विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन की पांचवीं बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन बनाने का फैसला हुआ है। शनिवार को एक वर्चुअल बैठक बुलाया गया था जिस में ये फैसला लिया गया। इस बैठक में विपक्षी गठबंधन के सिर्फ 10 सदस्य दलों ने ही भाग लिया। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे इसमें शामिल नहीं हुए।

दिल्ली : विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. (इंडियन नैशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने शनिवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन चुन लिया है। ये निर्णय शनिवार को गठबंधन की वर्चुअल बैठक में लिया गया। शनिवार को गठबंधन की इस पांचवीं बैठक में 10 पार्टियों के नेता ही शामिल हुए। इसमें शामिल सभी दलों ने खरगे को इंडिया ब्लॉक का चीफ बनाए जाने पर सहमति दे दी है। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान गठबंधन के बाकी नेताओं से चर्चा के बाद किया जाएगा। शनिवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में न तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल हुई थीं और न ही उनकी पार्टी टीएमसी से कोई और प्रतिनिधि शामिल हुआ। इसी तरह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल नहीं हुए। बैठक से पहले ये अटकलें थीं कि इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाए जाने का फैसला हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आखिर खरगे को इंडिया गठबंधन का चेयरपर्सन बनाए जाने का मतलब क्या है?
गठबंधन चीफ यानी विपक्ष की तरफ से पीएम फेस खरगे?

मल्लिकार्जुन खरगे को I.N.D.I.A गठबंधन का चीफ बनाने का कहीं ये मतलब तो नहीं कि वह विपक्ष की तरफ से लोकसभा चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार होंगे? वैसे भी पिछली मीटिंग में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने खरगे को गठबंधन की तरफ से पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि दलित समुदाय से आने वाले खरगे को पीएम फेस बनाने से चुनाव में विपक्ष को फायदा होगा। तो क्या खरगे को विपक्ष की तरफ से पीएम पद का उम्मीदवार माना जा सकता है? इसका जवाब गठबंधन ही दे सकते है। गठबंधन का चेयरपर्सन होने से ही प्रधानमंत्री बनेंगे ऐसा ना भी हो सकता हैं। यूपीए के दौरान सोनिया गांधी गठबंधन की चेयरपर्सन थीं लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बनाया गया था। इसलिए गठबंधन का चेयरपर्सन बनाए जाने को पीएम पद की उम्मीदवारी के तौर पर नहीं देखा जा सकता।

सीट शेयरिंग एक बड़ा चुनौती

I.N.D.I.A गठबंधन का मुखिया कौन होगा एक बड़ा चुनौती था, विपक्ष इस चुनौती हल कर दिया। अब इससे बड़ा चुनौती है सीटों का बंटवारा। लोकसभा चुनाव में बमुश्किल 3-4 महीने बचे हैं लेकिन विपक्षी गठबंधन अबतक यही नहीं तय कर पाया है कि किस राज्य में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी। अभी यह तय हो भी जाए तो अगला चुनौती होगी कि किन-किन सीटों पर कौन पार्टी लड़ेगी। हालांकि, इसे लेकर बातचीत चल रही है। गठबंधन की सबसे बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रभाव है इसलिए वह सीट शेयरिंग को लेकर क्षेत्रीय दलों के साथ अलग-अलग बैठकें कर रही है। शनिवार की बैठक में नीतीश कुमार ने भी सीट शेयरिंग को सबसे बड़ी चुनौती बताया। ममता बनर्जी के बैठक में शामिल नहीं होने को भी सीट शेयरिंग की जटिलता से जोड़कर देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, यूपी, पंजाब, दिल्ली जैसे राज्यों में सीट शेयरिंग फॉर्म्युला तय करना विपक्ष के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता हैं। ये मामला इतना जटिल है , अगर इसे सही से हल नहीं किया गया तो चुनाव से पहले हो सकता है कि गठबंधन बिखर जाय, कुछ पार्टियां गठबंधन से अलग हो जाए।

नीतीश कुमार को क्या मिला ?

नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाया जाने का अटकलें चल रहा था अब मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन बनाए जाने के बाद गठबंधन का कोई संयोजक भी चुना जाएगा, इसकी संभावना कम है। वैसे चेयरपर्सन और कन्वेनर यानी संयोजक ये दोनों पद एक साथ भी रह सकते हैं, लेकिन गठबंधनों पर नजर डालें तो इसकी संभावना बहुत कम है। UPA का चेयरपर्सन सोनिया गांधी थीं। यूपीए में कोई संयोजक नहीं था। दूसरी तरफ NDA में संयोजक का पद रहा है, चेयरपर्सन का नहीं। जॉर्ज फर्नांडीज, शरद यादव और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता एनडीए के संयोजक रह चुके हैं। फिलहाल उसमें संयोजक पद खाली है। अब खरगे को चेयरपर्सन बनाए जाने के बाद नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनाए जाने को लेकर चलने वालीं अटकलों पर विराम लग गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी समेत कुछ बड़े नेताओं ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की पेशकश की लेकिन नीतीश ने उसे ठुकरा दिया।

नीतीश कुमार का स्वप्ना था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजय रथ को किसी भी तरह रोक दिया जाएगा और अधुरा प्रधानमंत्री बनने का स्वप्ना पुरा हो जाएं। इसी सोच लेकर विपक्षी दलों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया। असल में वही इंडिया गठबंधन के शिल्पकार हैं। इसलिए समय-समय पर उन्हें गठबंधन का संयोजक बनाए जाने की अटकलें लगती रहती थीं। अब गठबंधन की पांचवीं बैठक से साफ हो गया कि वह संयोजक नहीं बनने वाले तो क्या इससे बिहार के सीएम वाकई नाराज हैं? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि मीटिंग के दौरान नीतीश कुमार ने ही कहा कि कांग्रेस से ही किसी नेता को गठबंधन का चेयरपर्सन बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी पद में दिलचस्पी नहीं है, वह अपने लिए कोई पद नहीं चाहते हैं। वह सिर्फ ये चाहते हैं कि गठबंधन मजबूत हो। नीतीश कुमार ने कहा कि एकजुटता जरूरी है। बहार ए वात कहा भी तो मन में कष्ट जरूर है।