वेटिकन सिटी में दैवीय आभास से जुड़े धोखाधड़ी और झूठ पर लगाम लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसके तहत सिर्फ उन्हीं आभासों को मान्यता दी जाएगी, जिन्हें कैथोलिक चर्च के हेड पोप खुद सुपरनैचुरल (चमत्कारी) मानेंगे। गाइडलाइन्स के मुताबिक, चर्च के पादरी सबसे पहले सभी दावों की जांच करेंगे। इस दौरान वे दावों को खारिज भी कर सकते हैं। साथ ही वे किसी चमत्कारी वस्तु या जगह की पूजा करने पर भी रोक लगा सकते हैं। पादरी इस बात की भी जांच करेंगे कि कहीं दैवीय आभास का दावा पैसे कमाने के लिए न किया जा रहा हो। इसके बाद सबूतों और जांच की डिटेल्स को पोप तक पहुंचाया जाएगा। फिर पोप तय करेंगे कि घटना वास्तव में चमत्कारी थी या नहीं। वर्जिन मैरी-येशू की प्रतिमाओं से आंसू निकलने का दावा
दरअसल, कैथोलिक भक्त सदियों से वर्जिन मैरी और येशु की प्रतिमा से आंसू निकलने, किसी एक जगह पर चमत्कारी तरह से बीमारियों के ठीक होने जैसे दावे करते आए हैं। न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर इन आभासों को वैटिकन देश में लोगों के बीच कैथोलिक चर्च में बढ़ते विश्वास के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से ऐसे दावों के जरिए धोखाधड़ी की आशंका बढ़ गई है। दैवीय आभासों को लेकर वेटिकन सिटी में 1978 में कानून बनाया गया था, जिसमें अब बदलाव किया गया है। दुनियाभर में कई सदियों से ऐसा दैवीय आभासों के दावे होते रहे हैं। इनमें से जो घटनाएं सच साबित होती हैं, उसका साक्षी बनने के लिए पूरी दुनिया से तीर्थयात्री और पादरी उस जगह पर पहुंचते हैं। पुर्तगाल के शहर में वर्जिन मैरी ने दिए थे दर्शन
उदाहरण के तौर पर 1917 में दावा किया गया था कि पुर्तगाल के फातिमा शहर में वर्जिन मैरी ने 3 बच्चों को दर्शन दिए थे। इसके बाद सूर्य अपनी जगह पर हिलता-डुलता नजर आया था। चर्च ने 1930 में इस दावे को मान्यता दे दी थी। इसके बाद से अब तक हजारों लोग वहां ये घटना देखने की उम्मीद से जा चुके हैं। हालांकि, इसके बाद कई दावे झूठे भी साबित हुए। 2016 इटली की एक महिला ने दावा किया थआ कि रोम के पास एक छोटे शहर में येशू और वर्जिन मैरी ने कई बार दर्शन दिए। ऐसा बॉस्निया की उस जगह से एक प्रतिमा लाने के बाद हुआ, जहां वर्जिन मैरी दर्शन दे चुकी हैं। इसके बाद सैकड़ों लोग उस प्रतिमा की पूजा करने लगे। इस दौरान लोगों को समलैंगिक शादियों और गर्भपात न करने की सलाह दी गई। मामला सामने आने के 8 साल बाद इस साल इलाके के पादरी ने इस दावे को झूठा साबित कर दिया।