चीन के पड़ोसी देश ताइवान आकार में भले ही छोटा है, लेकिन सेमीकंडक्टर चिप्स मेकिंग में दुनिया आज इसी देश पर निर्भर है। आज ताइवान दुनिया की दिग्गज कंपनियों को सेमीकंडक्टर चिप्स सप्लाई करता है। दुनिया की 86 प्रतिशत चिप्स की जरूरत को अकेले ताइवान ही पूरा कर रहा है। ताइवान में कई जगह सेमीकंडक्टर चिप्स की कंपनियां हैं। लेकिन, यहां की सिंचू सिटी तो एक साइंस पार्क बन चुकी है। यहां ताइवान की सबसे बड़ी चिप निर्माण कंपनी, (TSMC) टीएसएमसी स्थित है। इसका पूरा नाम है- ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड। यहां नाखून से भी छोटी और कागज से भी पतली चिप भी तैयार की जाती हैं। ताइवान में बनी चिप्स का इस्तेमाल आईफोन से लेकर फाइटर जेट तक में किया जाता है। ताइवान का सिंचू साइंस पार्क बहुत ही शानदार है
लगभग चार दशक पहले तक यह शहर था चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध था और सांपों के बिजनेस के लिए कुख्यात था। लेकिन, आज यह ग्लोबल चिप मेकिंग का हब है। सिंचू सिटी ताइवान की राजधानी ताईपेई से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। ताइवान की राजधानी न होने के बावजूद आज इस एक शहर ने पूरे देश के आर्थिक हालात बदलकर रख दिए हैं। सिंचू में अकेले साइंस पार्क का क्षेत्रफल ही सिंगापुर जितना बड़ा है। यह शहर ताइवान के ‘सिलिकॉन शील्ड’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चीन के हमलों से बचने के लिए भी कई निर्माण किए गए हैं। विशाल साइंस पार्क में 24×7 फेसिलिटी स्टोर्स, मल्टी फूजिन रेस्टोरेंट, गार्डंस, स्कूल, यूनिवर्सिटी, बंगले, ऊंची इमारतें और भारी संख्या में विशाल पेड़ है, जिससे यहां की आबोहवा भी तंदुरुस्त रहती है। यहां की दो यूनिवर्सिटी में चिप मेकिंग इंजीनियर्स ही तैयार होते हैं
सेमीकंडक्टर चिप्स की वजह से ही सिंचू में रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति आय में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कोरोना महामारी के दौरान यानी कि 2021 में भी प्रति व्यक्ति आय 40 लाख रुपए के आसपास रही थी। आसपास के दर्जनों गांव भी सेमीकंडक्टर बिजनेस पर निर्भर हैं। खासकर पास के बाओशान गांव में ज्यादातर लोग साइंस पार्क में काम करते हैं। चिप बनाने के लिए आवश्यक पानी सिंचू से 20 किलोमीटर दूर स्थित बाओशान लेक से आता है। इसके अलावा सभी प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ता शहर के आसपास ही स्थित हैं। सिंचू में दो प्रमुख यूनिवर्सिटीज हैं- नेशनल यांग मिंग चियाओ तुंग यूनिवर्सिटी और नेशनल त्सिंग हुआ यूनिवर्सिटी। इन दोनों यूनिवर्सिटी को सेमीकंडक्टर चिप्स मेकिंग की ट्रेनिंग के लिए पहचाना जाता है। इन यूनिवर्सिटीज से निकलने वाले स्टूडेंट्स की सिंचू में ही स्थित सेमीकंडक्टर चिप्स मेकिंग कंपनी में हायरिंग हो जाती है। TSMC अमेरिका, जर्मनी, जापान में भी प्लांट लगाएगी
टीएसएमसी अब दुनिया के तीन देशों में नए प्लांट शुरू करने जा रही है। इसने जर्मनी के ड्रेसडेन में यूरोपीय सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (ईएसएमसी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और 2027 तक वहां एक नया प्लांट तैयार हो जाएगा। इसके अलावा दो और प्लांट की घोषणा की गई है, जिसमें अमेरिका के एरिजोना में तैयार हो रहा प्लांट मार्च 2025 तक एक्टिव हो जाएगा और तीसरा प्लांट जापान के कुमामोटो में निर्माणाधीन है। इसे इसी साल के अंत तक शुरू कर लिया जाएगा। आइए अब जानते हैं टीएसएमसी कंपनी के बारे में कि यह कंपनी सेमीकंडक्टर चिप का केंद्र कैसे बन गई? ताइवान में सेमीकंडक्टर बिजनेस कैसे फला-फूला ?
