एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर को स्पेस स्टेशन ले जाने वाला स्पेस क्राफ्ट 3 महीने बाद आज धरती पर वापस लाया जा रहा है। भारतीय समयानुसार सुबह 3:30 बजे यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अलग हुआ। सुबह 9:30 बजे यह अमेरिकी प्रांत न्यू मैक्सिको के व्हॉइट सैंड स्पेस हॉर्बर (रेगिस्तान) में लैंड करेगा। बोइंग कंपनी ने यह स्पेस क्राफ्ट बनाया है। 5 जून को इससे सुनीता और बुच को ISS पर भेजा गया था। यह सिर्फ 8 दिन का मिशन था। लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण इसकी वापसी टालनी पड़ी थी। अब यह स्पेसक्राफ्ट बिना क्रू के पृथ्वी पर वापस आ रहा है। स्टारलाइनर की लैंडिंग के बाद नासा और बोइंग की टीम इसे वापस असेंबली यूनिट में लेकर जाएगी। वहां पर उसकी जांच की जाएगी। पता किया जाएगा कि स्टारलाइन के प्रोपल्शन सिस्टम में क्यों खराबी आई। किस वजह से हीलियम लीक हुई। स्टारलाइनर की लैंडिंग का लाइव प्रसारण देखिए। स्पेस स्टेशन से स्टारलाइनर अलग को अलग होते देखिए… The uncrewed @Boeing #Starliner spacecraft has departed the space station undocking from the Harmony module’s forward port at 6:04pm ET today. More… https://t.co/2SfoRtuiON pic.twitter.com/pp9Zua6jN7 लॉन्चिंग से वापसी तक सवाल-जवाब में जानिए इस मिशन के बारे में… सवाल: सुनीता विलियम्स स्पेस में कब गई थीं और उन्हें कब वापस आना था?
जवाब: 5 जून 2024 को सुनीता स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। यह अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और NASA का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों और हीलियम गैस के रिसाव के चलते सुनीता वहीं फंसी हैं। सवाल: सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था?
जवाब: बोइंग की तरफ से कहा गया था कि ये लॉन्च, NASA और बोइंग के स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट की शुरुआत है। लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे। सवाल: सुनीता के स्पेस क्राफ्ट के साथ क्या दिक्कत हुई जिसके चलते वह स्पेस में फंस गई?
जवाब: लॉन्च से पहले और बाद में स्पेसक्राफ्ट में लगातार दिक्कतें आईं… सवाल: NASA ने सुनीता और विलमोर को वापस लाने के लिए अब तक क्या किया है?
जवाब: NASA और बोइंग ने विलमोर और सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस लाने की कोशिश में 1 लाख से ज्यादा कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन किए हैं। सिमुलेशन का शाब्दिक अर्थ नकल या दिखावा होता है। इन 1 लाख कंप्यूटर सिमुलेशन में यह देखा गया है कि स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन से अन-डॉक करने, पृथ्वी के वायुमंडल में आने और फिर जमीन पर लैंड करने का सबसे सही मौका और तरीका क्या हो सकता है। कई और तरह के टेस्ट किए गए हैं। जैसे- सभी 27 थ्रस्टर के टेस्ट हुए हैं। यह भी टेस्ट किया गया है कि स्पेस स्टेशन से अनडॉक करते समय (यानी स्पेसक्राफ्ट के वहां से उड़ान भरते समय), फ्री फ्लाई यानी धरती की तरफ आते समय और धरती पर लैंड करते समय सभी थ्रस्टर कैसे काम करेंगे। इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर वगैरह की जांच की गई है। टेस्ट के बाद बोइंग ने कहा है कि 28 में से 27 रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) थ्रस्टर्स पूरी तरह ठीक हैं और अब वापस काम करने के लिए तैयार हैं। प्रोपल्शन सिस्टम और हीलियम गैस का लेवल भी ठीक है। NASA का कहना है कि कोई जल्दबाजी करने के बजाय उसका फोकस एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित वापसी पर है। सवाल: सुनीता को वापस धरती पर लाने के लिए अभी कोई स्पेसक्राफ्ट नहीं भेजा जा सकता?
