Shivraj Singh Chauhan कहा था मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा… एमपी में चुनाव नतीजे के बाद तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान बार-बार एक बात दोहरा रहे थे मैं दिल्ली नहीं जाउंगा। रिजल्ट के 16 दिन बाद आखिर वह दिल्ली दौरे पर पहुंचे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी हुई । और इस मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान का मन बदल गया है। वह दिल्ली क्या अब एमपी को छोड़कर कहीं भी पार्टी के लिए जाने को तैयार हो गए हैं। पार्टी ने उन्हें दक्षिण भारत भेजने की तैयारी कर रहे है, जिसे शिवराज सिंह चौहान ने सहज रूप से स्वीकार कर लिया है। हालांकि शिवराज को दक्षिण भारत भेजना बीजेपी का एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक है, जिसके बहुत सारे मायने निकाले जा रहे हैं। साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि – शिवराज सिंह चौहान खुद एमपी छोड़ने को राजी हो गए हैं?
दरअसल, एमपी में विधायक दल के नेता चुने जाने से पहले तक शिवराज सिंह चौहान यह कहते रहे हैं कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा। जब बीजेपी के सारे दावेदार दिल्ली की दौड़ लगा रहे थें तब ये बात उन्होंने कहा था। तब शिवराज सिंह चौहान एमपी में हारी हुई सीटों का दौरा करके कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रहे थे। 10 दिसंबर MP के विधायक दल के नेता के रूप में मोहन यादव को चुन लिए गये। अगले दिन शिवराज सिंह चौहान मीडिया के सामने कहा कि मैं दिल्ली जाकर अपने लिए कुछ मांगने से मर जाना बेहतर समझूंगा। इससे लगा कि शिवराज सिंह चौहान अब बगावत का तेवर दिखाएंगे। हालांकि इसके बाद उन्होंने इस बात को टालते हुए कहा कि हम सब एक मिशन के लिए काम करते हैं। पार्टी हमारी भूमिका तय करती है, आगे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगा।

जेपी नड्डा से मिलने के बाद बदल गया सभी समीकरण

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री Shivraj Singh Chauhan मंगलवार दिल्ली दौरे पर गए। Shivraj Singh ने Delhi में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP Nadda से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों के बीच तमाम मुद्दों पर लंबी बातचीत हुई है। इसके बाद यह अटकलें तेज हो गई थीं कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकता है। लंबी बातचीत के बाद शिवराज सिंह चौहान बाहर आएं और मीडिया से बात की। उन्होंने अपने भूमिका के बारे में कहा कि एक पार्टी के कार्यकर्ता के नाते पार्टी जो भूमिका तय करेगी, वो मैं पालन करुंगा। वहीं, केंद्र और राज्य की भूमिका के बारे में सवाल पूछे जाते पर कहा कि जो पार्टी तय करेगी वो यही होगी। हम राज्य में भी और केंद्र में भी रहेंगे। मैं खुद के बारे में नहीं सोचता ,एक अच्छा इंसान कभी अपना बारे में नहीं सोचता। साथ ही Shivraj ने कहा मैं फिर से दिल्ली आऊंगा।
Shivraj Singh Chauhan ने कहा कि अगर आप बड़े मिशन के लिए काम करते हैं तो पार्टी तय करती है आप कहां काम करोगे। लाड़ला बहेना के बारे में पूछा जाने से कहा भाई बहिन का प्यार अमर रहेगा,उसका किसी पद से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए अब कुछ तय नहीं है। विजय संकल्प यात्रा के बारे में कहा मुझे अभी कुछ जगहों पर जाना है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों में जाऊंगा। एमपी मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह पार्टी तय करेगी जो सलाह मशविरा होनी थी, वो हो गई है।

दक्षिण भारत ही क्यों चुना ?

मध्यप्रदेश के पू्र्व CM. Shivraj Singh Chauhan ने दक्षिण भारत को क्यों स्वीकार किया है। इसके पीछे भी भारतीय जनता पार्टी का अपना फॉर्म्युला है। शिवराज सिंह चौहान जब MP के मुख्यमंत्री रहे तब भी दक्षिण भारत के राज्यों में सक्रिय रहे हैं। वह वहां के अलग-अलग राज्यों में स्थित मंदिर और मठों में जाया करते थे। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बह काफी एक्टिव रहे । तमिलनाडु को साधने के लिए डॉ एल मुरुगन को एमपी से राज्यसभा भेजा गया था। इसके साथ ही आंध्र और कर्नाटक में भी शिवराज सिंह चौहान चुनाव में सक्रिय रहे हैं। दक्षिण के राज्यों में संगठन के अंदर भी उनकी अच्छी पकड़ है

दक्षिण भारत में नहीं चलता है हॉर्ड हिंदुत्व

दक्षिण भारत में उत्तर वाला फॉर्म्युला नहीं चलता है। हिंदी भाषी राज्यों जिसे हम उत्तर भारत बोलते हैं यहां बीजेपी हार्ड हिंदुत्व की राह पर चलती है। यह यहां सफल भी है। लेकिन दक्षिण भारत में इस राह पर चलकर सफलता नहीं मिली है। हैदराबाद के निकाय चुनाव में भी बीजेपी के सारे दिग्गज नेता हार्ड हिंदुत्व पर जोर दिया , मगर यह काम नहीं आई। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी हनुमान जी से लेकर हिजाब तक के मुद्दे को पार्टी हवा देती रही लेकिन चुनाव हार गए,सरकार भी गवां बैठी। तेलंगाना के चुनाव में भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई।

बीजेपी के मास्टरस्ट्रोक

Shivraj Singh Chauhan को दक्षिण भारत की कमान सौंपने के पीछे एक बड़ी रणनीति है। यह आगे चलकर बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। दरअसल, बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान सॉफ्ट हिंदुत्व के वाहक हैं। वह सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। धार्मिक विवादों से बचते रहे हैं। यही वजह है कि एमपी में उन्हें मुस्लिम भी वोट देते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में इसकी झलक भी दिखी हैं।

Shivraj Singh राज़ी कैसे हुआ?

अब सवाल उठता है आखिर शिवराज सिंह चौहान एमपी छोड़ने को तैयार क्यों हो गए? इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ला ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था। केंद्रीय नेतृत्व अब उनकी जो भी भूमिका तय करेगी, वो चाहे या न चाहे, उसका निर्वहन करना होगा। शिवराज सिंह चौहान आज भी उत्तर भारत में नरेंद्र मोदी के बाद सबसे स्वीकार्य नेता हैं। देश भर उनकी एक अलग छवि है। वह 18 साल से परफॉर्मर रहे हैं। शीर्ष नेताओं में शिवराज सिंह चौहान की गिनती होती है।
वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ला ने कहा कि वह 17 साल से अधिक वक्त सीएम रहे हैं। साउथ इंडिया की जिम्मेदारी देने की बात है तो साउथ इंडिया भी पहले वाला नहीं रहा है। अब दक्षिण भारत में भी हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ गई है। हैदराबाद और बेंगलुरु में आपको नहीं लगेगा कि आप भोपाल में नहीं हैं। केरल और तमिलनाडु में भी अब हिंदी है। दक्षिण भारत की फिल्मों की स्वीकार्यता उत्तर भारत में तेजी से बढ़ी है।ए बात उन्होंने नव भारत टाइम्स के साथ बातचीत में कहा।
उन्होंने कहा कि इस हिसाब से देखें तो शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के लिए साउथ में सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं। वो साउथ में जाकर भारतीय जनता पार्टी की समावेशी छवि गढ़ेंगे।