दरअसल 1960-70 के दशक में तो-शिन चिन-ताई नाम का एक युवा ताइवानी पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंचा था। उसने देखा कि अमेरिका माइक्रोचिप बनाकर कंप्यूटर क्रांति की शुरुआत कर रहा है। अमेरिका में ग्रेजुएट होने के बाद चिन-ताई ने अमेरिका में ही बेरोज कॉर्पोरेशन नामक कंपनी में मेमोरी चिप्स मेकिंग का काम करना शुरु किया। कंप्यूटर निर्माण कंपनियों में बेरोज कॉर्पोरेशन का नाम IBM के नाम पर रखा गया था। जिस वक्त अमेरिका में कंप्यूटर क्रांति हो रही थी, उसी दौरान ताइवान में पेट्रोल-डीजल का संकट शुरू हो गया। ताइवान जो निर्यात करता था, वह जरूरत के हिसाब से बहुत कम था। देश में आर्थिक संकट बढ़ने लगा। तब शिन चिन ने सोचा कि अब अमेरिका छोड़कर अपने देश ताइवान जाने का समय आ गया है। वे ताइवान पहुंचे और वहां की सरकार को सेमीकंडक्टर चिप उद्योग बनाने का आइडिया दिया। TSMC- ताइवान की ‘जन सहयोग’ परियोजना
ताइवान सरकार को चिन-ताई का सुझाया गया सेमीकंडक्टर चिप इंडस्ट्रीज का आइडिया पसंद आया। सरकार निवेश के लिए तैयार हो गई। लेकिन ताइवान सरकार के पास इतनी बड़ी कंपनी खड़ी करने के लिए पर्याप्त राशि नहीं थी। अगर कंपनी स्थापित करनी थी तो भी सबसे बड़ी चुनौती कंपनी चलाने में सक्षम एक इंजीनियर्स की तलाश की थी, जो चिप बिजनेस को विकसित कर सकें। हालांकि, ताइवान सरकार देश का विकास के लिए प्रतिबद्ध थी। इसलिए उन्होंने नेशनल डेवलपमेंट फंड्स में से 48 प्रतिशत राशि दी। अतिरिक्त निवेश के लिए ताइवान के सबसे अमीर लोगों का सहयोग लिया। यह कोई निजी कंपनी नहीं थी, इसलिए ताइवान के मंत्री निवेशकों से मिलने के लिए लगातार आते-जाते रहे और उन्हें इंवेस्टमेंट के लिए मनाते रहे। आखिरकार सरकार की मेहनत रंग लाई। साल 1986 में सिंचू में एक चिप प्लांट स्थापित किया गया। इस कंपनी का नाम शुरुआत में ‘यूनाइटेड माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन’ रखा गया। धीरे-धीरे कंपनी को कामयाबी मिलने लगी और यह एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में तब्दील हो गई। इसके बाद इसका नाम बदलकर ‘ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड यानी कि टीएसएमसी रख दिया गया। किस तरह पूरी दुनिया में छा गई टीएसएमसी
ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड- टीएसएमसी को चलाने के लिए अनुभवी इंजीनियरों की एक मजबूत टीम की आवश्यकता थी। ताइवान सरकार ने एक चीनी-अमेरिकी इंजीनियर्स को कंपनी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इन इंजीनियर्स में एक नाम मौरिस चांग का भी शामिल था, जिनके अनुभव और टैलेंट को देखते हुए ताइवान सरकार ने उन्हें सीईओ बना दिया था। मौरिस चांग ने नए-नए प्रयोग से टीएसएमसी को पूरी दुनिया में एक नई पहचान दी। इसी के चलते कंपनी में उन्हें ताइवान के सेमीकंडक्टर बिजनेस के गॉडफादर के रूप में जाना जाता है। TSMC का सबसे बड़ा कस्टूमर Apple है
2011 में, कंपनी ने बढ़ती प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च 39% बढ़ा दिया था। साथ ही चिप्स प्रोडक्शन 30% बढ़ाने की योजना बनाई थी। मई 2014 में, TSMC के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 568 मिलियन डॉलर्स के आवंटन को मंजूरी दी थी। इस तरह TSMC ने साल 2011 में ही Apple के iPad और iPhone के लिए SoC चिप्स का ट्रायल प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। 2014 में, Apple ने TSMC से अपने A8 और A8X के लिए चिप्स हासिल किए। Apple के बाद Samsung ने भी अपने मोबाइल के लिए TSMC से चिप्स लेना शुरू कर दिया। 2014 तक, Apple टीएसएमसी का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया था। TSMC कंपनी क्या करती है, इसका मुख्य व्यवसाय क्या है?