जवाब: NASA का कहना है कि सुनीता और विलमोर की वापसी फरवरी 2025 तक टाली जा सकती है। इस तरह 5 जून से फरवरी 2025 तक सुनीता को स्पेस स्टेशन पर 8 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है। असल में सितंबर में स्पेस स्टेशन पर स्पेसएक्स का एक एयरक्राफ्ट लॉन्च किया जाने वाला है। यह स्टारलाइनर को स्पेस में छोड़े जाने के बाद बचे अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट के लिए बचे खाली पार्किंग स्पॉट पर खड़ा हो जाएगा। इसमें 4 की बजाय 2 ही एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन पर भेजे जाएंगे। खाली जगहें सुनीता और विलमोर के लिए रहेंगी, लेकिन फिर भी उन्हें फरवरी तक स्पेस स्टेशन पर ही रहना होगा। इसकी वजह ये है कि स्पेस स्टेशन के मिशन कम से कम 6 महीने या साल भर तक भी चलते हैं। यह स्पेसक्राफ्ट भी वहां फरवरी तक रुकेगा। अभी तक सुनीता और विलमोर के लिए अलग से कोई ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भेजने का नहीं सोचा गया है, तो कुल मिलाकर अगर स्टारलाइनर उड़ान नहीं भरता है तो ड्रैगन से सुनीता की पृथ्वी पर वापसी फरवरी में ही हो सकती है। सवाल: इतने लंबे समय में सुनीता को स्पेस स्टेशन पर रहने से क्या खतरे हो सकते हैं?
जवाब: 8 महीने का समय स्पेस स्टेशन पर रहने के लिए एक लंबा वक्त है। NASA का कहना है कि सुनीता और विलमोर वहां फंसे जरूर हैं लेकिन वहां खाने-पीने की कोई कमी नहीं है। कई काम भी हैं जो दोनों एस्ट्रोनॉट्स कर सकते हैं। हालांकि, इतने लंबे समय में कई बार एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस के खतरनाक रेडिएशन, जीरो ग्रैविटी में रहने के प्रभाव और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं। सवाल: स्पेस स्टेशन में रेडिएशन से सुनीता को क्या खतरा हो सकता है?
जवाब: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को करीब 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। ये एक सुसज्जित लैबोरेटरी है, जिसमें रहने की जगह, बेडरूम और एक्सरसाइज के लिए जिम तक है। फिर भी पृथ्वी के बाहर ये सारी चीजें एक कृत्रिम वातावरण में हैं, जहां रहना हमेशा मुश्किलों से भरा होता है स्पेस स्टेशन, पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर एक ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी पर हमको पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड और ओजोन गैस की परत सूरज के खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से बचा लेती है, लेकिन वहां ऑर्बिट में घूमते समय स्पेस स्टेशन ऐसे पॉइंट से भी गुजरता है जहां सूरज का रेडिएशन पृथ्वी की तुलना में 30 गुना तक ज्यादा है। स्पेस स्टेशन एक हफ्ते में उतना रेडिएशन झेलता है जितना हम धरती पर एक साल में झेलते हैं। ये कितना खतरनाक है, इसे ऐसे समझिए कि रेडिएशन मापने की इकाई मिली-सीवर्ट (mSv) है। 1 मिली-सीवर्ट लगभग उतना ही रेडिएशन है जितना चेस्ट के 3 एक्स-रे करवाने पर निकलता है। जबकि एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में 50 से 20,000 मिली-सीवर्ट तक का रेडिएशन झेलते हैं। ये करीब 150 से 6 हजार चेस्ट एक्स-रे के रेडिएशन जितना है। इतने रेडिएशन से कैंसर होने का बड़ा खतरा हो सकता है, शरीर के टिशू और नर्वस सिस्टम खराब हो सकता है। सवाल: जीरो ग्रैविटी में रहने से क्या समस्याएं हो सकती हैं?
