श्रीलंका ने कहा है कि भारत की सुरक्षा उनके लिए बेहद जरूरी है। न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि उनका देश भारत की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। एक जिम्मेदार पड़ोसी के तौर पर वह किसी को भी भारत को नुकसान पहुंचाने नहीं देंगे। श्रीलंका के पोर्ट पर रुकने वाले चीन के रिसर्च जहाजों से जुड़े सवाल पर साबरी ने कहा, “हम सभी देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए हम किसी दूसरे देश की सुरक्षा को ताक पर नहीं रखेंगे। अगर भारत इस मामले में अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाएगा, तो हम उस पर जरूर ध्यान देंगे। हम किसी को भी उन्हें चोट नहीं पहुंचाने देंगे।” साबरी ने कहा कि हाल ही में चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बनकर सामने आया है। इसी तरह श्रीलंका भी भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है, लेकिन हम तीसरे पक्ष को कभी भी खतरे में नहीं डालेंगे। श्रीलंका ने नहीं दी थी चीनी जहाज को रुकने की इजाजत
भारत ने पिछले साल श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंता जताई थी। तब भारत ने कहा था कि चीन अपने रिसर्च वैसल्स के जरिए भारत की जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद श्रीलंका ने सितंबर 2023 में चीन के जहाजों को अपने देश में रुकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। श्रीलंकाई विदेश मंत्री साबरी ने कहा था कि भारत की चिंता हमारे लिए बेहद अहम है। हमने इसके लिए अब एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाया है और इसे बनाते वक्त भारत सहित दूसरे दोस्तों से सलाह भी ली थी। सुरक्षा को लेकर भारत की चिंता सही है और हमारे लिए बहुत जरूरी भी है। हम अपने क्षेत्र को शांति का जोन बनाना चाहते हैं। श्रीलंका बोला- BRICS में शामिल होने के लिए भारत से मदद मांगेंगे
दूसरी तरफ श्रीलंका ने BRICS संगठन में भी शामिल होने की इच्छा जताई है। श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा, “BRICS में भारत के शामिल होने के बाद से यह काफी अच्छा संगठन बन गया है। हम जब भी आधिकारिक तौर पर BRICS में शामिल होने के लिए आवेदन देंगे, तब पहले भारत से बात करेंगे।” विदेश मंत्री ने बताया कि श्रीलंका की कैबिनेट ने देश को BRICS का सदस्य बनाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है। रूस में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हमें न्योता दिया गया है। 6 देशों को मिला था ब्रिक्स में शामिल होने का न्योता
पिछले साल 24 अगस्त को साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स समिट के दौरान 6 देशों को संगठन में जुड़े का न्योता दिया गया था। इनमें ईरान, सऊदी अरब, मिस्र और UAE शामिल थे। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बताया था कि पहले फेज की बैठक में इन देशों को संगठन का मेंबर बनने का न्योता दिया गया है। नए सदस्य को बधाई देते हुए PM मोदी ने कहा था- भारत ने ब्रिक्स विस्तार का हमेशा समर्थन किया। इन सभी देशों से हमारे गहरे और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। जो भी देश पहले फेज में इस संगठन से नहीं जुड़ पाए हैं, उनको सदस्यता दिलाने के लिए भारत पहल जारी रखेगा।