5 जुलाई को सीरीज मिर्जापुर 3 अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम की गई है। सीरीज की हर तरफ चर्चा हो रही है। लेकिन गोलू के किरदार को दर्शक सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस किरदार को श्वेता त्रिपाठी ने निभाया है। सीरीज की रिलीज के बाद श्वेता ने दैनिक भास्कर से बातचीत की है। श्वेता ने बताया कि एक्टिंग में आने से पहले वे जर्नलिस्ट थीं। इसके बाद वॉयस ओवर और कास्टिंग का भी काम किया। फिर श्वेता का एक्टिंग फील्ड में आना हुआ। श्वेता त्रिपाठी के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं… सवाल- मिर्जापुर के बाद लाइफ कैसी हो गई है?
जवाब- अब तो घर-घर में नाम हो गया है। जहां भी जाती हूं, लोग गोलू दीदी, गोलू डॉन कहकर पुकारते हैं। ये सब देख कर बहुत अच्छा लगता है। इस तरह के निक नेम को सुन कर अपनापन सा महसूस होता है। सवाल- फैन का कोई मजेदार इंसीडेंट बताइए?
जवाब- सबसे ज्यादा मजा एयरपोर्ट पर आता है। जब ID चेकिंग के दौरान ऑफिसर्स कहते हैं- अरे आप तो गजगामिनी हैं। ये देख खुशी होती है कि नेता से लेकर ऑफिसर रैंक के अधिकारी भी इस सीरीज को देख रहे हैं। हमारी एक दोस्त हैं। उनकी 62 साल की मां प्रिंसिपल हैं। उन्होंने सीरीज का पिछला दोनों सीजन नहीं देखा था। तीसरा सीजन आने वाला था तो उन्होंने बेटी के साथ पुराना दोनों सीजन देखना शुरू किया। उन्होंने सीरीज को देख कर कहा- थोड़ा गंदा है, लेकिन बहुत अच्छा है। ये देख कर बहुत खुशी होती है कि हम इस सीरीज के माध्यम से 18 साल की उम्र से लेकर 62 साल के लोगों को भी एंटरटेन कर पा रहे हैं। हम ये मानते हैं कि सीरीज में गालियां हैं, खून-खराब वाले सीन्स हैं, लेकिन ये सारी चीजें स्टोरी टेलिंग के लिहाज से बहुत जरूरी हैं। हम जिस समाज में रहते हैं, यहां भी तो बुराइयां हैं, दुख-दर्द है इसलिए ये सिनेमा में दिखाने से शर्माना नहीं चाहिए। सवाल- एक्टिंग का कीड़ा कब लगा?
जवाब- कभी एक्टर बनने के बारे में सोचा नहीं था। पापा IAS ऑफिसर हैं, मां टीचर हैं। इस वजह से सिनेमा से कोई कनेक्शन नहीं था। लेकिन एक बात सच है कि अगर आपको एक्टिंग का कीड़ा काट लिया, तो आप दूसरा चाहे कोई भी प्रोफेशन चुन लें, बिना एक्टिंग किए आपको सुकून नहीं मिलेगा। मैं खुद को लकी मानती हूं कि मैं उसी प्रोफेशन में काम कर रही हूं, जिसमें हमेशा से काम करना चाहती थी। एक्टिंग के बिना मैं खुद की लाइफ को इमेजिन भी नहीं सकती हूं। मुझे खुशी होती है कि एक एक्टर होने की वजह से लोगों का इतना प्यार मिल जाता है और कमाई भी हो जाती है। सवाल- पेरेंट्स को जब पता चला कि आप एक्टर बनना चाहती हैं, तो उनका क्या रिएक्शन था?
जवाब- मैंने बतौर वॉयस ओवर आर्टिस्ट करियर की शुरुआत की थी। सबसे पहले मैंने एक फिल्म बर्ड आइलैंड के 3-4 कैरेक्टर के लिए डबिंग की थी। इसके बाद मैं टीवी ड्रामा ‘क्या मस्त है लाइफ’ का हिस्सा बनी। जब इस शो में पहली बार पेरेंट्स ने मुझे देखा तो चौंक गए। उन्होंने कहा- अच्छा, तुम टीवी पर भी दिखोगी। इससे पहले उन्होंने मान लिया था कि मैं शौकिया कुछ प्रोजेक्ट्स में बतौर वॉयस ओवर आर्टिस्ट काम कर लिया करूंगी। पेरेंट्स को ये बात एक्सेप्ट करने में थोड़ा वक्त लगा कि मैं एक फुल टाइम एक्टर हूं। वे लोग भी अपनी जगह सही थे। इससे पहले उन्होंने मुझे एक जर्नलिस्ट, फोटो एडिटर और कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर काम करते हुआ देखा था। ऐसे में मुझे फुट टाइम एक्टर के तौर पर देखना उनके लिए थोड़ा मुश्किल था। जब पेरेंट्स ने मुझे फिल्म मसान में देखा, तब उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया कि मैं एक फुल टाइम एक्टर हूं। सवाल- एक्टिंग से कैसे जुड़ीं?
जवाब- मैंने दिल्ली में रहकर NIFT का कोर्स कम्प्लीट किया था। इसके बाद इंटर्नशिप करने के लिए मुंबई आ गई थी। 4 महीने की इंटर्नशिप के दौरान ही मुझे जर्नलिस्ट की नौकरी मिल गई। इसके बाद ट्रेलर कटिंग का भी काम किया। फिर कास्टिंग का काम किया। इस काम को करने के दौरान मुझे फिल्मों के ऑफर मिलने लगे थे।