रक्षा मंत्रालय भारत से बनकर एक्सपोर्ट होने वाले हथियारों की निगरानी बढ़ा रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिफेंस मिनिस्ट्री ने हथियार बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों से चेतावनी जारी कर कहा है कि वो इस बात पर कड़ी निगरानी रखें की उनके हथियार कहां पहुंच रहे हैं। दरअसल, ऐसा करने की नौबत उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आई है, जिनमें दावा किया गया था कि भारत के हथियार गलत हाथों तक पहुंच रहे हैं। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल की शुरुआत में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत में बनी 155mm आर्टिलेरी शेल्स का इस्तेमाल यूक्रेन में हो रहा है। जबकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि भारत की तरफ से किसी भी तरह के हथियार यूक्रेन में नहीं भेजे गए हैं। किन तक अपने हथियार नहीं पहुंचने देना चाहती है भारत सरकार?
रक्षा मंत्रालय ने हथियार बनाने वाली कंपनियों को कहा है कि वो एंड यूजर सर्टिफिकेशन (EUC) नियमों का सख्ती से पालन करें। इसके जरिए ये सुनिश्चित किया जाता है भारत की तरफ से एक्सपोर्ट किए गए हथियार आखिर में कहां पहुंचे हैं। ये सर्टिफिकेट जारी करने का मकसद हथियारों को और आगे एक्सपोर्ट किए जाने से रोकना होता है। फिलहाल भारतीय कंपनियों के यूक्रेन, तुर्किये, चीन और पाकिस्तान को हथियार बेचने पर पाबंदियां हैं। रिटायर्ड कर्नल अभय बालकृष्ण पटवर्धन के मुताबिक गलत हाथों से सरकार का मतलब है कि भारत से भेजे गए हथियार उन संस्थाओं और देश तक नहीं पहुंचे जिन पर किसी तरह की पाबंदी है। इनमें खासकर आतंकी संगठन हैं जिन्हें इंटरपोल और भारत सरकार ने बैन किया हुआ है। गाजा में जंग के बीच भारत से इजराइल जा रहे हथियार कुछ दिनों पहले स्पेन ने दावा किया था कि भारत से विस्फोटक लेकर इजराइल जा रहे एक जहाज को उन्होंने अपने पोर्ट पर रुकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। डेनमार्क का झंडा लगा ये जहाज चेन्नई से इजराइल के हाइफा पोर्ट जा रहा था। इसमें हथियारों की खेंप थी। हालांकि, ये नहीं बताया गया था कि ये हथियार भारत के थे या किसी और देश के। जब विदेश मंत्रालय से इस पर सवाल किया गया तो प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। UN का दावा- लोगों को मार रही म्यांमार की सेना को भी भारत से हथियार मिले
पिछले साल म्यांमार की मिलिट्री ने दावा किया था कि 2021 में तख्तापलट के बाद वहां की सेना ने 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हजार करोड़ के हथियार खरीदे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक्सपर्ट के मुताबिक ये खरीद म्यांमार की सेना ने उस पर लगी पाबंदियों के बावजूद की है। UN ने दावा किया था कि भारत की कंपनियों से भी म्यांमार की सेना को पिछले 2 सालों में 420 करोड़ के हथियार और उससे जुड़ा सामान मिला। UN की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल लोगों के खिलाफ हिंसा करने में किया है। इसके बावजूद कुछ देशों ने बिना रुके सेना को हथियार पहुंचाए।