पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में 16 दिन पहले लापता हुए कवि और पत्रकार अहमद फरहद शाह POK की धीरकोट पुलिस की कस्टडी में हैं। बुधवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद अहमद के परिजन ने उनसे मुजफ्फराबाद के पुलिस स्टेशन में मुलाकात की। दरअसल, पाकिस्तान की फौज के खिलाफ आवाज उठाने वाले POK के कवि अहमद फरहद 14 मई को इस्लामाबाद में अपने घर से लापता हो गए थे। अलजजीरा के मुताबिक, अहमद के परिवार वालों ने दावा किया था कि सरकार की आलोचना करने की वजह से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने उसे गायब करवा दिया था। अहमद की पत्नी उरूज जैनाब ने बताया था कि 14 मई को देर रात 4 पुरुष गहरे रंग के कपड़ों में उनके घर पहुंचे थे। उन्होंने अहमद को खींचकर घर से बाहर निकाला और फिर उसे जबरदस्ती एक कार में बैठाकर ले गए। उनके साथ 3 और गाड़ियां मौजूद थीं। हालांकि पाकिस्तान की सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए बताया था कि अहमद ISI की कस्टडी में नहीं है। अहमद ने POK में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की कवरेज की थी
अहमद फरहद पाकिस्तान का फ्रीलांस पत्रकार और एक कवि है। 38 साल के अहमद PoK के बाग शहर से आते हैं। उसने पिछले कुछ समय में PoK में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की कवरेज की थी। वे पाकिस्तानी फौज की आलोचना के लिए जाने जाते हैं। अहमद की पत्नी जैनाब ने अलजजीरा को बताया कि उनके पति पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी PTI के समर्थक हैं। इस वजह से उन पर काफी समय से सरकारी एजेंसियां दबाव बनाती आई हैं। जैनाब ने आगे बताया कि अहमद सिर्फ मानवाधिकारों के पक्ष में हैं। जब नवाज शरीफ की पार्टी PML-N को फौज ने दबाव डालकर सत्ता से बेधकल किया था, तब अहमद ने PML-N के समर्थन में भी प्रदर्शन किए थे। पत्रकार ने कहा था- मेरी जान को फौज से खतरा
जैनाब ने बताया कि उनके पति कई बार अपनी जान को खतरा बता चुके थे। उन्होंने कहा था कि PoK के मुद्दे उठाने और देश की राजनीति पर टिप्पणी करने की वजह से फौज उनके पीछे लगी हुई है। अहमद की पत्नी ने 15 मई की सुबह इस्लामाबाद के हाईकोर्ट में अपने पति को ढूंढने और अदालत के सामने पेश किए जाने की याचिका लगाई थी। जैनाब ने मांग की थी कि उनके पति के अचानक लापता होने के मामले की जांच की जाए। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, जैनाब ने बताया था कि लापता होने के दो दिन बाद वॉट्सऐप के जरिए अहमद ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। ऑनलाइन कॉल पर अहमद ने उनसे अपनी याचिका वापस लेने को कहा था। जैनाब ने बताया कि हर कॉल 30 सेकेंड की होती थी। अहमद के बात करने के लहजे से पता चल रहा था कि उनसे यह सब जबरदस्ती बुलवाया जा रहा था। अहमद ने कहा था कि अगर जैनाब अपनी याचिका वापस ले लेंगी तो वह 2 दिन के अंदर घर आ जाएंगे। अहमद ने जैनाब से यह भी कहा था कि वह किसी निजी काम की वजह से बाहर गे हैं और बिलकुल सुरक्षित हैं। अहमद की बात मानकर जैनाब ने याचिका वापस लेने की अर्जी भी लगा दी थी। हालांकि, इसके बाद भी अहमद घर नहीं लौटे। हाईकोर्ट ने कहा था- 4 दिन में पत्रकार को ढूंढे अटॉर्नी जनरल
दूसरी तरफ जैनाब की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 16 मई को डिफेंस सेक्रेटरी से अहमद के गायब होने में ISI की कथित भूमिका को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने के जजों ने ISI से अहमद को अगवा करने के मामले में जवाब मांगा था। इसके बाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मोहसिन अखतर कायनी ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मनसूर उस्मान अवान को 4 दिन के अंदर कवि अहमद को ढूंढने का आदेश दिया था। दूसरी तरफ, पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने भी अहमद फरहद की सुरक्षित घर वापसी और उनके लापता होने के मामले में जांच की मांग की थी।