‘दुनिया में सभी बुराइयों की जड़ अमेरिका है।’ ये बात स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको ने कही थी। वही फिको जिन पर पिछले बुधवार (15 मई) को जानलेवा हमला हुआ था। एक 71 वर्षीय शख्स ने उन पर एक के बाद एक 5 गोलियां चलाईं। इनमें से एक गोली उनके पेट में लगी, जिसके बाद से वे जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्लोवाकिया की राजनीति को करीब से जानने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश में जिस तरह ध्रुवीकरण की राजनीति चल रही थी ऐसा होना तय था। इस घटना के बाद अब आशंका जताई जा रही है कि यदि फिको की जान नहीं बच पाती है तो देश में गृहयुद्ध का संकट पैदा हो सकता है। इस स्टोरी में जानिए 3 बार सत्ता में रह चुके फिको अमेरिका को क्यों खटकते हैं, उनका दुनिया की ताकतवर क्रिमिनल गैंग से क्या कनेक्शन है… प्रधानमंत्री बनते ही फिको ने यूक्रेन को सहायता देना बंद किया
रॉबर्ट फिको पिछले साल सिंतबर में चुनाव जीत कर तीसरी बार सत्ता में आए थे। उनकी पार्टी को करीब 23 फीसदी मत हासिल हुआ था। उनकी पार्टी ने संसद की 150 सीटों में से 42 सीटों पर कब्जा किया। रॉबर्ट फिको वॉइस-सोशल डेमोक्रेसी पार्टी (Hlas) और स्लोवाक नेशनल पार्टी के साथ मिलकर 79 सीटों के साथ सरकार चला रहे हैं। सत्ता में आने के बाद फिको ने सबसे पहले 2 काम किए। सबसे पहले उन्होंने यूक्रेन को मिलने वाली सहायता रोक दी। फिको ने चुनाव के दौरान ही ये वादा किया था कि अगर वे सत्ता में आए तो यूक्रेन को मिलने वाली मदद रोक देंगे। दूसरा काम उन्होंने पर्दे के पीछे रहते हुए किया। उन्होंने अपनी Smer पार्टी के नेताओं के खिलाफ हो रही जांच को बंद करवा दिया। दरअसल 2018 में फिको की सरकार को एक खोजी पत्रकार येन कुचिएक और उसकी मंगेतर को मरवाने के आरोपों के चलते गिर गई थी। 27 जनवरी 2018 को येन कुचिएक(27) और उनकी मंगेतर की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। 1989 में सोवियत संघ के पतन के बाद ये पहला ऐसा मामला था जब देश में किसी पत्रकार की हत्या हुई थी। येन इतावली माफिया और फिको सरकार के कई हाई प्रोफाइल नेताओं के बीच कनेक्शन पर स्टोरी कर रहे थे। फिको की मॉडल-माफिया-राजनीति
पत्रकार येन कुचिएक के मरने के बाद 3500 शब्दों की एक रिपोर्ट लीक हो गई थी, जिसमें विस्तार से इतावली माफिया और फिको सरकार के टॉप अधिकारियों के बीच कनेक्शन के बारे में बताया गया था। इसमें लिखा गया था कि कैसे Smer पार्टी के नेता इतावली माफिया के पैसों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसकी जांच तब शुरू हुई जब पीएम रॉबर्ट फिको ने मारिया तोरोस्कोवा नाम की एक पूर्व मॉडल को अचानक से अपना पर्सनल असिस्टेंट बना लिया। वह मिस यूनिवर्स में प्रतिभागी रह चुकी थी। राजनीति की बेहद कम जानकारी होने के बावजूद पीएम फिको ने तोरोस्कोवा को अपना सहयोगी चुना। इसके चलते तोरोस्कोवा को स्लोवाक मीडिया में ‘द सेक्सी असिस्टेंट’ कहा जाने लगा। पत्रकार येन कुचिएक और उनकी टीम ने जब मारिया तोरोस्कोवा को लेकर जांच शूरू की तो उन्हें इससे भी बड़ी एक कहानी का पता चला। उन्हें मालूम हुआ कि तोरोस्कोवा पहले एंटोनियो वदाला नाम के एक शख्स की बिजनेस पार्टनर रह चुकी हैं। वदाला इटली मूल का एक शख्स था जो कि स्लोवाकिया में रहकर बिजनेस कर रहा था। वदाला के बारे में कहा जाता है कि वह ‘नद्रांघेता माफिया’ का एक मेंबर था जिसका काम यूरोप में कोकीन की सप्लाई करना था। मगर वह अपने इस काले धंधे को सफेद बनाने के लिए और भी कई तरह के बिजनेस चलाता था। वदाला और तोरोस्कोवा ने मिलकर एक कंपनी बनाई थी जो कन्सट्रक्शन का काम करती