफलता का मतलब है कि आपके पास कितने घर हैं, कितनी कारें हैं। हालांकि मेरा ऐसा मानना बिल्कुल नहीं है। मेरे मुताबिक, आप शांत नहीं हैं, तो आप असफल हैं।’ विजय ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसे भी दिन फेस किए हैं, जहां उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं रहता था। लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘जब खाने को ज्यादा नहीं रहता था, मैं तब भी मौज में था। मैं फ्यूचर के बारे में ज्यादा नहीं सोचता हूं।’