विपक्षी गठबंधन के दलों में केवल सपा ही कांग्रेस का ‘हाथ’ थामने को उत्सुक, I.N.D.I.A की गाड़ी रिवर्स गियर में चलता नजर आ रहा है
विपक्षी I N.D.I.A. गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल की सियासी गाड़ी वास्तविक रूप में अब तक आगे नहीं बढ़ पायी है। कांग्रेस के सामने फिलहाल गठबंधन का विकल्प बिहार में राजद झारखंड में झामुमो महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना यूबीटी तथा तमिलनाडु में द्रमुक के साथ ही दिखाई दे रहा है।
I.N.D.I.A. गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल की सियासी गाड़ी वास्तविक रूप में अब तक आगे नहीं बढ़ पायी है। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के I.N.D.I.A. गठबंधन के एकजुट मैदान में उतरने के तमाम दावों वास्तव जमिन पर दिखाई नही दे रहा है, विपरीत गठबंधन के कुछ एक प्रमुख घटक दल एकला चलो की राह पर चलने की घोषणा कर रहे हैं तो कुछ ने सत्तापक्ष की ओर छलांग मारते हुए पाला ही बदल दिया है।
जातीय दल कांग्रेस को 12 सीटें देने के लिए तैयार सपा, TMC मात्र दो
नीतीश कुमार I.N.D.I.A. गठबंधन छोड़ने के बाद तृणमूल कांग्रेस के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के एलान से साफ है कि विपक्षी गठबंधन के सीटों के तालमेल की गाड़ी आगे बढ़ना तो दूर रिवर्स गियर में दिखाई दे रही है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए उम्मीद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ही है, जो अब भी I.N.D.I.A. गठबंधन की मजबूती की वकालत कर रही है। साथ ही कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 10/12 लोकसभा सीटें देने के लिए भी तैयार है।
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के अस्तित्व में आने के समय से ही कांग्रेस लगातार तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को साधने के लिए उन्हें जरुरत से ज्यादा महत्व देती आ रही है, लेकिन दीदी ने सीटों के तालमेल से लेकर पश्चिम बंगाल में राहुल गांधी की न्याय यात्रा को लेकर जैसी बेरूखी दिखाते हुए उनकी राजनीतिक पहल पर टीका-टिप्पणी की, उससे यह साफ नजर आता है कि तृणमूल सुप्रीमो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को एक सीमा से ज्यादा सियासी जगह देने का जोखिम नहीं उठाना चाहती।
पश्चिम बंगाल के जमीनी हकीकत को भांपते हुए कांग्रेस बंगाल में छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहर्ष तैयार है, मगर ममता दो सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं हुई ऊपर से असम और त्रिपुरा में एक एक सीट की मांग भी की। और राहुल गांधी के न्याय यात्रा के दौरान माकपा नेताओं संग मंच साझा करने को आधार बनाते हुए अकेले चुनाव मैदान में जाने की घोषणा कर दी, जबकि हकीकत यह भी है कि विपक्षी गठबंधन की बैठकों में वामपंथी नेताओं जैसे सीताराम येचुरी और डी राजा संग मंच साझा करने में दीदी को कोई दिक्कत नहीं रही थी।
कांग्रेस को इस लिहाज से भी आहत करेगा कि I.N.D.I.A. के गठन में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने के प्रस्ताव का जव ममता बनर्जी ने विरोध किया और खड़गे का नाम प्रस्ताव किया तो कांग्रेस नेतृत्व ने उनके सुर में सुर मिलाया। नीतीश के खेमा बदलने की वजह चाहे जो भी हो इसमें एक कारण यह भी है।
नीतीश कुमार NDA में जा चुके हैं। ममता ने एकला चलने वाली बात कह दी है। आम आदमी पार्टी को लेकर तस्वीर अभी तक साफ नहीं हुई है। ऐसे में कांग्रेस के सामने फिलहाल गठबंधन का विकल्प बिहार में राजद, झारखंड में झामुमो, महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना यूबीटी तथा तमिलनाडु में द्रमुक के साथ ही है। इन दलों से सीट बंटवारे की राह में पार्टी को बहुत दिक्कत नहीं है क्योंकि इन सभी पार्टियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन I.N.D.I.A. के अस्तित्व में आने से काफी पहले से है। इससे साफ है कि I.N.D.I.A. में शामिल हुई पार्टियों में केवल अखिलेश यादव की सपा ही एक मात्र ऐसा पार्टि हैं जो कांग्रेस का हाथ थामने के लिए अब भी तैयार है।