सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2017 के साउथ एक्ट्रेस भावना मेनन यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी सुनील एनएस (पल्सर सुनी) को जमानत दे दी। इस मामले में मलयालम एक्टर दिलीप भी आरोपी हैं। जज अभय एस ओका और जज पंकज मिथल ने आदेश दिया कि सुनी सात साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है और इसी मामले में सह-आरोपी (दिलीप) जमानत पर पहले ही रिहा हो चुके हैं। कोर्ट ने कहा, लंबे समय तक जेल में रहने और केस के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं होने को देखते हुए, अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का मामला बनता है। अपीलकर्ता को जमानत देने के लिए एक हफ्ते के अंदर लोअर कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए, शर्तों को अंतिम रूप देने से पहले राज्य का पक्ष भी सुना जाना चाहिए। साढ़े सात साल से जेल में बंद सुनी सुनी को 23 फरवरी 2017 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे जमानत नहीं दी गई और तभी से वो जेल में बंद है। सुनी ने अकेले हाईकोर्ट में दस बार जमानत याचिका दायर की थी। साथ ही उसने दो बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। हाईकोर्ट ने बार-बार जमानत याचिका दायर करने के लिए सुनी पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। घर लौटते वक्त एक्ट्रेस को किया गया था किडनैप पल्सर सुनी जिस मामले में मुख्य आरोपी है वो घटना 17 फरवरी 2017 की है। उस दौरान एक चर्चित मलयालम अभिनेत्री भावना शूटिंग के बाद घर जाने के लिए अपनी कार में बैठीं तो कुछ लोगों ने उन्हें किडनैप कर लिया था। करीब दो घंटे तक चार लोगों ने उनका यौन उत्पीड़न किया। कुछ आरोपियों ने अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए इस पूरी घटना का वीडियो भी बना लिया था। अभिनेत्री ने किसी तरह से अपनी जान बचाई। मामले में केरल पुलिस ने दस में से सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था,जिनमें से पल्सर सुनी मुख्य आरोपी था। साजिश रचने के आरोपी अभिनेता दिलीप को भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी। इसी मामले के बाद हुआ हेमा कमेटी का गठन इसी घटना के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे थे। घटना के बाद दबाव में केरल सरकार ने रिटायर्ड हाईकोर्ट जज के.हेमा, पूर्व एक्ट्रेस शारदा और रिटायर्ड IAS केबी वलसला कुमारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसका नाम हेमा कमेटी था। कमेटी को रिपोर्ट बनाने में दो साल का समय लगा। इस दौरान फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले कई आर्टिस्ट्स, टेक्नीशियन, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर्स, फिल्म ऑर्गेनाइजेशन्स और डब्ल्यू.सी.सी मेंबर्स के इंटरव्यू लिए गए और उनसे जानने की कोशिश की गई कि महिलाओं की स्थिति क्या है। 31 दिसंबर, 2019 को जस्टिस हेमा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। जिसे 18 अगस्त 2024 को रिलीज गया है। इस रिपोर्ट में सामने आया कि मलयालम सिनेमा में महिलाओं से काम के बदले सेक्शुअल फेवर की डिमांड की जाती है। उन्हें सेट पर टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाएं भी नहीं दी जाती हैं।