‘अनुपमा’ फेम सुधांशु पांडे का रोमांटिक एल्बम – ‘बेहिसाबा’ रिलीज हो गया है। एक्टर-सिंगर की मानें तो वे मोहम्मद रफी, किशोर कुमार के गाने बड़े आराम से गा सकते हैं। लेकिन, इस एल्बम को आवाज देना उनके लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था। बता दें, एक समय सुधांशु सिंगिंग बैंड ‘ए बैंड ऑफ बॉयज’ का हिस्सा हुआ करते थे। कुछ सालों बाद, उन्होंने बैंड से बाहर निकलकर, एक्टिंग करियर पर फोकस करना शुरू कर दिया था। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, एक्टर-सिंगर ने अपनी प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर की। मैं अपनी पॉपुलैरिटी से कभी अटैच नहीं हुआ बैंड ऑफ बॉयज के गाने सिर्फ देश-विदेश में ही नहीं बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी पॉपुलर हुआ करते थे। लोग हमारे काम के पीछे पागल थे। बड़े से बड़े एक्टर, प्रोड्यूसर हमारे काम की तारीफ किया करते थे। हम बड़े-बड़े प्लेटफार्म पर परफॉर्म करते थे। परफॉर्मेंस के दौरान, लोग अपने कपड़े फाड़ देते थे। अपने करियर में हमने यह आलम भी देखा था। लेकिन हर दिन एक जैसा नहीं हो सकता है। कभी अच्छा काम किया तो कभी एवरेज पर आ गए। सबसे अच्छी बात यह थी कि मैं उस पॉपुलैरिटी से कभी अटैच नहीं हुआ। जब सही समय नहीं था तब सोचता था कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? लेकिन फिर मैंने खुद को महाकाल के सामने समर्पित कर दिया। यही वजह है कि इतने उतार-चढ़ाव के बावजूद, मैं अपने करियर में संतुष्ट हूं। सोशल मीडिया किसी शैतान से कम नहीं है आज की पीढ़ी सोशल मीडिया से काफी अटैच है। लेकिन ये किसी शैतान से कम नहीं। यदि आप बतौर आर्टिस्ट खुद को स्वस्थ रखना चाहते हो तो सबसे पहले इस शैतान से खुद को दूर रखना सीखना होगा। यकीन मानिए, मैं कभी मेरे काम को सोशल मीडिया पर कितने लाइक मिले, कितने फॉलोअर्स बढ़े, किसने क्या कमेंट किया, इन सभी बातों पर कभी फोकस नहीं करता हूं। मैं खुद को ऐसे जहन्नुम में नहीं डालना चाहता हूं। मैं कभी भी सोशल मीडिया से अटैच नहीं हुआ हूं। वैसे, किसी भी कलाकार को तारीफ की सबसे ज्यादा भूख होती है। वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी तारीफ करें। ऐसे में, डिटेचमेंट आसान नहीं होता है। मेंटली स्ट्रॉन्ग होना बहुत जरुरी है आज के समय में, हर परफॉर्मर, आर्टिस्ट और एक्टर को अपनी मेंटल हेल्थ पर सबसे ज्यादा फोकस करना चाहिए। तभी वह खुशी-खुशी और लंबे समय तक इस इंडस्ट्री में टिक पाएगा। हमारी इंडस्ट्री में बहुत कॉम्पिटिशन और प्रेशर है। ऐसे में, मेंटली स्ट्रॉन्ग होना बहुत जरुरी है। गाने में Gen-Z का फील देना आसान नहीं था मैं अपनी एल्बम ‘बेहिसाबा’ के लिए उत्साहित के साथ-साथ नर्वस भी था। दरअसल, मैं मोहम्मद रफी, किशोर दा के गाने बहुत आराम से गा सकता हूं लेकिन जो एक Gen-Z की फील होती है, उसके लिए आपको एक्स्ट्रा एफर्ट डालनी पड़ती है। यह इतना आसान नहीं था। खुश हूं कि मैं कंपोजर की उम्मीदों पर खरा उतरा।