थी। हालांकि, जल्द ही तोरोस्कोवा ने इस कंपनी का साथ छोड़ दिया। लेकिन बाद में भी तोरोस्कोवा और वदाला के बीच संबंध बने रहे। लीक हुई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तोरोस्कोवा ही इतावली माफिया और Smer पार्टी के बीच की कड़ी थी। इससे पहले येन कुचिएक इस बारे में और कुछ जानकारी जुटा पाते, उनकी हत्या कर दी गई। कुचिएक और उनकी मंगेतर को सिर के पास से गोली मारी गई थी। मारने से पहले उन्हें खूब यातनाएं दी गई थीं। पत्रकार की हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति आंद्रेज किस्का ने फिको को पद से हटा दिया। इसके बाद फिको ने राष्ट्रपति किस्का पर अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस से सांठगांठ रखने के आरोप लगाए थे। हाल ही में रॉबर्ट फिको के बयान ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था जब उन्होंने कहा था कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करना है तो कीव को अपनी जमीन का त्याग करना होगा। इस बयान को लेकर यूरोपीय नेताओं ने उनकी काफी आलोचना भी की थी। अमेरिकी विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं रॉबर्ट फिको
फिको अमेरिकी विरोधी रुख रखने के लिए जाने जाते हैं उनका मानना है कि अमेरिका की वजह से स्लाविक देश(रूस और यूक्रेन) आपस में उलझे हुए हैं। रॉबर्ट फिको की तुलना अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से की जाती है। वे शरणार्थी मुद्दे और LGBTQ समर्थक पत्रकारों पर भद्दे आरोप लगा चुके हैं। फिको के आलोचक ये आरोप लगाते हैं कि वे देश की विदेश नीति से अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव को खत्म करना चाहते हैं। रॉबर्ट फिको हंगरी के राष्ट्रपति विक्टर ऑर्बन के बाद दूसरे ऐसे NATO लीडर हैं जिन्हें रूस का कट्टर समर्थक माना जाता है। चेकोस्लोवाकिया के टूटने के बाद 1993 में बना स्लोवाकिया एक छोटा सा देश है जिसकी आबादी सिर्फ 55 लाख के करीब है। स्लोवाकिया की राजनीति रूस और अमेरिका के बीच उलझी हुई है। यही वजह है कि जो देश रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कीव को हथियार देने और युद्ध से भाग रहे शरणार्थियों के लिए सीमाएं खोलने का समर्थक था, वह अक्टूबर 2023 में सरकार बदलते ही यूक्रेन विरोधी हो गया। स्लोवाकिया की राजनीति की ही तरह वहां की जनता भी सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से बंटी हुई है। रॉबर्ट फिको पर हमले के बाद स्लोवाकिया के गृह मंत्री मातुस सुताज एस्टोक ने अंदेशा जताया है कि देश गृहयुद्ध से बस एक कदम की दूरी पर है। उन्होंने फिको के विरोधियों से कहा कि आपने जो नफरत बोई थी वह अब तूफान बन चुका है। फिको की पार्टी के वरिष्ठ नेता और संसद में डिप्टी स्पीकर लउबोस ब्लाहा ने विपक्ष पर इस हमले का दोष मढ़ा है। उन्होंने कहा कि सालों से विपक्षी नेता और लिबरल मीडिया जिस तरह रॉबर्ट फिको के खिलाफ नफरत फैला रहे थे उसका परिणाम एक न एक दिन दिखना ही था। यूरोपियन कमीशन की वाइस प्रेसीडेंट वेरा जौरोवा ने फाइनेंशिएल टाइम्स से बातचीत में कहा, “इस घटना ने हम सबको एक सीख दी है। हम पूरे यूरोप में ध्रुवीकरण और नफरत बढ़ते देख रहे हैं। अब हमें समझ जाना चाहिए कि वैचारिक मतभेद कैसे हिंसा में बदल सकते हैं।” स्लोवाकिया में एक छोटे से शहर की निवासी जना सोलिवार्स्का ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा- “जब पीएम फिको पर हमला हुआ तो मैं हैरान थी कि इसमें इतनी देर कैसे लग गई! स्लोवाकिया राजनीतिक और वैचारिक तौर पर बंटा हुआ देश है। मेरे पति को लगता है कि देश में जल्द ही सिविल वार शुरू होने वाला है। ”