भारतीय सैनिकों की वापसी के बाद मालदीव में अब भारत से गिफ्ट मिले विमानों का संचालन नियमित रूप से होने लगा है। मालदीव की मीडिया अधाधु की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विमानों को उड़ाए जाने के दौरान मालदीव राष्ट्रीय सुरक्षा बल (MNDF) का एक सैनिक उन पर मौजूद रहता है। अधाधु ने मालदीव के आधार पर ये जानकारी दी है। भारत ने मालदीव को 2 हेलिकॉप्टर और 1 डोर्नियर एयरक्रॉफ्ट गिफ्ट किए थे। अधाधु की रिपोर्ट के मुताबिक सप्ताह में कम से कम 2 दिन इन विमानों का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान इनकी लगातार देख-रेख भी की जाती है। इससे पहले मालदीव के कुछ नेताओं ने इन विमानों के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं जताई थीं। पिछले पहले मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने कहा था कि मालदीव की सेना भारत से मिले विमानों को ऑपरेट करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा था कि MNDF के पास ऐसा कोई भी शख्स नहीं है जो भारतीय विमानों को ऑपरेट कर सके। घासन मौमून ने भारतीय सैनिकों के मालदीव छोड़ने वाले सवाल का जवाब देते हुए कहा था, “भारतीय विमानों को चलाने में सक्षम पायलट मालदीव की सेना के पास नहीं है। कुछ सैनिकों ने पिछले समझौतों के तहत उन्हें उड़ाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी, लेकिन वे ट्रेनिंग के अलग- अलग चरणों को पार नहीं कर सके और ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए। इसलिए, इस समय हमारी सेना में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास दो हेलिकॉप्टर और डोर्नियर को उड़ाने के लिए लाइसेंस हो या वो पूरी तरह से ऑपरेट कर सके।” मालदीव में क्यों थे भारतीय सैनिक?
मालदीव में करीब 88 भारतीय सैनिक थे। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते थे। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहें थे। अब इनके ऑपरेशन को संभालने के लिए नागरिकों के टेक्निकल स्टाफ को भेजा गया है। भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाने का आरोप लगाया था। मुइज्जु का चुनावी कैंपेन था इंडिया आउट कैंपेन
पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चुनावी कैंपेन में भारतीय सैनिकों को देश से निकालने का मुद्दा बनाया था। उन्होंने इसे इंडिया आउट कैंपेन नाम दिया था। चुनावों में जीत के बाद मालदीव ने देश छोड़ने के लिए भारतीय सैनिकों के सामने 10 मई की डेडलाइन रखी थी। हालांकि, इससे पहले ही भारतीय सैनिक मालदीव से लौट गए।