राष्ट्रपति बनने के 9 दिन भीतर चीन पहुंचे पुतिन:जिनपिंग ने रेड कारपेट वेलकम दिया; रूस-चीन 75 साल की दोस्ती का

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व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बनने के बाद गुरुवार को चीन पहुंचे। वे राष्ट्रपति बनने के 9 दिन के भीतर ये दौरा कर रहे हैं, वो भी ऐसे समय जब रूसी सेना ने यूक्रेन के खार्कीव शहर में घुस रही है। पुतिन 2 दिन चीन में रहेंगे। चीन पहुंचने पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन को रेड कारपेट वेलकम दिया। इस दौरान सोवियत ऐरा की धुन बजाई गई। कतर के न्यूज चैनल अलजजीरा के मुताबिक, पुतिन अपनी यात्रा के दौरान चीन से यूक्रेन जंग में समर्थन जारी रखने की मांग करेंगे। वे इससे पहले अक्टूबर 2023 में चीन गए थे। रूस-यूक्रेन जंग के शुरूआती दिनों में ही पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि उनकी आपसी साझेदारी की कोई सीमा नहीं है। जिनपिंग ने मार्च 2023 में मॉस्को का दौरा किया था, तब उन्होंने कहा था कि ये दोनों देशों के बीच नए युग की शुरुआत है। जिनपिंग से लंबी दूरी तक मार करने वाले ड्रोन खरीदेंगे पुतिन
जिनपिंग रूस से सस्ते दामों पर गैस आयात करने और पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन के बारे में चर्चा करेंगे। इस पाइपलाइन के जरिए रूस साइबेरिया से मंगोलिया होते हुए चीन को गैस सप्लाई करता है। वहीं, पुतिन इस यात्रा के दौरान यूक्रेन के खिलाफ आधुनिक हथियार और लंबी दूरी वाले ड्रोन की डील करने की कोशिश करेंगे। हालांकि, दोनों देशों ने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और लोगों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे। रूसी अधिकारियों के मुताबिक, दोनों नेता बातचीत के बाद एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे। दोनों नेता रूस-चीन की 75 सालों की दोस्ती का जश्न मनाते हुए शाही भोज में भी शामिल होंगे। पुतिन ने यूक्रेन जंग में मदद करने के लिए चीन की सराहना की
पुतिन ने अपनी यात्रा से पहले यूक्रेन जंग में मदद करने के लिए बीजिंग की इच्छा की सराहना की थी। पुतिन चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से भी मिलेंगे। साथ ही व्यापार और निवेश प्रदर्शनी के लिए पूर्वोत्तर शहर हार्बिन की यात्रा भी करेंगे। चीनी सीमा शुल्क आंकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन पर हमले के बाद से चीन-रूस व्यापार में तेजी आई है। वर्ष 2023 में व्यापार 20 लाख करोड़ रुपए हो गया है, लेकिन मार्च और अप्रैल के दौरान रूस को चीनी निर्यात में गिरावट आई। इसकी वजह अमेरिका को बताया गया है। इसके बाद चीनी बैंकों ने रूसी ग्राहकों के साथ लेनदेन रोक दिया है या कम कर दिया है।

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