श्रीलंका में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे दूसरी बार गिनती में साफ हुए क्योंकि पहले दौर की गिनती में किसी भी प्रत्याशी को 50% वोट नहीं मिले थे। पहले चरण में टॉप पर रहे दो प्रत्याशी नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के सजिथ प्रेमदासा के दूसरी बार वोट की गणना की गई। इसी के साथ पहली बार वामपंथ की तरफ झुकाव वाले अनुरा दिसानायके राष्ट्रपति बने हैं। अनुरा आज कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में शपथ ग्रहण करेंगे। 2022 के आर्थिक संकट के चलते बदलाव की उम्मीद कर रहे युवा वोटरों की मदद से अनुरा राष्ट्रपति बनने में सफल रहे हैं। अनुरा ने 6 बार श्रीलंका के पीएम रह चुके मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को हराया। इतना ही नहीं, बरसों से श्रीलंका की सत्ता में काबिज राजपक्षे परिवार को सत्ता से बाहर कर दिया। जीत के बाद PM मोदी ने सोशल मीडिया पर अनुरा को बधाई दी। इसके अलावा श्रीलंका में भारतीय राजदूत ने भी अनुरा से मुलाकात कर शुभकामनाएं दीं। विद्रोह से सत्ता तक: 5 साल पहले पार्टी रिलॉन्च की और राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे अनुरा
​​​​​​उत्तर मध्य प्रांत के थंबुत्तेगामा से आने वाले अनुरा ने कोलंबो की केलानिया यूनिवर्सिटी से विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। वे 1987 में जेवीपी में शामिल हुए, जब भारत-विरोधी विद्रोह चरम पर था। पार्टी ने दो खूनी विद्रोहों का नेतृत्व किया था। 2014 में अनुरा पार्टी के प्रमुख बने। 2019 में जेवीपी का नाम एनपीपी हो गया। अनुरा ने फरवरी 2024 में भारत यात्रा की, जो एनपीपी के भारत के प्रति बदलता नजरिया है। देश छोड़कर जा रहे विक्रसिंघे और राजपक्षे की पार्टियों के नेता
श्रीलंका में चुनावी नतीजे आने के साथ ही राजपक्षे और विक्रमसिंघे की पार्टी के कई राजनेता और बौद्ध भिक्षु कोलंबो एयरपोर्ट से देश छोड़कर चले गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व मंत्री सुसंथा पंचिनिलामे शनिवार को चेन्नई चले गए। वहीं, यूनाइटेड नेशनल पार्टी के महासचिव पालिथा बंडारा शनिवार रात थाईलैंड के लिए रवाना हुए। रविवार को इत्तेकंडे सद्दातिसा हॉन्गकॉन्ग के लिए रवाना हुए। इससे पहले, महिदा राजपक्षे के भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे शुक्रवार को ही चले गए थे। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा के सामने दो तरह की चुनौतियां हैं। पहली देश की अर्थव्यवस्था में फिर से जान डालना और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालना शामिल है। आर्थिक मंदी ने विद्रोह को हवा दी थी, जिसने साल 2022 में राजपक्षे को राष्ट्रपति के पद से हटा दिया था। उस समय श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका था, जिससे देश ईंधन जैसी जरूरी चीजों का आयात करने में असमर्थ हो गया था। अनुरा ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई का वादा किया था। चुनाव के बाद अगर अनुरा बड़े भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे डालने में नाकाम रहे तो उन्हें आगामी आम चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।