अपनी शानदार परफार्मेंस के लिए जाने वाले एक्टर मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘भैया जी’ दर्शकों के दिलों में उतरने में असफल रही है। एक्टर इस फिल्म में जबर्दस्त एक्शन करते हुए दिखाई दिए, लेकिन दर्शकों को उनका एक्शन रास नहीं आया है। इसी बीच मनोज ने एक इंटरव्यू के दौरान करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे बिहार से दिल्ली आए थे, तब उनके जेब में सिर्फ120 रुपए थे। एक ऐसा भी वक्त आया जब वे डिप्रेशन में चले गए और उनके मन में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगे थे। मनोज बाजपेयी ने कहा- मैं बिहार से दिल्ली ट्रेन से गया और मेरे पिता ने मुझे 120 रुपए दिए थे। मेरे पास बस इतना ही था। दिल्ली हर दिन एक नई चुनौती होती थी। जिसमें रूम का किराया, महीने के खर्चे, बस का किराया, खाना और हर दिन थिएटर जाना शामिल था। 10 साल तक यही मेरी जिंदगी थी। बस का किराया देने के लिए पैसे नहीं होते थे तो पैदल ही एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) जाते थे। अपने दोस्तों की मदद से गुजारा किया। मेरे पास बस एक कुर्ता, चमड़े की चप्पल और एक जोड़ी जींस थी। मैंने यह सब एक टिन के डिब्बे में रखा था, जो आज भी मेरे पास है। मेरे पास जो कुछ भी था,वह उस टिन के डिब्बे में समा जाता था। मनोज ने बताया कि बिहार से आने के कारण भाषा उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा- मुझे हिंदी,अंग्रेजी सीखनी पड़ी। ड्रामा स्कूल में एक प्रोफेसर थीं, उन्होंने कहा कि पहले भाषा ठीक करो और फिर हम रिहर्सल करेंगे। यह मेरे लिए एक बड़ा झटका था। एनएसडी से तीन बार रिजेक्ट हुआ तो डिप्रेशन में चला गया। जिसकी वजह से मन में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगे थे।