तारीख: 25 मार्च 2024, दिन- सोमवार। अमेरिका के मैरीलैंड शहर में बाल्टीमोर पोर्ट से दाली नाम का जहाज रात 12:30 बजे श्रीलंका के लिए रवाना हुआ। इस पर भारत के 21 क्रू सदस्यों के अलावा एक पायलट और एक ट्रेनी पायलट सवार था। पायलट के पास 10 साल का अनुभव था और वो बाल्टीमोर पोर्ट को अच्छी से समझता था। ​​​​​​रात करीब 1 बजकर 25 मिनट पर जहाज की रफ्तार 10 मील प्रति घंटा हो चुकी थी। तभी अचानक इस पर अलार्म बजने लगे। पावर सप्लाई ठप हो गई और सभी लाइट बंद हो गईं। जहाज ‘फ्रांसिस स्कॉट की’ ब्रिज के खंभे की तरफ बढ़ने लगा। बड़े हादसे के डर से क्रू अगले 5 मिनट वो तमाम कोशिशें करने में जुट गया, जिससे जहाज को खंभे से टकराने से बचाया जा सके। जहाज पर पावर सप्लाई रुकने से लेकर ब्रिज से टकराने तक क्या-क्या हुआ
रात 1:25 बजे: जहाज पर कई अलार्म बजने लगे। इसके बाद पावर सप्लाई ठप हो गई और सभी लाइट बंद पड़ गईं। इसके बाद जहाज बाल्टीमोर ब्रिज के खंभे की तरफ बढ़ने लगा। रात 1:26 बजे: पायलट ने कैप्टन से जहाज का इंजन फिर शुरू करने को कहा। इस दौरान क्रू को आदेश दिया गया कि वो जहाज को बाईं तरफ मोड़ने की कोशिश करें। रात 1:27 बजे: कोई विकल्प नजर न आने पर पायलट ने क्रू से एंकर नीचे डालने को कहा, जिससे जहाज की स्पीड कम हो सके। साथ ही मैरीलैंड की ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को अलर्ट भेजा गया। रात 1:28 बजे: इमरजेंसी जनरेटर स्टार्ट हो गया। इसके बाद कुछ समय के लिए जहाज पर लाइट ऑन हो गई और रडार-स्टीयरिंग सिस्टम बहाल हो गया। हालांकि, इसके बावजूद कोई मदद नहीं मिली। जहाज लगातार ब्रिज के खंभे की तरफ बढ़ रहा था। रात 1:29 बजे: एक तरफ ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने 90 सेकेंड के अंदर पुल के दोनों तरफ ट्रैफिक को रुकवा दिया। वहीं दूसरी तरफ, 95 हजार टन के वजन के साथ दाली जहाज ब्रिज से टकरा गया। पुल के साथ 8 लोग भी पानी में गिर गए
टक्कर होते ही बाल्टीमोर ब्रिज का एक हिस्सा मुड़कर जहाज के ऊपर गिर गया। इसके बाद पुल का कुछ और हिस्सा टूटकर नदी में गिर गया। इस दौरान पुल पर 8 कर्मचारी मरम्मत का काम कर रहे थे। ब्रिज के साथ ये सभी लोग पेटाप्सको नदी में गिर गए। इनमें से 2 को मंगलवार को रेस्क्यू कर लिया गया था, जबकि 6 लापता थे। बुधवार को बरामद हुए दोनों शव एक पिकअप ट्रक में मौजूद थे, जो नदी में गिरा था। मैरीलैंड स्टेट पुलिस ने बताया कि बाकी 4 लोगों को मृत घोषित कर सर्च ऑपरेशन रोक दिया गया है। इंजीनियरों ने 23 साल पहले ही चेतावनी दी थी
फ्रांसिस की ब्रिज को 1977 में पेटाप्सको नदी पर बनाया गया था। इसका नाम अमेरिका का राष्ट्रगान लिखने वाले फ्रांसिस स्कॉट की के नाम पर रखा गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ब्रिज बनने के 3 साल बाद 1980 में ही इंजीनियरों ने चेतावनी दी थी कि ब्रिज का डिजाइन इस लायक नहीं है कि यह कभी भी कंटेनर शिप से टक्कर को झेल सके। कंटोनर जहाजों को लंबे समय से बाल्टीमोर ब्रिज के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा था। ब्रिज के बनने के कुछ ही साल बाद, एक जहाज फ्लोरिडा के टाम्पा खाड़ी में सनशाइन स्काईवे ब्रिज से टकरा गया था। इस दौरान पुल ढहने से करीब 35 लोग मारे गए थे। इसके बाद 1980 में एक जहाज बाल्टीमोर ब्रिज से भी टकराया था। हालांकि, ये बहुत छोटा था और इससे ब्रिज को कोई नुकसान नहीं हुआ था। मैप के जरिए समझिए जहाज के टकराने और पूल टूटने की लोकेशन.. राष्ट्रपति बाइडेन ने भारतीय क्रू की तारीफ की
इससे पहले बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जहाज पर मौजूद भारतीय क्रू की तारीफ की थी। CNN न्यूज के मुताबिक, मैरीलैंड के गवर्नर वेस मूर ने कहा था कि जहाज के क्रू ने समय पर खतरे की जानकारी दे दी। इसकी वजह से ब्रिज पर ट्रैफिक को रोक दिया गया और कई लोगों की जान बच गई। अमेरिकी कोस्ट गार्ड अधिकारी ने बताया कि फिलहाल भारतीय क्रू को मैरीलैंड में ही रोका गया है। यहां जहाज पर खराबी कैसे आई इसकी जांच की जा रही है। मैरीलांड में इमरजेंसी, बाइडेन सरकार कराएगी ब्रिज की मरम्मत
दाली जहाज 984 फीट लंबा और 157 फीट चौड़ा था। जहाज सिनर्जी ग्रुप नाम की कंपनी का था। बिजली जाने के बाद जहाज पर काला धुआं उठा और इसके बाद यह ब्रिज से टकराया था। हालांकि, इस दौरान क्रू का कोई भी सदस्य घायल नहीं हुआ। दूसरी तरफ, घटना को देखते हुए मैरीलैंड में स्टेट ऑफ इमरजेंसी घोषित की गई है। राष्ट्रपति बाइडेन ने संसद में घोषणा की कि सरकार बाल्टीमोर ब्रिज को दोबारा बनाने के लिए पूरा खर्च उठाएगी। फ्रांसिस की ब्रिज को 1977 में पेटाप्सको नदी पर बनाया गया था। इसका नाम अमेरिका का राष्ट्रगान लिखने वाले फ्रांसिस स्कॉट की के नाम पर रखा गया है। मैरीलैंड सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, पिछले साल बाल्टिमोर पोर्ट से करीब 5.2 करोड़ टन का अंतरराष्ट्रीय कार्गो (सामान) गुजरा था। इसकी कीमत 6.67 लाख करोड़ थी। इस पोर्ट के जरिए 15 हजार से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर नौकरी मिली है। वहीं इसकी वजह से मैरीलैंड में भी करीब 1.39 लाख लोगों का गुजारा चलता है।