जवाब: अंतरिक्ष में दूसरा सबसे बड़ा खतरा जीरो ग्रैविटी है। हम जमीन पर चलने पर थकते क्यों हैं? क्योंकि हमारी हड्डियों और मांसपेशियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ता है। इस काम के चलते हमारे शरीर की लगातार एक्सरसाइज होती रहती है। जीरो या बहुत कम ग्रैविटी में हमारे शरीर पर कोई जोर नहीं पड़ता। इससे हड्डियों और मांसपेशियों को नुकसान होता है। जानकारों के मुताबिक, हड्डियों के टिशू हर महीने 1।5% तक डैमेज हो सकते हैं। खास तौर पर रीढ़, कूल्हे और जांघ की हड्डियां प्रभावित हो सकती हैं। शरीर पर कोई मेहनत न होने के चलते दिल की एक्टिविटी भी कमजोर पड़ सकती है। हमारा शरीर के ज्यादातर हिस्से में लिक्विड है। बचपन में साइंस की किताब में पढ़ा होगा कि शरीर 70% पानी से बना है। ग्रैविटी न होने से इस लिक्विड का बैलेंस बिगड़ सकता है। इससे एस्ट्रोनॉट्स के शरीर पर सूजन आ जाती है। स्वाद और गंध, यहां तक कि उनकी स्पीच भी प्रभावित होती है। सवाल: क्या सुनीता और उनके साथी को मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी हो सकती हैं?
जवाब: हां, सुनीता और उनके साथी विलमोर को मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी हो सकती हैं। असल में ये दोनों लोग सिर्फ 8 दिनों के लिए घर छोड़कर स्पेस में गए थे। वहां जाने के बाद अब उन्हें अप्रत्याशित रूप से 8 महीने या उससे ज्यादा समय तक रुकना पड़ रहा है। जिस स्पेसक्राफ्ट से आए हैं, उसमें भी हीलियम लीक जैसी दिक्कतें हैं। अभी यह भी नहीं पता है कि वापसी किस स्पेसक्राफ्ट से करनी है, ऐसे में मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है। सवाल: क्या इससे पहले कभी एस्ट्रोनॉट्स का स्पेस पर रहने का समय अचानक बढ़ाया गया है?
जवाब: हां, ऐसा पहली बार नहीं है। NASA के एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रुबियो और उनके साथ दो रूसी साथियों को अंतरिक्ष में एक साल से ज़्यादा समय बिताना पड़ा, क्योंकि उनका सोयुज स्पेसक्राफ्ट स्पेस में डेबरीस (सैटेलाइट्स का कबाड़) से टकरा गया था। इसके चलते स्पेसक्राफ्ट का कूलेंट लीक हो गया, बीते साल सिंतबर में उन्हें वापस लाने के लिए दूसरा रूसी स्पेसक्राफ्ट भेजा गया। सुनीता के अलावा अभी स्पेस स्टेशन पर 4 और अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स और तीन रूसी एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं। इन सभी के लिए इसी सप्ताह एक स्पेसक्राफ्ट खाना और कपड़े लेकर गया था। अगले कुछ महीनों में और सप्लाई की जाएगी। जब सुनीता और विलमोर गए थे तब वो इंस्ट्रूमेंट्स के लिए जगह बनाने के लिए अपने साथ कपड़ों का सूटकेस नहीं ले गए थे। उन्होंने वहां मौजूद एस्ट्रोनॉट्स के कपड़ों से काम चलाया था। हालांकि, अभी तक बीते महीने सिर्फ सिर्फ एक बार सुनीता ने मीडिया से बात की थी, उन्होंने कहा था कि वह स्पेसक्राफ्ट की मरम्मत और रिसर्च में व्यस्त हैं। बढ़ाए गए टाइम को लेकर उनका कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है। ये खबर भी पढ़ें… सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से 250 दिन बाद लौटेंगी: हड्डियां-आंखें कमजोर हो जाएंगी, डीएनए में बदलाव संभव; भविष्य में कैंसर का खतरा भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अंतरिक्ष में हैं। अब उनकी वापसी फरवरी 2025 में होगी। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में लगभग 250 दिन बिताए होंगे। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की वजह से उनके शरीर, आंख और डीएनए में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे।​​​​​ पूरी खबर पढ़ें…