संयुक्त राष्ट्र महासभा में आज सुरक्षा परिषद (UNSC) के 5 अस्थायी सदस्य चुनने के लिए वोटिंग होगी। ये दो साल (1 जनवरी 2025 से 2026) तक दुनिया की सबसे बड़ी सिक्योरिटी काउंसिल के अस्थायी सदस्य रहेंगे। आज चुने गए देश UNSC में जापान, इक्वाडोर, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विटजरलैंड की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2024 को हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन देशों की जगह डेनमार्क, ग्रीस, पाकिस्तान, पनामा और सोमालिया ले सकते हैं। इसके लिए सीक्रेट बैलेट पेपर से वोटिंग होगी। UNSC में कुर्सी हासिल करने के लिए इन देशों को 193 देशों से दो-तिहाई बहुमत यानी 128 वोट की जरूरत है। UNSC में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें 5 स्थायी (परमानेंट) और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। 10 अस्थायी देशों को 2 साल के लिए सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है। इनका चयन क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है। पांच सीटें अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए, एक पूर्वी यूरोपीय देशों, दो लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों और दो पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों को दी जाती हैं। पाकिस्तान को बहुमत का भरोसा
अगर आज पाकिस्तान को UNSC में 128 वोट नहीं मिले तो दोबारा वोटिंग कराई जा सकती है। यदि फिर भी वोट नहीं मिले तो एक दूसरे कैंडिडेट को स्थायी सदस्य के लिए चुना जाएगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि वह बहुमत हासिल कर लेगा। 2020 में पाकिस्तान ने भारत का समर्थन किया। पाकिस्तान ने इस साल मार्च में अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की मांग की थी। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा था कि ग्लोबल साउथ के मुद्दों का समर्थन करने और कुछ देशों के दबदबे को खत्म करने के लिए पाकिस्तान लगातार प्रयास कर रहा है और आगे भी करेगा। पाकिस्तान के UNSC में अस्थायी सदस्य बनने से भारत को क्या नुकसान होगा?
UNSC में अस्थायी सदस्य देशों को चुनने का उद्देश्य क्षेत्रीय संतुलन कायम करना होता है। वह UNSC के नियमों को लागू करने में मदद करते हैं और अपने क्षेत्र की बात प्रमुखता से रख सकते हैं। ऐसे में पाकिस्तान आर्टिकल 370, कश्मीर का मुद्दा, खालिस्तान और भारत को मुस्लिमों के खिलाफ बता सकता है। भारत अब तक 8 बार UNSC में अस्थायी सदस्य बन चुका है- 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92, 2011-12 और 2021-22। जून 2020 में, भारत को UNGA में 193 वोटों में से 184 वोट मिले थे। UNSC का गठन 1945 में हुआ था। इसके बाद धीरे-धीरे UN में देशों की संख्या बढ़ती गई। हालांकि इस दौरान UNSC में बदलाव नहीं हुए। भारत UNSC में परमानेंट सीट क्यों चाहता है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। यह UN की सबसे पावरफुल संस्था है। इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है। कुछ मामलों में UNSC अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल उपयोग करने का सहारा ले सकती है। यानी अगर भारत भी UNSC का परमानेंट मेंबर बन गया तो दुनिया के किसी भी बड़े मसले पर उसकी सहमति जरूरी होगी। सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें 5 स्थायी (P-5) और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। स्थायी सदस्यों में से यदि कोई भी देश किसी फैसले से असहमत होता है तो वीटो पावर का इस्तेमाल कर उसे पास होने से रोक सकता है।