‘गुल्लक मिडिल क्लास परिवार की कहानी है। ज्यादातर दर्शक इस कहानी में खुद को पाते हैं। हमने मिडिल क्लास को हीरो के रूप में कम देखा है, गुल्लक में हमने परिवार और समाज के नायक को दिखाया है। यही वजह है कि लोग इसे पसंद कर रहे हैं।’ यह कहना है गुल्लक सीरीज के डायरेक्टर श्रेयांश पांडे का। गुल्लक का चौथा सीजन 7 जून को सोनी लिव पर रिलीज हुआ है। डायरेक्टर श्रेयांश पांडे ने गुल्लक की मेकिंग पर दैनिक भास्कर से बात की। पढ़िए इसके रोचक किस्से- गुल्लक इकलौता ओटीटी शो, जिसके 4 सीजन आ चुके गुल्लक इकलौता ऐसा ओटीटी शो बनने जा रहा है, जिसका चौथा सीजन रिलीज हो रहा है। कोई भी अन्य शो इस मुकाम तक अभी नहीं पहुंचा है। 2018 में जब गुल्लक शुरू हुआ था, उस समय में सीरियल में लेखक के रूप में जुड़ा था। निखिल विजय और अमित राज गुप्ता ने इसे डायरेक्ट किया था। हमारा लक्ष्य था एक फैमिली शो बनाना। ऐसा नहीं था कि तब टीवीएस के अन्य फैमिली शो नहीं थे, टीवीएफ तब पहले ही ट्रिपलिंग और यह मेरी फैमिली बना चुका था। ये भी फैमिली शो ही थे। उस समय भी हमसे सवाल पूछा गया कि पहले ही हम दो फैमिली शो बना चुके हैं तो तुम्हे एक और फैमिली शो क्यों बनाना है? तब मैंने यही कहा था कि अभी भी टियर-2 या टियर-3 शहरों की कहानी लोगों तक पहुंचाना बाकी है। वहीं से गुल्लक की नींव रखी गई। शूटिंग भले 15 दिन में हुई, लेकिन इसके लेखन पर साल भर काम चला मैं पूर्वांचल से आता हूं, मैंने देखा है कि हमारे घर के अंदर कितना ज्यादा मजाक और व्यंग होता है। वो किस्से तब तक ओटीटी से मिसिंग थे। तब हमने सोचा कि क्यों न कोई मिडिल क्लास फैमिली ड्रामा बनाया जाए। सबसे जरूरी बात है कि हमने बहुत कम 15 से 16 दिन में उसे शूट किया। लेकिन इसकी राइटिंग पर हमने एक साल का समय लगाया था। जब सीजन 1 बनाया था तब कभी नहीं सोचा था कि हम ऐसे बैठकर सीजन 4 की बात करेंगे। स्क्रिप्ट में 5 एपिसोड ही हैं, लेकिन इतने एपिसोड की भी 150 से 200 पन्ने के अंदर की ही स्क्रिप्ट होती है। 5 साल बाद अब गुल्लक की कहानी में नए किस्से दिखेंगे गुल्लक को 5 साल हो गए हैं। पहले सीजन में स्टोरी अलग थी। बड़ा बेटा नाकारा था, छोटे बेटे के बोर्ड्स चल रहे थे। मिश्रा जी इकलौते कमाने वाले थे। लेकिन जैसे मिडिल-क्लास फैमिली के जीवन में बदलाव आता है, वैसे ही गुल्लक के मिश्रा परिवार का जीवन बदला है। अब बड़ा बेटा नौकरी करता है, छोटा बेटा बड़ा हो रहा है। इसीलिए इस सीजन में नई चुनौतियां और नए किस्से हैं। पैरेंटिंग की थीम पर है गुल्लक का यह सीजन गुल्लक में हमने कोशिश की है कि एक पैरेंटिंग का भी उदाहरण दें। आज के दौर में पैरेंट्स बच्चों से कुछ कहने में कतराते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि बच्चा कुछ गलत कदम न उठा ले। सुसाइड न कर ले या फिर डिप्रेशन में न चला जाए। मेरा यह मानना है कि यह परंपरा ठीक नहीं है। बचपन से हम उस माहौल में रहे हैं जहां मेरे पिता जी मुझे खुलकर डांट सकते थे। लेकिन आज मां-बाप के मन में भी डर होता है। ऐसे में आप गुल्लक में पाएंगे कि हमने पैरेंटिंग का अच्छा उदाहरण दिखाया है, जहां पिता अपने बेटे से कुछ भी कह सकता है। मां-बाप और बच्चों के बीच संवाद जरूरी है, तभी घर का माहौल भी मजाकिया होता है। गुल्लक जैसी सीरीज लोगों को तनाव से मुक्त करती है, गुदगदाती है गुल्लक की सफलता का राज सिर्फ इतना है कि आज के दौर में तनाव बहुत बढ़ गया है। लोगों को लाइट कंटेंट पसंद आ रहे हैं। ऐसे कंटेंट जो फैमिली के साथ बैठकर देख सकें। गुल्लक जैसी सीरीज हमें गुदगुदाती है। अंदर से खुश करती है और सबसे जरूरी यह हमें बचपन में ले जाती है। एक दूसरी बात यह भी है कि भारत हिन्दी हार्टलैंड में बसता है। लेकिन मुझे लगता है कि इन शहरों की कहानी हमने कम देखी है। हमने बहुत सारे मिडिल क्लास हीरो नहीं देखे हैं। लेकिन गुल्लक में एक मिडिल क्लास व्यक्ति नायक की भूमिका में है। ऐसे में दर्शक खुद को इसमें देखते हैं। भोपाल में 30 दिन तक शूट किया 30 दिन से ज्यादा शूट किया हमने, भोपाल में ही शूट किया है। लोकेलिटी का नाम इब्राहिमपुरा है। उसके बाद हमने प्रोफेसर्स कॉलोनी के संकट मोचन हनुमान मंदिर में शूट किया है और फिर हमने पुलिस स्टेशन दिखाया है। पहली बार इस सीजन में गुल्लक को ठंड में शूट किया गया है, तो मिडिल क्लास ठंड में कैसे जीवन जीता है वो इस सीजन देखने मिलेगा।