एक्ट्रेस से प्रोड्यूसर बनी दीपिका चिखलिया इन दिनों सीरियल ‘धरतीपुत्र नंदिनी’ की सफलता से खुश हैं। हाल ही में सीरियल के 200 एपिसोड पूरे पर दीपिका ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। इस दौरान एक्ट्रेस ने फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ की चर्चा करते हुए बताया कि इस फिल्म के लिए वे राज कपूर से मिली थीं। लेकिन राज कपूर ने इस फिल्म के लिए उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। दीपिका कहती हैं कि अगर उन्हें यह फिल्म मिलती तो ‘रामायण’ की सीता नहीं बन पाती। आप पहली बार प्रोड्यूसर बनी और आप का सीरियल 200 एपिसोड पूरा कर चुका है, इसका श्रेय आप किसे देना चाहेंगी? इसका श्रेय मैं पूरी टीम को देना चाहती हूं। हमारी 17- 18 लोगों की टीम है। इसमें से कोई एक बंदा यह नहीं कह सकता कि मेरी वजह से हुआ है। हमारी टीम के लोग एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। यह मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद और रामजी की कृपा है कि हमारी टीम में अच्छे लोग हैं। टीवी में प्रोड्यूसर के रूप में एकता कपूर और रश्मी शर्मा ज्यादा सफल रही हैं। अब आपका भी नाम जुड़ रहा है। प्रोड्यूसर के रूप मे टीवी पर महिलाएं ही क्यों सफल होती हैं? यह मीडियम ही वुमन ओरिएंटेड है। महिलाएं बनाती हैं, महिलाओं की कहानी होती है। देखने वाली ऑडियंस भी 80 प्रतिशत महिलाएं ही होती हैं। मैं यह मानती हूं कि टेलीविजन महिलाओं के लिए खुद को एक्सप्रेस करने का माध्यम है। यह हमारे लिए बहुत ही अच्छा समय है। प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के रूप में अच्छा काम कर सकते हैं। आपको कब लगा कि प्रोड्यूसर बनना है? 20 साल से मैं काम नहीं कर रही थी। जब एक्टिंग में वापसी करने की सोची तो मां के रोल मिलने लगे। मैंने सोचा कि लाइफ में वैरायटी आनी चाहिए। मैं जिन लोगों के साथ काम कर रही थी, उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि आपको शो प्रोड्यूस करना चाहिए। वहां एक्टिंग करना चाहें तो कर सकती हैं। टीवी पर प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है, ऐसे में सब्जेक्ट का चयन करना कितना चुनौतीपूर्ण होता है? मेरी सोच यही रही है कि सब्जेक्ट कुछ भी हो, कहानी के केंद्र में रामजी को ही रख कर कुछ करना है। ‘धरतीपुत्र नंदिनी’ में भी मैंने कहानी का आधार राम जी और अयोध्या को ही रखा है। उसके बाद हमने दिखाया है कि परिवार में किस तरह की दिक्कतें आती हैं। परिवार को एकजुट बांधकर कैसे रख सकते हैं। अगर आप ओटीटी के लिए कुछ बनाना चाहें तो वह किस तरह का कंटेंट होगा? प्लेटफार्म कोई भी हो, कंटेंट भारतीय ही होगा। मेरी सोच ऐसी है कि कहानी हमारी संस्कृति और मिट्टी से जुड़ी होनी चाहिए। अगर मैं कोर्टरूम ड्रामा भी करूं तो छोटे से शहर का कोर्ट ड्रामा होना चाहिए, जिसमें आम लोगों की बात हो। ‘राम तेरी गंगा मैली’ का किस्सा कहीं पढ़ रहा था, आप फिल्म के लिए राज कपूर से मिली और उन्होंने आपको रिजेक्ट कर दिया? उन दिनों मैं छोटे मोटे सेकेंड टाइप के रोल कर रही थी। छोटी फिल्में हीरोइन के तौर पर कर रही थी। लेकिन मैं खुश नहीं थी। मुझे लग रहा था कि इंडस्ट्री छोड़ दूं। राज कपूर की बेटी रीमा के बेस्ट फ्रेंड के पिता मेरे पिता के दोस्त थे। उन्होंने बताया कि राज कपूर फिल्म के लिए नया चेहरा ढूंढ रहे हैं। हमारे लिए बात कर सकते हैं। मैं राज कपूर से मिलने गई। उन्होंने मेरी उम्र पूछी, तब मैं 17 साल की थी। वे बोले कि बहुत छोटी हो। आपको बताते हैं। उसके बाद उनके ऑफिस से कोई कॉल आया? दो दिन के बाद मुझे पता चला कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ। मैं बहुत अपसेट थी। मुझे इतना बड़ा मौका मिल रहा था, लेकिन नहीं हुआ। मम्मी ने समझाया कि जो होता है अच्छे के लिए होता है। शायद इससे और बढ़िया कुछ निकले। मैं सोच रही थी कि राज कपूर की फिल्म से और क्या बढ़िया हो सकता है? जब फिल्म रिलीज हुई तो अपने देखी होगी? मम्मी के साथ फिल्म देखने गई थी। फिल्म देखकर मैं शॉक्ड थी। मैंने सोचा कि थैंक गॉड बात आगे नहीं बढ़ी, नहीं तो मना कैसे कर पाती। मुझे समझ में आया कि अगर मैं ‘राम तेरी गंगा मैली’ कर लेती तो शायद ‘रामायण’ की सीता नहीं बन पाती। रामायण के बाद की एक बड़ी दिलचस्प बात बताती हूं आपको। वह क्या? ‘रामायण’ के बाद आडवाणी जी का फोन आया कि मिलना चाहते हैं। जब आडवाणी जी से अहमदाबाद मिलने गई तो उन्होंने पूछा कि आपकी डबिंग कौन करता है ? मैंने बताया कि टीवी में नहीं, फिल्मों में डबिंग होती है। वे बोले कि आपकी आवाज बहुत इंप्रेसिव है। जब आप मंच पर बोलेंगी तो आपकी बात में एक गहराई होगी। फिर उन्होंने बताया कि हम चाहते है कि आप पार्टी ज्वाइन करें। मेरे पिता जनसंघ से जुड़े रहे।