दुनिया का कोई गैजेट बिना चिप के काम नहीं करता और यही चिप हमारी टेक्नोलॉजी दुनिया का ईंधन है। दुनिया में केवल दो कंपनियां ही 10 नैनोमीटर से छोटे चिप्स बनाती हैं। एक है ताइवान की टीएसएमसी और दूसरी है दक्षिण कोरिया की सैमसंग। अब भी ये कंपनी 3 नैनोमीटर के चिप्स बना रही है. इसके अलावा, टीएसएमसी ने घोषणा की है कि 2025 में यह 2 नैनोमीटर से छोटे चिप्स का उत्पादन करने वाली पहली कंपनी बन जाएगी। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री (टीएसएमसी) का काम डिजाइन के मुताबिक चिप्स का प्रोडक्शन करना है। चिप्स बेचने वाली कंपनियां डिजाइन बनाकर TSMC को देती हैं। TSMC उन्हें अपडेट कर वापस दे देती है। इस तरह का प्रोडक्शन करने वाली कंपनी को फाउंड्री कहा जाता है। टीएसएमसी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर फाउंड्री कंपनी है। चिप्स बेचने वाली सबसे बड़ी कंपनी अमेरिका की Intel है और इसके चिप्स का निर्माण TSMC द्वारा ही किया जाता है। टीएमएससी का म्युजियम
ताइवान के सिंचू साइंस पार्क में टीएसएमसी कंपनी की अलग-अलग डिवीजन वाइज इमारतें हैं। टीएसएमसी म्युजियम में कंपनी और उसकी चिप बिजनेस के बारे में सारी जानकारी मौजूद हैं। इसके अलावा कंपनी ने किस साल क्या किया, कौन सी वैश्विक कंपनियां चिप्स मुहैया कराती हैं, ताइवान की अर्थव्यवस्था में यह कंपनी कितनी प्रभावी है, सारी जानकारी यहां मिल जाती है। यानी कि सिंचू आने वाले लोगों के लिए म्युजियम ऑफ इनोवेशन देखने लायक है। क्या है सेमीकंडक्टर चिप?
सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकोन से बनी होती है, जो सर्किट में बिजली नियंत्रित करने का काम करते हैं। यह चिप गैजेट्स को दिमाग की तरह संचालित करने में मदद करती है। इसके बिना कोई भी इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट अधूरा है। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, एटीएम, अस्पताल की मशीनें और यहां तक ​​कि स्मार्टफोन भी सेमीकंडक्टर चिप्स पर काम करते हैं। सेमीकंडक्टर चिप किस तरह काम करती है?
यह चिप इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को ऑटोमेटिकली ऑपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में जब कपड़े पूरी तरह से धुल जाते हैं तो ऑटोमेटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप अपनी सीट बेल्ट बांधना भूल जाते हैं तो यह टिक, टिक, टिक की आवाज निकालकर अलर्ट करती है। इस तरह के कई साम सेमीकंडक्टर चिप्स की मदद से ही होते हैं। कार की चाबी में भी सेमीकंडक्टर चिप होती है, जिसकी मदद से आप दूर खड़े होकर कार को लॉक और अनलॉक करते हैं। TSMC कंपनी का टर्नओवर कितना है?
टीएसएमसी की हालिया फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में कंपनी का कारोबार 73.86 बिलियन डॉलर (करीब 7386 करोड़ रुपए) था। वहीं, 2021 में कंपनी का टर्नओवर 57.39 बिलियन डॉलर (करीब 5739 करोड़ रुपए) रहा। कंपनी में ताइवान की सरकार सबसे बड़ी शेयरधारक है और ताइवान स्टॉक एक्सचेंज की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टीएसएमसी के लगभग 56 प्रतिशत शेयर जनता के पास हैं और 38 प्रतिशत शेयर संस्थानों के पास हैं। इस कंपनी के सबसे ज्यादा शेयर 2024 की शुरुआत में खरीदे गए हैं।