उत्तराखंड के पूर्व प्रभारी रहे Devendra Yadav को  पंजाब के अगले प्रभारी चुना कांग्रेस हाईकमान। लेकिन Devendra के लिए पंजाब एक बड़ी चुनौती बनकर उभर सकते हैं। क्योंकि पंजाब कांग्रेस के नेता पहले से ही  आम आदमी पार्टी के साथ समझौते के खिलाफ है, लेकिन आम आदमी पार्टी I.N.D.I.A जोट का हिस्सा होने के नाते जोट रक्षा करने के लिए समझौता करना मजबूरी है।और इस बीच वर्तमान में कांग्रेस में दो साल पुराना सिद्धू विवाद भी फिर से शुरू हो गया है। कांग्रेस के नेता सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग खुल कर कर चुके हैं।

मध्यप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली हार के बाद कांग्रेस ने बहुप्रतीक्षित बदलाव किए हैं। पंजाब के प्रदेश प्रभारी Harish Choudhary को हटाकर Devendra Yadav को  अगला प्रभारी बनाया गया है। दिल्ली के  विधायक व कार्यकारी प्रधान रहे Devendra Yadav इससे पहले उत्तराखंड के प्रभारी रहें। बतौर प्रभारी Harish Choudhary के लिए पंजाब  में अनुभव अच्छा नहीं  रहा, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस 77 सीट में से 18 सीटों पर सिमटकर  गई, तब चौधरी के पास ही प्रभारी की जिम्मेदारी थी।

वहीं, Harish Choudhary की छुट्टी नवजोत सिद्धू को राहत देने वाली भी साबित हो सकती है, क्योंकि बतौर प्रभारी हरीश चौधरी सिद्धू के बिरोधी रहे। और  Harish Choudhary हीं सिद्धू के खिलाफ थे  सोनिया गांधी को 2022 में  अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा था। Harish Choudhary का पंजाब कांग्रेस के साथ पांच साल से अधिक का संबंध रहा। 2017 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में कांग्रेस ने सरकार बनाई तब हरीश चौधरी सह प्रभारी की भूमिका में थे।

2021 में  कांग्रेस पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया । और विधायक दल का नेता चुनने के लिए Ajoy Makan की नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई उसमें Harish Choudhary भी शामिल थे। उस समय प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी  Harish Rawat के हाथों में थी,  और Rawat  तब तक उत्तराखंड की राजनीति में वापस जाने की तैयारी कर चुके थे।

जिन्होंने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका अदा की यह Harish Choudhary हीं थे । दरअसल, तब 47 से अधि  विधायक सुनील जाखड़ को सीएम बनाने के पक्ष में थे, लेकिन मोहर चन्नी के नाम पर लगी। यही कारण है सुनील जाखड़ ने कांग्रेस के दामन छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली ।

सिद्धू ने  किया था चन्नी का विरोध

चन्नी  मुख्यमंत्री बनने  से ही सिद्धू के साथ उनका विवाद खड़ा हो गया था। सिद्धू ने  मुख्यमंत्री चन्नी का डीजीपी और एडवोकेट नियोग  के फैसले का विरोध किया। इसके कारण चन्नी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। चन्नी के भांजे के घर पर पड़ी ईडी की रेड के बाद सिद्धू खुलकर चन्नी के खिलाफ वोल रहे थे। बतौर प्रदेश प्रभारी Harish Choudhary दोनों के बीच की खींचतान को रोकने में  नाकाम रहे। दोनों नेताओं की लड़ाई के कारण ही कांग्रेस 77 से घटकर 18 सीटों पर सिमट कर रह गई।

Devendra Yadav के लिए चुनौती

दिल्ली के पूर्व विधायक व उत्तराखंड के पूर्व प्रभारी देवेंद्र यादव के लिए पंजाब एक बड़ी च्यालेंज बनकर उभरेगा। क्योंकि पंजाब कांग्रेस के नेता  संभावित आम आदमी पार्टी के साथ समझौते के खिलाफ है और कांग्रेस गठबंधन को रक्षा करने के लिए समझौता के लिए मजवूर है।और कांग्रेस में दो साल पुराना सिद्धू विवाद भी फिर से शुरू हो गया है। कांग्रेस के कुछ नेता सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग खुल कर कर चुके हैं। वहीं, कांग्रेस का अगर आप के साथ समझौता होता है तो पार्टी में नाराजगी जरुर बढ़ेगी। ऐसे में नए प्रभारी के लिए पार्टी को एक दिशा में लेकर जाना बड़ी चुनौतीपूर्ण होगी।