रविवार को लगातार तीसरी बार केंद्र में NDA की सरकार बनेगी। हालांकि ये पहली बार है जब मोदी सरकार को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में 10 सालों में पहली बार देश में गठबंधन के उसूलों पर चलने वाली सरकार बनने जा रही है। फिलहाल नई सरकार बनाने को लेकर बार्गेनिंग का दौर जारी है। TDP और JDU दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी डिमांड रख दी हैं। BJP पर इन डिमांड्स को पूरी करने की मजबूरी होगी। BJP को मिल रही इन चुनौतियों पर विदेशी मीडिया का भी ध्यान है। पढ़िए किसने क्या लिखा है… न्यूयॉर्क टाइम्स: UCC, CAA पर गठबंधन पार्टियों की अलग राय
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि NDA सरकार में गठबंधन के दो मजबूत साथी YDP और JDU हैं। BJP को इन दो सहयोगी दलों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहना होगा। अखबार ये लिखता है कि BJP की ये दोनों ही सबसे अहम पार्टियां, फर्स्ट-हिन्दू एजेंडे पर सहमत नहीं हैं। ये दोनों पार्टियां पहले कई बार UCC, CAA-NRC, मुस्लिम रिजर्वेशन आदि मुद्दों पर BJP से अलग राय रखती आई हैं। BBC: पहले भी गठबंधन तोड़ चुकी TDP
BBC ने चंद्रबाबू नायडू की डिमांड्स को विशेष रूप से जगह दी है। ब्रिटिश मीडिया ने लिखा है कि 2018 में TDP ने अपनी मांगें न पूरी होने के चलते NDA गठबंधन छोड़ दिया था। वह आम चुनाव से कुछ समय पहले ही गठबंधन का हिस्सा बने हैं। फिलहाल BJP को समर्थन देने के लिए चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने लोकसभा स्पीकर का पद मांगा है। इसके साथ ही उसने सरकार में अहम मंत्रालयों पर दावा ठोक दिया है और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी उठाई है। द डॉन: BJP खुद बहुमत पाने से चूकी
पाकिस्तानी अखबार डॉन लिखता है कि चुनाव खत्म होने के बाद भारतीय मीडिया ने BJP की भारी जीत की उम्मीद जताई थी लेकिन वे बहुमत पाने से चूक गए। अब BJP को नई सरकार में सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा। इसका मतलब है कि उन्हें तीसरे कार्यकाल में उम्मीद से कहीं अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। द वॉशिंगटन पोस्ट: गठबंधन सदस्य अपना हक जरूर वसूलेंगे
द वॉशिंगटन पोस्ट में मिलन वैष्णव लिखते हैं कि बीजेपी सरकार अब बुरी तरह से अपने दो सहयोगियों की ‘अच्छाइयों’ पर निर्भर हो गई है। इन दोनों सहयोगियों से हम उम्मीद कर सकते हैं कि सरकार गठन के साथ-साथ वे नीतियों को लागू करने में भी अपना पूरा हक वसूलेंगे। अलजजीरा: TDP, JDU भाजपा की हिंदूवादी नीति पर भरोसा नहीं करते
अलजजीरा लिखता है कि BJP को बिहार में बड़ी जीत दिलाने में CM नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही है। PM मोदी ने भी मंगलवार शाम को पार्टी समर्थकों से बात करते हुए नीतीश कुमार को इसका श्रेय दिया। लेकिन फिर भी दोनों ही नेताओं के बीच लंबे समय से प्यार-नफरत का रिश्ता रहा है, जिसमें अक्सर ब्रेकअप-पैचअप की गुंजाइश रहती है। नीतिश कुमार की तरह चंद्र बाबू नायडू ने भी BJP और कांग्रेस दोनों के साथ गठबंधन किया है। दोनों ही नेता मुस्लिम वोटरों का समर्थन चाहते हैं और BJP की हिंदूवादी राजनीति पर भरोसा नहीं करते हैं।​​​​​​​