पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शनिवार को चीन के 4 दिन के दौरे से वापस लौटे। बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान शहबाज ने एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने जिनपिंग को कश्मीर से जुड़े सभी नए अपडेट्स की जानकारी दी। बैठक के बाद जारी हुए जॉइंट स्टेटमेंट में चीन ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में भारत की एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर विवाद रहा है। इस मसले को शांति के साथ UN के चार्टर और UNSC के प्रस्तावों के तहत हल किया जाना चाहिए। चीन पहले भी अलग-अलग मौकों पर कश्मीर को लेकर ऐसे बयान देता आया है, जिनका भारत ने हमेशा विरोध किया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कश्मीर पर भारत का क्या रुख है ये पूरी दुनिया जानती है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमारा अभिन्न हिस्सा हैं और हमेशा रहेंगे। इस मामले में किसी भी देश के पास टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। शहबाज बोले- चीन से निवेश बढ़ाने पर बातचीत जिनपिंग से बैठक के बाद शरीफ ने बताया कि उन्होंने चीन से आपसी सहयोग और निवेश बढ़ाने लेकर बातचीत की। पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि वे पाकिस्तान के साथ आपसी साझेदारी और संबंधों को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही चीन पाकिस्तान में विकास को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देश इस नए युग में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास पर साथ मिलकर काम करेंगे। CPEC को समय से पूरा करने पर बनी सहमति
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, शहबाज शरीफ और जिनपिंग ने बैठक में चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC के तहत हाई क्वालिटी डेवलपमेंट और पहले से चल रही परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर सहमति जताई है। क्या है CPEC
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 2013 में की गई थी। इसमें पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। CPEC के तहत चीन सड़क, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। भारत को CPEC से इसलिए एतराज